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बुधवार, 24 नवंबर 2010

ladkiyon par hi pratibandh kyon ?

उत्तर प्रदेश की शामली तहसील के लांक गाँव  की पंचायत में शराब न पीने , झगडा न करने ;भाईचारा बनाने आदि अच्छे फैसलों के साथ-साथ यह फैसला भी किया गया कि गाँव की लड़कियां मोबाईल क़ा प्रयोग न करे . मोबाईल के प्रयोग से युवा पीढ़ी के भटकाव क़ा खतरा रहता है .मेरी सोच में यह फैसला  उचित नहीं है क्योकि मोबाईल अगर लड़कियों को भटका रहा है तो लड़कों को क्यों नहीं ? यदि देखा जाये तो लडको की तुलना में लड़कियों के मोबाईल फोन प्रयोग करने क़ा प्रतिशत ही क्या है ? वास्तव में ऐसे फैसले समाज में कोई सकारात्मक परिवर्तन नहीं ला सकते है .युवा वर्ग को लड़का-लड़की में कैसे बाँट सकते है ? मोबाईल पर लड़कियों के अशलील वीडियों बनाने वाले लड़के है तो क्या उनका मोबाईल प्रयोग जायज ठहराया  जा सकता है?अथवा किसी परेशानी में घर से बाहर लड़की क़ा घर पर मोबाईल से संपर्क करना नाजायज कहा जा सकता है? नहीं कभी नहीं !! कमी मोबाईल अथवा अन्य किसी भी गैजेट में नहीं है--- कमी है प्रयोग करने वाले के आचरण में .सभी माता-पिताओं ;शिक्षकों को इस ओर ध्यान देना होगा जिससे युवा-वर्ग भटकाव के मार्ग पर न बढे और लड़कियों पर अनुचित प्रतिबन्ध न लगाये जा सकें. 

गुरुवार, 18 नवंबर 2010

betiyon ko bechra mat banaiye..

''हिन्दुस्तान '' दैनिक समाचार -पत्र के १० नवम्बर २०१० के अंक में ''दहेज़ में कार मांगने पर दुल्हन के पिता को हार्ट-अटैक ;मौत'' खबर पढ़कर आँखें नम हो गयी .बेटी की बारात २३ नवम्बर को आनी थी .दुल्हन के पिता कुछ दिन पहले सगाई की रस्म अदा क़र आये थे. शादी में ५१ हज़ार की नकदी के अलावा बाइक और फर्नीचर देना तय हुआ था . लड़के वालों ने फोन पर धमकी दे दी की यदि दहेज़ में कार देनी है तो बारात आएगी वर्ना कैंसिल समझो.'समझ में नहीं आता विवाह जैसे पवित्र संस्कार को ''ब्लैकमेलिंग' बनाने वाले ऐसे दानवों के आगे लड़की के पिता कब तक झुकते रहेंगे. अनुमान कीजिये उस पुत्री के ह्रदय की व्यथा क़ा जो जीवन भर शायद इस अपराध बोध से न निकल पायेगी कि उसके कारण उसके पिता की जान चली गयी.होना तो यह चाहिए था की जब वर पक्ष ऐसी ''ब्लैकमेलिंग'' पर उतर आये तो लड़की क़ा पिता कहे कि ''अच्छा हुआ की तुमने मुझे विवाह पूर्व ही यह दानवी रूप दिखा दिया.मेरी बेटी क़ा जीवन स्वाहा होने  से bach   गया '' पर ऐसा कब होगा और इसमें कितना समय लगेगा? ये कोई नहीं बता सकता.मै तो बस इतना कहूँगी----
            '''बेटियों को इतना बेचारा मत बनाइये;
      क़ि विधाता भी सौ बार सोचे इन्हें पैदा करने से पहले..''

रविवार, 7 नवंबर 2010

prashn--kaun ameer-kaun gareeb?

टी.vi. के एक कार्यक्रम में प्रस्तुतकर्ता---''दर्शकों आज हम लेकर आये हैं एक अलग -हटकर इंटरव्यू .एक ओर हैं भारत के सबसे अमीर व्यक्ति श्री अमीर और दूसरी ओर है bharat क़ा सबसे गरीब व्यक्ति ' बेचारा गरीब.' अब हम इनसे chand प्रश्न करके जानेगे क़ि श्री अमीर कितने सुख से जीवन बिताते हैं और बेचारा गरीब कितना दुखी रहता है?
प्रश्न१---आप दोनों यह बताये ki कितनी देर सो पाते है  रोज?
श्री अमीर--सच बताऊँ कभी-कभी मैं इतना व्यस्त रहता हूँ क़ि दिन भर में एक घंटे भी नहीं सो पाता.कभी इतना तनाव हो जाता है क़ि ए.सी. की ठंडक में और नरम-गरम गद्दे-लिहाफ से भी गर्मी-सर्दी में सुकून की नीद नहीं आती.
बेचारा गरीब--मैं तो किसी भी पेड़ की छाव में गर्मी व् अलाव जलाकर सर्दी में गहरी नीद में सो जाता हूँ. अब मेरी जेब में तो फूटी कौड़ी भी नहीं होती isliye डर या तनाव कैसा.मुझे न कुछ खोने की चिंता और न कुछ सँभालने क़ा तनाव.[इसके साथ ही उसका जोरदार ठाह्का]
प्रशन२-- आप दोनों को खाने में क्या-क्या पसंद है?
श्री अमीर-अजी छोडये....ये प्रश्न ..पसंद नापसंद तो तब मायने रखता है जब मैं अपनी इच्छा से कुछ खा सकू.डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर ;डिप्रेशन और भी न जाने कितनी मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हूँ.डाक्टर के निर्देशानुसार सुबह शाम दवाइयां खाता हूँ .....जिन्दा हूँ!
बेचारा गरीब--मुझे तो सभी पकवान पसंद हैं.हलवा-पूरी.समोसे;चाट. जब भी मौका लगता hai जी भर कर खाता हूँ.
प्रशन३-अपने परिवार को कितना समय दे पाते है?
श्री अमीर--कई-कई महीने परिवार से नहीं मिल पाता.पत्नी सामाजिक कार्यों से बाहर जाती रहती है.बेटा अमेरिका में रहता है ,बेटी कनाडा में padti है .न मेरे पास समय है और न उनके पास.साल में एक दिन किसी तरह nikal कर साथ बीता लेते है.
बेचारा गरीब--अजी हमारा क्या?....हम सब तो साथ-साथ मजदूरी करते हैं,काम के साथ बतियाते भी रहते है.साथ बैठकर खाना खाते है.सारा परिवार साथ ही रहता है.
प्रशन४-- आगे जिन्दगी में क्या पाना चाहते है?
श्री अमीर-और दौलत;शोहरत .......नहीं...नहीं......थोडा सुकून,परिवार क़ा साथ ;अच्छा सवास्थ्य.
बेचारा गरीब---मैं तो संतुष्ट हूँ.कुछ पाने के चक्कर में तो सब आराम ही हराम हो जाता है मेरा तो बस एक ही मन्त्र है''दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ'''.
प्रशन५--किस se डरते है?
श्री अमीर-सब कुछ लुट जाने से.
बेचारा गरीब--किसी से नहीं.है ही क्या मेरे पास जो लुट जायेगा.मैं खुश हूँ.थोडा खाता हूँ पर आनद से,कुछ लुट जाने क़ा डर नहीं--सुकून ही सुकून हैं.
प्रस्तुतकर्ता---तो दर्शकों आपने आज के interview  की बातों से जान ही लिया होगा की बेचारा अमीर भी कितना गरीब है और श्री गरीब कितना सुखी है.interview कैसा लगा ?जरूर बताइयेगा.