फ़ॉलोअर

गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

वर्ष 2011-सबसे सशक्त महिला ''बंगाल की शेरनी ''

वर्ष 2011-सबसे सशक्त महिला ''बंगाल की शेरनी ''


मेरी राय  में- इस  वर्ष  20  मई   को  जब  एक  महिला  ने मुख्यमंत्री  पद की शपथ ली  तब  ऐसा  लगा  जैसे  उसने  एक  विशाल व् वर्षों पुरानें  गढ़   को  ढहाकर  अपनी सत्ता की नींव  रख दी हो .आजादी से  अब तक भारत में  13  महिलाएं   मुख्यमंत्री  पद की शपथ ले  चुकी  हैं  पर  जब ''बंगाल  की शेरनी '' कही  जाने वाली '' सुश्री  ममता  बैनर्जी '' ने पश्चिम बंगाल में ३४ वर्षों से सत्तारूढ़ वाममोर्चे  की सरकार को उखाड़ फेंका तब भारत की १४ वी महिला मुख्यमंत्री के  साथ साथ वे पश्चिम बंगाल की'' प्रथम  महिला मुख्यमंत्री'' भी  बन गयी .
                                केंद्र में रेल मंत्री पद  पर अपनी अमूल्य  सेवाएं देने वाली ममता दी में नेतृत्व क्षमता  कूट -कूट  कर भरी है  .निडर   व् संघर्षशील  ममता दी में एक जूनून है गरीब जनता   को उसका हक     दिलवाने का .एक बार भरी सभा में फांसी पर झूल  जाने  की कोशिश  कर अपने जूनून की परिकाष्ठा  प्रदर्शित करने वाली  ममता दी आज  भी  अनेक  जटिल मुद्दों को लेकर  केंद्र सरकार पर अपना दबाव  बनाने से नहीं चूकती हैं-पेट्रोल की बढ़ी कीमतें हो या खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश का मुद्दा अथवा लोकपाल विधेयक  .
                                   ईश्वर  उन्हें पग-पग पर शक्ति  व् सफलता  प्रदान करें ताकि वे ऐसे ही  जन -हित  में अपना योगदान देती  रहें  . 
                                     शिखा कौशिक 
                       [विचारों का चबूतरा ]

रविवार, 25 दिसंबर 2011

मैं क्यों अग्नि-परीक्षा देती रहूँ ?

मैं  क्यों अग्नि-परीक्षा देती रहूँ ?
Close_Up_Picture.jpg


नवभारत टाइम्स  की  वेबसाईट  पर  ये   खबर  पढ़ी  - 
''इस सप्ताह प्रीति जिंटा की बारी है अपने सबसे बड़े हेटर (नफरत करने वाले) चिराग महाबल से टकराने की। चिराग महाबल ने जिंटा की यह कहते हुए आलोचना की कि वह आईपीएल में इसलिए शामिल हुईं क्योंकि उनका फिल्मी करियर ठीक नहीं चल रहा था। महाबल के मुताबिक बॉलिवुड हस्तियों के शामिल होने की वजह से शो बिज आईपीएल से हट गया। 
अपने बचाव में प्रीति जिंटा ने कहा, मैंने क्रिकेट की दीवानगी सीखी यहां। पहले मैं क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं जानती थी। आईपीएल क्रिकेट सबसे बड़ी मंदी से ठीक पहले लॉन्च हुआ। यह मेरा खून-पसीने से कमाया हुआ पैसा था जो मैंने आईपीएल में डाला। मैंने कोई घपला नहीं किया, मैं किसी के साथ नहीं सोई। 
''इस खबर की यह पंक्ति वास्तव में स्त्री होने का खामियाजा  भुगतना  ही प्रतीत  होती  है कि -''मैं किसी  के साथ नहीं  सोयी ''
                  त्रेता युग से हर स्त्री अपनी  शुद्धता का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए ऐसी ही अग्नि परीक्षाओं से गुजर रही है पर पुरुष प्रधान समाज  के पास तो स्त्री को अपमानित  करने का बस यही ब्रह्मास्त्र है कि -''देखो यह स्त्री दुश्चरित्र है ....कलंकनी  है .....मर्यादाहीन  है  .''
                           ऐसे में स्त्री को भी अब पुरुष समाज को चुनौती देते हुए कहना चाहिए कि -आप प्रमाणित कीजिये मैं किसके साथ सोयी ?मैं क्यों अग्नि-परीक्षा देती रहूँ ?
                                                     शिखा कौशिक 
                                  [विचारों का चबूतरा ]

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

अनशन तो क्षेत्रीय सांसद के समक्ष करना चाहिए ''अन्ना जी''

अनशन तो क्षेत्रीय सांसद के समक्ष करना चाहिए ''अन्ना जी''


11216207.jpg
अन्ना जी ने कहा है कि -'' .... नए लोकपाल बिल का ड्राफ्ट बेहद कमजोर है और इससे समाज का भला नहीं होने वाला है। अन्‍ना ने साफ किया कि अनशन के लिए 2-3 जगहों पर विचार हो रहा है। यदि उन्हें जगह नहीं मिली तो वह जेल में ही अनशन करेंगे।''......[टीम अन्ना ने अपने 30 दिसंबर से शुरू होने जा रहे जेल भरो आंदोलन के लिए अब एकऑनलाइन कैंपेन शुरू किया ]   [ नवभारत टाइम्स से साभार] 
         अन्ना जी  कभी सोनिया गाँधी जी के आवास के समक्ष अनशन करने के लिए कहते हैं तो कभी राहुल गाँधी जी के आवास के समक्ष .कभी दिल्ली में तो कभी महाराष्ट्र में .कभी जंतर -मंतर पर तो कभी रामलीला मैदान में ....पर कभी वे यह क्यों नहीं कहते की अपने क्षेत्र के सांसद के समक्ष अनशन कीजिये .जब संविधान ने कानून बनाने का अधिकार जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे सांसदों को दिया है तो सर्वोच्च कानून निर्माण  संस्था ''संसद '' की गरिमा को बनाये रखते हुए हम क्यों न अपने ही क्षेत्र के सांसद को अपने विचारों से अवगत कराएँ .हम कैसा लोकपाल चाहते हैं ? यह हमारा प्रतिनिधि -हमारा सांसद संसद में लोकपाल पर बहस के दौरान रखे तो लोकतंत्र - प्रजातंत्र का अनुशासित रूप प्रकट होगा पर जनता को उत्तेजित कर ''जेल भरो '' जैसे आन्दोलनों से अन्ना जी स्वयं तो चर्चित कर सकते हैं पर देश की जनता का इससे कोई कल्याण नहीं होने वाला है .ऐसे आन्दोलन लोकतान्त्रिक प्रणाली से चुनी हुई सरकार पर ही प्रश्न चिन्ह लगाती है और जो संस्था लोकतंत्र की बात करती है वो लोकतान्त्रिक तरीकों को क्यों नहीं अपनाती ?क्षेत्रीय सांसद को घेरिये यदि जनता के अधिकारों का हनन हो रहा है. यदि पूरे देश में जनता अपने सांसदों को लोकपाल के मुद्दे पर घेरेगी तो संसद में जैसा जनता चाहती  है वैसे ही लोकपाल विधेयक को लाये जाने की बहस होगी  जिसका परिणाम शुभ ही होगा .अन्ना के ''जेल भरो '' आन्दोलन ''का मैं कड़ा विरोध करती हूँ  .
                                  शिखा कौशिक 
                           [विचारों का चबूतरा ]

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

स्त्री को एक शो-पीस बना कर प्रस्तुत करने वाले लोगों को कड़ा दंड मिलना चाहिए

एक खबर पढ़ी -
Shahrukh-Khan.jpg
''कोच्चि।। बॉलिवुड स्टार शाहरुख खान के खिलाफ महिलाओं के अश्लील चित्रण (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है। एक शोरुम के उद्घाटन के सिलसिले में चार दिसंबर को शाहरुख ने यहां अपनी हालिया फिल्म 'रा. वन' के चर्चित गाने 'छम्मक छल्लो' पर कुछ कलाकारों के साथ डांस किया था, जिसमें उनके साथ डांस करने वाली लड़कियां बहुत कम कपड़ों में थीं।''[नवभारत टाइम्स से साभार ]


                  शाहरुख़ खान पर मामला दर्ज किया जाना उचित ही है क्योंकि ये सितारे फिल्मों में तो भारतीय संस्कृति का गुणगान करते दिखलाई देते हैं पर निजी जीवन में मर्यादाओं की धज्जियाँ व्यवसायिक हितों हेतु उड़ा देते हैं .हैरानी की बात ये है कि ये कार्यक्रम एक कपडा कम्पनी ने आयोजित किया था .कपडा कम्पनी को भी आरोपी बनाया गया है .इतनी शोहरत -दौलत कमा लेने के बाद भी शाहरुख़  जैसे सितारे क्यों नहीं ऐसे  मर्यादाहीन प्रदर्शन के लिए इंकार  करते ? शाहरुख़ खान स्वयं एक पुत्री के पिता हैं क्या वे अपनी पुत्री को  ऐसी  ही पोशाक में नचाना पसंद करेंगे ?यदि नहीं तो  अन्य लड़कियों का ऐसा शोषण क्यों करते हैं ये ?शाहरुख़ के साथ-साथ वे लड़कियां भी जिम्मेदार हैं जो ऐसे वस्त्रो को धारण  करने के लिए तैयार हो जाती हैं .ऐसे अमर्यादित प्रदर्शन को देखने वाले भी जिम्मेदार हैं .पश्चिमी संस्कृति के सकारात्मक पक्षों को ग्रहण करना अलग बात है पर नग्नता को हमारे समाज में स्वीकृति   दी  जाये  ऐसा संभव  नहीं है .सिर से पांव तक ढकी  स्त्री  तो अस्मिता की रक्षा कर नहीं पा रही ऐसे में अर्ध नग्न कर स्त्री देह का प्रयोग व्यवसायिक हितों के लिए करना क्रूरतापूर्ण अपराध है . स्त्री को एक शो-पीस बना कर प्रस्तुत करने वाले लोगों को कड़ा दंड मिलना ही चाहिए   .
                                              शिखा कौशिक 
                                 [विचारों का चबूतरा ]

सोमवार, 19 दिसंबर 2011

पूनम आपसे सहमत नहीं मैं !

पूनम आपसे सहमत नहीं मैं !

poonam-pandey.jpg


दुनिया में पाप जैसा कुछ नहीं होता। जो चाहें कीजिए, बस दूसरों के भी ऐसा ही करने के अधिकार का सम्मान जरूर कीजिए। -पूनम पांडे [१९ दिसंबर 2011 ]
                ऐसा क्यों होता है कि पूनम जो भी कहती हैं मैं  उससे  सहमत  नहीं हो पाती.हो सकता है मेरी और उनकी परवरिश में अंतर हो .मेरी सोच संकुचित हो और उनकी विराट पर ये भी लगता है कि वे जो कुछ भी लिखती हैं या करती हैं सब शोहरत पाने के लिए .आखिर वे इस सार्वभौम  सत्य से कैसे इंकार कर सकती हैं कि कर्म दो प्रकार के होते हैं -पाप व् पुण्य  कर्म .हम जब छोटे थे तब से ही हमें अच्छे व् बुरे में अंतर बताकर अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित किया जाता रहा है .अमूमन सभी भारतीय परिवारों में ऐसी ही शिक्षा दी जाती है पर पूनम की सोच सभी से अलग है .पाप व् पुण्य के न होने पर हम जीवन के लक्ष्य कैसे निर्धारित करेंगे ?आज हम कोई गलती करते है तो उसे सुधार कर   प्रभु से प्रार्थना करते है कि -हे प्रभु हमें शक्ति देना हम जीवन में पुण्य पथ पर अग्रसर हो .हम पाप के मार्ग पर न बढे .''पर यदि पाप व् पुण्य में अंतर ही नहीं  तो कर्मों का विश्लेषण  ही नहीं होगा .मैं तो ऐसे मत का समर्थन ही नहीं कर सकती .कर्म में निहित भावना ही उसे पाप-पुण्य में विभाजित करती है .पाप-पुण्य के विभाजन  बिना सार्थक जीवन व् समाज की कल्पना करना भी असंभव है ..पूनम जी कुछ तो ऐसा भी कीजिये या लिखिए जिससे हम जैसे साधारण नागरिक भी सहमत हो सके .
                            शिखा कौशिक 
               [विचारों का चबूतरा ]

प्रतिभा जी को उनके ७८ वे जन्म-दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनायें

President of India : Smt. Pratibha Devisingh Patil
[गूगल से साभार ]

श्रीमती  प्रतिभा  देवीसिंह  पाटिल 
[भारत की  प्रथम  महिला राष्ट्रपति]




आज हमारे भारतीय गणराज्य की प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी का जन्म दिवस है . प्रतिभा  जी का जन्म१९ दिसम्बर १९३४ को महाराष्ट्र  के जलगाँव जिले के नदगांव  में हुआ  था .श्रीमती प्रतिभा जी ने भारतीय- गणराज्य के १२  वे राष्ट्रपति के रूप में २५ जुलाई२००७ को  पद ग्रहण किया .वे प्रथम भारतीय महिला हैं जिन्होंने इस पद को सुशोभित किया है .इससे ठीक पहले प्रतिभा जी राजस्थान के राज्यपाल पद को सुशोभित कर रही थी .२७ वर्ष की आयु में अपना राजनैतिक सफ़र तय करने वाली हमारी सम्मानीय प्रतिभा जी ने अनेक महत्वपूर्ण पदों को  सुशोभित किया और अपने  लम्बे सेवा काल में 
महिलाओं  के कल्याण और बच्चों व्  सामाजिक रूप से पिछड़े-वर्गों के उत्थान हेतु अनेक संस्थाओं की स्थापना की .जिनमे कुछ इसप्रकार हैं -


 (i) hostels for working  women in Mumbai and Delhi, 


(ii) an Engineering College at Jalgaon for rural youth, 


(iii) the Shram Sadhana Trust which takes part in multifarious welfare activities for development of women, 


(iv)an Industrial Training School for the visually 


handicapped in Jalgaon, 


(v) schools for poor children of Vimukta Jatis


(Nomadic Tribes) and for children of Backward Classes 


in Amravati District 


(vi) a Krishi Vigyan Kendra  (Farmers’ Training Centre) 


at Amravati, Maharashtra


                      प्रतिभा जी  ने हमेशा  महिलाओं के विकास व्  कल्याण  हेतु  अपना  संघर्ष  जारी रखा है . प्रतिभा जी ने ''महिला विकास महामंडल ''के गठन  में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जो महाराष्ट्र राज्य-सरकार का महिलाओं के विकास से सम्बंधित एक विभाग है .प्रतिभा जी ने गरीब व् जरूरतमंद महिलाओं के लिए अमरावती [महाराष्ट्र ]में संगीत,कम्पुयूटर,सिलाई की कक्षाओं को आरम्भ कराया तथा  जलगाँव में महिला होमगार्ड  की संस्थापना  की व् १९६२ में इनकी कमांडेंट रहीं .


                                     पारिवारिक जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाने वाली प्रतिभा जी ने प्रत्येक भारतीय नारी के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत किया है कि एक स्त्री यदि चाहे तो पुरुष-प्रधान हमारे समाज में भी वो अपने लक्ष्यों  को प्राप्त कर सकती है .हमें गर्व है कि हमने प्रतिभा जी जैसी उदार ह्रदय व्  महिलाओं के कल्याण में अपना जीवन लगा देनी वाली भारतीय सभ्यता   -संस्कृति में रची-बसी माता-सम श्रेष्ठ -नारी को अपने देश के सर्वोच्च पद पर आसीन किया है . 




                                        प्रतिभा जी को उनके ७८ वे जन्म-दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनायें .


                                                                               शिखा कौशिक  
                                                             [विचारों का चबूतरा ]



गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

.नरेंद्र मोदी जी को ऐसे शुभ -आरम्भ हेतु हार्दिक शुभकामनायें !

जेठ की गर्मी में ये  ठंडी  हवाओं  जैसी खबर है . शीत में गर्म रजाई सी खबर  है- नरेंद्र मोदी जी ने भारतीय नेताओं की ख़राब होती  छवि को सुधारने का  सार्थक प्रयास किया है .खबर इसप्रकार है -
Narendra Modi
''अहमदाबाद।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सद्भावना' दिखाते हुए सूरत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया और राहुल गांधी की खिल्ली उड़ाने वाले होर्डिंग्स लगाने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की जमकर खबर ली और इन्हें तुरंत हटाने का निर्देश दिया।............ सूरत के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 18 दिसंबर को मोदी के सद्भावना उपवास से पहले ये होर्डिंग लगाए थे। मोदी ने ट्वीट किया, 'मैंने अखबारों में सूरत में बीजेपी कार्यकर्ताओं के कुछ आपत्तिजनक होर्डिंग के बारे में पढ़ा। लोकतंत्र में हमें इस तरह की चीजों से बचना चाहिए और एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।' मोदी की सख्ती के बाद ये होर्डिंग्स हटा दिए गए हैं। ''[नवभारत टाइम्स से साभार ]
                        यदि नरेंद्र  मोदी जी   इसकी  शरुआत  करते  हैं तो वास्तव में सराहनीय हैं क्योंकि इन्होने ही यह कहकर कि -''कॉंग्रेस  बूढी हो गयी है ' और ''राहुल गाँधी को भारत  में क्लर्क की नौकरी भी नहीं मिलेगी '' अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग किया था .लोकतंत्र में वास्तव में असहमति प्रकट करने या विरोध प्रदर्शित करने का तरीका भी सभ्य ही होना चाहिए क्योंकि किसी व्यक्ति की सार्वजानिक छवि को नुकसान पहुचाने के लिए अपशब्द कहना आज राजनीति में आम बात हो गयी  .यदि नेतागण सयंमित प्रतिक्रिया प्रकट करेंगे तो अवश्य जनता  में सकारात्मक सन्देश जायेगा और थप्पड़ या जूते मारे जाने जैसी  घटनाएँ नहीं घटेंगी .नरेंद्र मोदी जी को ऐसे शुभ -आरम्भ हेतु हार्दिक शुभकामनायें !


                                      शिखा  कौशिक  
                              [vicharon ka chabootra ]

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

राहुल पी.एम्.बनने का सपना देख रहे हैं ?तो यह स्वाभाविक ही है !


राहुल पी.एम्.बनने का सपना देख रहे हैं ?तो यह स्वाभाविक  ही है 
Rahul Gandhi



सपने सभी देखते हैं .सपने देखने में बुराई क्या है ?बाबा रामदेव जी व् अन्ना जी द्वारा राहुल गाँधी जी की आलोचना यह कह कर किया जाना कि-''राहुल पी.एम्.बनने का सपना देख रहे हैं ?कोई प्रभाव नहीं छोड़ती विशेषकर   अन्ना जी के मुख  से .आज युवा अन्ना जी को  एक आदर्श के रूप में देख रहे हैं .उन्हें कोई भी टिप्पणी करने से पूर्व यह विचार अवश्य   करना चाहिए कि मीडिया उसे किस तरह प्रचारित करेगा ?राहुल गाँधी जी पिछले  सात  वर्षों  से राजनीति  में सक्रिय  हैं पर आज तक उन्होंने सरकार में कोई पद नहीं स्वीकारा है .उनका ध्यान  शुरू से ही अपनी पार्टी के संगठन   को जमीनी स्तर से मजबूत करने पर रहा है .लोकपाल को लेकर राहुल जी की आलोचना में यह कहना कि ''  पी.एम्. बनने का सपना देख  रहें हैं '' या ''एक दिन  झोपडी में जाकर  रहने  से गरीबों  का दुखदर्द  नहीं समझा जा सकता ''जैसे कटाक्ष  करना राजनीति से प्रेरित  लगते हैं .अन्ना जी को सशक्त  लोकपाल हेतु शुरू किये गए अपने आन्दोलन को राजनीति से दूर ही रखना चाहिए .राहुल गाँधी जी पर सीधे प्रहार करने में तो विपक्ष ही काफी आतुर रहता है फिर  अन्ना जी क्यों  अपने को राजनैतिक पार्टियों का मोहरा  बना  रहे हैं ?अन्ना जी को इस  विषय में पुनर्विचार करना चाहिए वैसे   भी राहुल गाँधी जी अगर पी.एम्. बनने का सपना देख रहे हैं तो यह स्वाभाविक  ही है .प्रत्येक   व्यक्ति अपना कोई न  कोई लक्ष्य तो निर्धारित करता ही है और उनके समर्थक भी तो यही चाहते हैं .रही बात गरीबों के दुखदर्द को जानने की तो ये तो वे भी नहीं जानते जो खुद गरीबी से उठकर मंत्री-मुख्यमंत्री के पद पर सुशोभित होते हैं .इनके विषय में भी  तो कुछ कहना चाहिए अन्ना जी आपको !
                                              शिखा कौशिक 
                            [विचारों का चबूतरा ]

रविवार, 11 दिसंबर 2011

''लोकपाल ' पर खुली बहस में कॉँग्रेस को अवश्य शामिल होना चाहिए था

''लोकपाल  ' पर  खुली   बहस  में  कॉँग्रेस  को  अवश्य  शामिल  होना चाहिए था


अन्ना टीम द्वारा  जंतर  - मंतर   पर  आयोजित  ''लोकपाल  ' पर  खुली   बहस  में  कॉँग्रेस  को  अवश्य  शामिल  होना चाहिए था .चूंकि इस समय केंद्र में सरकार यू.पी.ए.की है जिसमे कॉँग्रेस एक प्रमुख पार्टी है इसलिए  कॉँग्रेस को ऐसे अवसर पर जनता के समक्ष भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना नजरिया जरूर व्यक्त करना चाहिए .अन्ना टीम जनता की प्रतिनिधि बन चुकी है जो वास्तव में हमारे सांसदों को होना चाहिए .अन्ना-आन्दोलन को मिला समर्थन वास्तव में भ्रष्टाचार से त्रस्त भारतीय जनता की हुंकार थी .लोकतंत्र में ऐसा आन्दोलन वास्तव में बहुत शर्म की बात है जबकि हमारे द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही सत्ता संभाल रहे हैं .क्यों नहीं रुक पा रहा भ्रष्टाचार ?क्यों जरूरत पड़ रही है लोकपाल की ?जबकि जनता के लोग ही शासन चला रहे हैं  बहुत गंभीरता  के साथ इन सवालों  पर विचार करने की जरूरत  है पर अफ़सोस सब सवाल-जवाब वहीँ के वहीँ धरे रह जाते हैं .अन्ना का आन्दोलन वास्तव में राष्ट्रीय राजनैतिक  पार्टियों पर से उठ चुके जनता के विश्वास को प्रदर्शित करता है .इसलिए जब भी मौका मिले राष्ट्रीय   राजनैतिक    पार्टियों    को   अपने   विचार    खुलकर   जनता  के सामने   रखने   चाहियें     .शशि   थरूर   जी    का  यह  कथन   कितना    सटीक है -
मुद्दा करप्शन नहीं है, हर कोई करप्शन के खिलाफ है। मुद्दा है करप्शन से किस तरह से निपटा जाए। कानून बनाने वालों को इस पर संसदीय बहस की जरूरत है।''सभी मुद्दे बातचीत से ही सुलझते हैं .यदि बी.जे.पी. के साथ साथ सभी अन्य  मुख्य   राजनैतिक  दल   यह मत रखते    है कि''-प्रधानमंत्री और संसद में सांसदों का आचरण लोकपाल के दायरे में आए। ''तो कॉग्रेस को  भी इस मत से सहमत होना चाहिए क्योंकि बी.जे.पी. मुख्य विपक्षी दल है और अन्य दलों  में भी  जनता  के चुने   हुए प्रतिनधि   हैं  इसलिए उनके मत का भी सम्मान किया जाना चाहिए .
          खुली बहस में सबको यह हक़ है कि वह अपने विचारों  को रखे  फिर  जनता यदि यही चाहती है तो कौंग्रेस को भी अपने तर्कों से जन-विश्वास प्राप्त करना चाहिए .संसद  भी जनता के प्रतिनिधियों के बहस का ही तो स्थान  है फिर खुली बहस में डर कैसा  ?बहस में हिस्सा न लेने पर कौंग्रेस  अपना पक्ष जनता के समक्ष नहीं रख पाती  है और इसे इस तरह प्रचारित किया जाता है जैसे  ''कॉँग्रेस '' का उद्देश्य भ्रष्टों को बचाना  है .
                   अन्ना टीम को भी केवल ''जन लोकपाल '' पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहिए .व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर कहे गए वक्तव्य  मुख्य विषय से ध्यान भटका  देते  हैं.भ्रष्टाचार मिटना चाहिए -एक बस यही लक्ष्य लेकर  चलें  तो सफलता जरूर मिलेगी अन्यथा यह आन्दोलन भी दिशाहीनता का शिकार हो जायेगा .
                                    शिखा कौशिक 

शनिवार, 10 दिसंबर 2011

ब्लोगिंग का महिला सशक्तिकरण में योगदान [भाग एक ]




ब्लोगिंग का महिला सशक्तिकरण  में योगदान [भाग  एक ]

आज ब्लोगिंग महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है .ब्लोगिंग ने अनेक महिलाओं को यह मौका दिया है कि वे अपने विचारों -भावनाओं से समाज को परिचित करा सकें .वे उन  मुद्दों पर लिख सकें जिन पर परिवार के पुरुष -''तुम क्या जानों इस बारे में ?'' कहकर उनकी मेधा  -प्रज्ञा  को अपमानित करते हैं .आज हमारी महिला ब्लोगर घर के भीतर के मुद्दों से लेकर विश्व में घट  रही राजनैतिक घटनाओं ,सामाजिक
सांस्कृतिक घटनाओं पर बेबाक लिख रही हैं .हमारी महिला ब्लोगर्स में कोई असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं-

[NISHA MAHARANA

मेरे बारे में

I work as an asst. proffesor in SSM B.Ed College. writing is my hobby.originally i belong to naugachia,bhagalpur.बिहार]
तो कोई सृजनात्मकता को अपना परिचय बताती  हुई लिखने को अपनी 
रुचि का नाम देती हैं -

shashi purwar

मेरे बारे में

birth place ..indore (m.p) I am a very strong person . laughing is my quality .always face any situation with smile.... it gives me strength .always like writing . ....!cool in nature.. always indulge in doing something creative . life is very creative . so i am always positive about life . शशि का अर्थ है चाँद , तो चाँद की तरह शीतलता प्रदान करने का नाम है जिंदगी . लिखना मेरी होबी है , कई पत्र पत्रिकाओ में कविता एवं लेख प्रकाशित हो चुके हैं .... लिखने की प्रेरणा मुझे मेरी माँ से मिली है .वही मेरी गुरु है .]

                   पर एक बात साफ  है कि हमारी महिला ब्लोगर्स द्वारा प्रस्तुत पोस्ट्स में निर्भीक रूप से सच्चाई   को उजागर किया जाता है .
इस सम्बन्ध में ''अजित गुप्ता जी '' का नाम विशेष रूप में लिया जा सकता है .उनकी दस माह पूर्व की इस पोस्ट  का शीर्षक ही इनकी निर्भीकता को प्रदर्शित करता है -''ममता बैनर्जी आप रेल मंत्री भी हैं! क्‍या 
                            डॉक्टर मोनिका शर्मा जी द्वारा प्रस्तुत हर पोस्ट में एक सटीक -तर्कपूर्ण नजरिये से सामयिक मुद्दे  को उठाया जाता है .इस पोस्ट को पढ़कर तो देखिये आप की  राय मुझसे भिन्न नहीं होगी -
''

भ्रष्टाचार की  तो हमारी महिला ब्लोगर्स ने अपनी कलम से इतनी कठोर 
आलोचना की है कि भ्रष्टाचार को स्वयं लज्जित होकर भाग जाना चाहिए 
इस सम्बन्ध में कुछ पोस्ट इस प्रकार प्रस्तुत की गयी -

आशा द्वारा Akanksha -3 महीने पहले पर पोस्ट किया गया

कहाँ रहे कैसे दिन बीते इसकी सुरती नहीं उनको भीग रहे उस फुहार में 

आकंठ लिप्त भ्रष्टाचार में | जब से बैठे कुर्सी पर उससे ही चिपक कर 

रह गए धन दौलत में ऐसे डूबे सारे आदर्श धरे रह गए | वे भूल गए ...

*सदियों से फलता-फूलता कारोबार : भ्रष्टाचार
कविता रावत द्वारा KAVITA RAWAT -7 महीने पहले पर पोस्ट किया गया

भ्रष्टाचार! तेरे रूप हजार सदियों से फलता-फूलता कारोबार देख

तेरा

 राजसी ठाट-बाट कौन करेगा तेरा बहिष्‍कार ! बस

नमस्कार, नमस्‍कार ! रुखी-सूखी खाने वालों को मिला बनकर

अचार इतना लजीज बन तू थाली में सजा कौन क...

*भ्रष्टाचार
Roshi द्वारा Roshi -1 महीने पहले पर पोस्ट किया गया
भ्रष्टाचार नाम का ज़हर तो है अंग अंग में समाया

कब और कैसे यह भीतर समाया, कोई भी न समझ

पाया जब हुआ नव शिशु का बीज कोख में पल्लवित

साथ ही यह आया शिशु लड़का है या लड़की फ़ौरन ही घर में यह

मसला गरमाया भ्रष्ट...

                                                   


neeraj tomer द्वारा truth difficult 2 accept -4

महीने पहले पर पोस्ट किया गया


‘भ्रष्टाचार’ की पल-पल खुलती पोल ने न केवल बड़ी-बड़ी

सियासी ताकतों को बेनकाब किया अपितु लोकतंत्र की जड़ों

को भी हिलाया दिया। वास्तविकता सामने आना और इस

अशुद्ध

चरित्र के विरूद्ध कोई कार्रवाई होना, दोनों अलग...



भ्रष्टाचार का सफाया करने हेतु श्री अन्ना जी  ने जो जन जागरण

अभियान   चलाया उसका हमारी महिला ब्लोगर्स ने पूर्ण

समर्थन  करते हुए अन्ना को दुसरे  गाँधी की उपाधि  से

विभूषित  भी किया -

*आया वापस गांधी है ... !!!!
सदा द्वारा SADA -3 महीने पहले पर पोस्ट किया गया

अन्‍ना तुम संघर्ष करो, हम तुम्‍हारें साथ हैं .. !!! वंदे

मातरम् .. !!!! इन शब्‍दों की बुलन्‍दी से मचा गगन में


शोर है ... ! सारा भारत अनेकता से एकता के सूत्र में बंध

गया है ... !! सत्‍य का य...


*   मैं भी अन्ना तू भी अन्ना
Anita द्वारा मन पाए विश्राम जहाँ -3 महीने पहले पर

 पोस्ट किया गया


मैं भी अन्ना तू भी अन्ना सोये हुए जन-जन में अन्ना फूंक

चेतना की चिंगारी,आत्मशक्ति के बल पर तुमने



भारत की तस्वीर संवारी ! रोटी से न जीता मानव  स्रोत

ऊर्जा का है भीतर, दिखा दिया संसार को सारेइतने

दिनों तक ज...                                                         


*श्री अन्ना हजारे
आशा द्वारा Akanksha -3 महीने पहले पर पोस्ट

किया गया

अपने हृदय की बात उसने , इस तरह सब से कही |

सैलाब उमढ़ा हर तरफ से , मंच की प्रभुता रही |



 ऊंचाई कोइ छू न पाया , आचरण ऐसा किया |

सम्मोहनात्मक भावनाओं से , भरम डिगने ना दिया |



अपनी बातों पर अडिग रहा , .  

                                                   

kase kahun?by kavita verma द्वारा कासे 

कहूँ? -3 महीने पहले पर पोस्ट किया गया


अन्ना हजारे जी का आन्दोलन देश के हर घर का

आन्दोलन बन गया है जिससे पता चलता हैकी सच में

लोग भ्रष्टाचार से किस कदर त्रस्त है. इस देश की

आबो हवा में बेईमानी इस तरह रच बस गयी है और

 बेईमानी करने के लिए लोग दिम...




न केवल भ्रष्टाचार बल्कि समस्याओं की जड़ -गरीबी -

आतंकवाद जैसे मुद्दों को भी महिला ब्लोगर्स ने

महत्वपूर्ण रूप से उठाया -

*[गरीबी ----- एक आकलन
Sadhana Vaid द्वारा Sudhinama ]                                      

  *   [ आतंकवाद की समस्या
Roshi द्वारा Roshi    ]                        



ये सब पोस्ट प्रमाण है आज की महिलाओं में  समाज -राष्ट्र-विश्व में घट रही घटनाओं के प्रति बढती जागरूकता  की .निश्चित रूप से ब्लोगिंग ने महिला-सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक व् सकारात्मक कदम बढ़ाने हेतु महिलाओं को प्रोत्साहित किया है .

                                 शिखा कौशिक

                       [विचारों का चबूतरा ]







गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

पूनम पांडे ढूंढें से भी नहीं मिलेगी इंटरनेट पर !

पूनम पांडे  ढूंढें से भी नहीं मिलेगी इंटरनेट पर !




फेसबुक व्  ट्विटर  जैसी  सोशल वेबसाईट    पर निगरानी को लेकर कपिल सिब्बल  जी  द्वारा  की गयी  पहल को अधिकांश यूजर्स  ने गलत रूप में लिया है .सबसे  ज्यादा हंसी तो मुझे तब आई जब पूनम पांडे ने भी इस पर आपत्ति जताई .जाहिर सी बात है यदि सरकार इंटरनेट पर से आपत्तिजनक सामग्री हटाने में सफल हो जाती है तो पूनम पांडे  तो ढूंढें से भी नहीं मिलेगी .शालीनता की सारी हदे पार करने वाली ऐसी मॉडल्स और अभिनेत्रियों ने स्त्री जाति का सिर शर्म से झुका दिया है .रोज किसी न किसी अशालीन कथन अथवा फोटो को लेकर ये चर्चा में बनी रहती हैं .एक वेबसाईट पर तो पूनम पाण्डें की नग्न तस्वीर का सहारा लेकर समस्त हिन्दू स्त्रियों को अपमानजनक शब्द लिखे गए थे .अब वीना मालिक की तस्वीर पर कोई  हिन्दू मुस्लिमों  को अभद्र  शब्द लिख दे तो पूनम व् वीना का तो मुफ्त में प्रचार हो गया और पढने वालों का दिमाग गर्म. फेसबुक व् ट्विटर जैसी सोशल वेबसाईट पर निगरानी के सम्बन्ध के मुद्दे   पर शेखर कपूर ने ट्वीट में कहा, सोशल मीडिया पर हर व्यक्ति क्षमतावान और प्रभावशाली है। यह सरकार के रखवालों को डरा रहा है। '


                              मैं इससे सहमत नहीं हूँ .मनमोहन सिंह जी व् सोनिया गाँधी जी की तस्वीरों को असभ्य तरीके से -अशालीन संवादों के साथ प्रस्तुत कर किस को डराया जा रहा है ?राहुल गाँधी जी पर बलात्कार का आरोप लगाकर किस सरकार का तख्ता पलट किया जा रहा है ?नेहरू -गाँधी परिवार का शजरा प्रस्तुत कर हर सदस्य पर अवैध  संबंधों का आरोप लगाकर किस लोकतंत्र की नीव रखी जा रही ?शरद पावर जी पर किये गए एक युवक के हमले को भगत सिंह के बलिदान से जोड़कर देश की सरकार को क्या सन्देश दे रहे हैं ?
आलोचना  व् विरोध की भी एक भाषा होनी चाहिए .यह नहीं कि इन वेबसाइटों का सहारा लेकर किसी भी व्यक्ति की अस्मिता  से खेला जा सके .शरद पावर जी पर हुए हमले का अवसरवादी लेखकों ने बहुत अभद्र शीर्षकों के साथ आलेख प्रस्तुत कर फ़ायदा उठाया .सुपर हिट पोस्ट का ख़िताब भी पा लिया पर उन्होंने यह नहीं सोचा कि शरद पावर जी के व्यक्तित्व  की गरिमा को वे कितनी चोट पहुंचा रहे हैं ? मुझे राहुल जी के एक बयाँ पर समर्थन में लिखे लेख पर ''कॉंग्रेस की चमची '' जैसे अपशब्दों से विभूषित किया गया .सरकार या कॉंग्रेस के पक्ष में लिखना पैसे लेकर लिखना है और विरोध में लिखना भगत सिंह बन जाना है .ऐसी सोच वाले भी हैं इंटरनेट यूजर्स में फिर कपिल जी का इन पर निगरानी रखने का विचार कहाँ से गलत है ?इतना जरूर है कि  किसी के विरोध में लिखें या पक्ष में -शालीनता बनी रहनी चाहिए .अभिव्यक्ति का गला घोटना न होकर यह एक सार्थक पहल  होगी ऐसा मेरा विश्वास  है क्योंकि मैं न तो अपनी अस्मिता के साथ कोई खिलवाड़ पसंद करती हूँ और न ही भारत के किसी भी सभ्य नागरिक की अस्मिता के साथ .पूनम पांडे जैसे  यूजर्स को  जरूर दिक्कत होगी और उन्हें  भी जो बिना किसी सोच-विचार के किसी के विषय में कुछ भी अनर्गल लिख देते हैं .
                                                 शिखा कौशिक 
                                [विचारों का चबूतरा ]
                            

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

मोबाईल मियां क़ा जलवा.

मोबाईल मियां क़ा जलवा




मोबाईल मियां पूरे चार्ज होकर ;सिल्क क़ा कुरता पायजामा पहन; पान चबाते हुए ,''जट -यमला-पगला -दीवाना ' की धुन पर झूमते हुए मेरे घर के सामने से निकले ही जा रहे थे कि मैंने उनको आवाज लगा दी --'मियां मोबाईल कैसे मिजाज हैं ?' तुरंत मुंह से पीक थूकते हुए बोले --''हमारे मिजाज क्या पूछते हो !हम तो हैं ही तंदुरुस्त .किसकी मजाल जो हमारे आगे बिना सिर झुकाए निकाल जाये ?हम तो कहते हैं जनाब जरा सी.बी.आई. जाँच करवा लो हर किसी की जेब में हम न हो तो हमारा नाम मोबाईल नहीं !हर घर,दफ्तर,कॉलेज ,सड़क --सब जगह हमारा ही जलवा है .कल तो मजा आ गया -पूछो क्यों ?....हमारे ही कारण एक शागिर्द ने अपने उस्ताद को धुन डाला .इसे कहते है असली मोहब्बत .सुबह;दोपहर;शाम .....और रात तक में मुझे साथ रखते हैं यानि पूजा के समय भगवान क़ा,भोजन के समय मनोरंजन क़ा शाम के समय प्रेमिका और रात के समय दिल के सबसे करीब क़ा फर्ज निभा रहा हूँ मैं .जनाब बड़े से बड़ा मंत्री हो या किसी दफ्तर क़ा चपरासी --सबके कान पर बस मैं ही मैं !मैं मेल हूँ या ....फीमेल ----इसकी खोज तो तुम ही करते रहो .............अब और सुनो -कितनी ही लड़कियां मुझ पर आई मिस कॉल से ही प्रेम रोगी हो गयी और इलाज के लिए प्रेमी के साथ घर-बार छोड़ कर फरार हो गयी .सुना है ...पंचायतें लड़कियों के साथ मेरी बढती घनिष्ठता  पर आँखे तरेर रही है ........पर जनाब कौन डरता है ?पंचायत के दौरान पञ्च-परमेश्वर की जेब में पड़ा मैं तो ठहाका लगाकर हँसता रहता हूँ .''''' मैंने मोबाईल मिया को समझाते हुए कहा ''मियां इतना इतराना अच्छा नहीं ...कहीं किसी दिन कोई उठाकर न पटक दे आपको .''' मोबाईल मियां मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोले '''मेरी फ़िक्र छोड़ो जनाब ....तुम्हरी जेब में मैं पड़ा बज रहा हूँ ....जरा देखो तो कौन है ?'' मैंने अपनी जेब से मोबाईल निकाला इतने में ही मोबाईल मियां मटकते हुए आगे खिसक लिए .


मोबाइल मियां का जलवा अब इस गीत में भी सुन लीजिये -

           

ये काम न करना था पर मैंने कर लिया 
यारों ने जिद किया था मोबाइल ले लिया .

वे बोले तू कंजूस है ;टच में नहीं रहता 
यारों के ऐसे ताने कैसे मैं सह लेता ?
ले  आया एक सैट  उसमे सिम भी डलवाया 

खुश होकर दोस्तों को नंबर भी बतलाया 
फिर घंटी दे देकर मुझको परेशान कर दिया .
यारों  ने जिद करी ....

रिंगटोन पर हुआ था घर में बड़ा झगडा 
बच्चों की पसंद थी इसमें पॉप और भंगड़ा ;
मैं बोला इसमें मन्त्र या चौपाई बजेगी 
पर लग गया था मुझको झटका बड़ा तगड़ा 
वाइफ ने उनके पक्ष में मतदान कर दिया 
यारों ने जिद करी थी .....
बेटा मैसेज करता रहता ; बेटी करती है चैट 
वाइफ के बात करने का टाइम है इस पर सैट 
ये बन गया है मेरा अब  दुश्मन नंबर -१
ये बजता  है तो लगता जैसे हो फटा बम 
मेहनत की कमाई को मिनटों  में पी गया 
यारों ने जिद ............
                                              शिखा  कौशिक  
[sabhi photo ''fotosearch.com'' se sabhar ]

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

रफ़्तार से चलेंगें -चाहें मारेंगें [speed thrills but kills ]



[bikewalls .com  से साभार ]


ये गीत है उन सभी के लिए जो अपने वाहन को  इतना तेज दौड़ते हैं कि न तो उन्हें अपनी जान की चिंता है और न ही किसी अन्य की .स्पोर्ट्स बाइक रखने वाले किशोर व् युवा तो मानो आसमान में उड़ जाना चाहते हैं -ये अलग बात है कि कभी वे खुद दुर्घटना का शिकार होते हैं तो कभी किसी अन्य की जान ले लेते हैं .किसी भी अन्य कारण की तुलना में  आज सबसे ज्यादा जानें सड़क दुर्घटनाओं में जा रही हैं .इसलिए अपने को नियंत्रित  कीजिये  क्योंकि  घर पर आपका कोई इंतजार करता होता है .हीरो बनने के चक्कर में न तो अपनी जान जोखिम में डालिए और न ही किसी और की जान लीजिये  .गीत में हीरों बनने वाले व्यक्ति की भावनाओं को ही प्रकट करने का प्रयास किया है -कहीं आप भी तो ऐसा नहीं सोचते -


रफ़्तार  से  चलेंगें -चाहें मारेंगें [speed thrills but kills ]




रोके से न रुकेंगें 
जो चाहेंगें करेंगें ;
अपनी स्पोर्ट्स बाइक 
लगती है वैरी नाईस;
इसपे चलेंगें रफ़्तार से 
सारी  दुनिया  जाये  भाड़  में .


अपनी रगों में नया खून है 
तेजी का हमपर जूनून है ;
धीरे चलना है मुश्किल 
चलते हैं ऐसे तो बुझदिल ;
हम तो उड़ेंगे बड़ी शान से 
दौड़ेंगें बन तूफ़ान से 
अपनी स्पोर्ट्स बाइक .........
सारी दुनिया .......


हीरो के जैसा स्टाइल है 
होठों पे रहती स्माइल है ;
हमको फ़िक्र न किसी बात की 
ना खबर दिन रात की ;
अपनी स्पोर्ट्स ......
कुछ तो करके रहेंगें 
मारेंगे या मरेंगें 
सारी दुनिया जाये भाड़ में .
                                 शिखा कौशिक 
                             [विख्यात ]


बुधवार, 30 नवंबर 2011

सोयी हैं जिनकी रूहें आओ उन्हें झंकझोर दें !

blindfolded lady with sword in right hand held vertically down to floor, and a set of balance scales in her left hand held neck high


कुछ दिन  पूर्व भारत के सर्वोच्च  न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  न्यायमूर्ति श्री  एस.एच.कपाडिया ने भ्रष्ट जजेस के नाम उजाकर करने की जनता से अपील की थी .इसके दो दिन बाद ही'' टीम अन्ना '' व् ''INDIA AGAINST CORRUPTION ''के मुख्य कार्यकर्ता  श्री अरविन्द केजरीवाल ने डॉक्टर किरण बेदी जी के  खिलाफ F .I .R .दर्ज कराने का आदेश देने वाले  जज पर दबाव में  ऐसा आदेश देने का आरोप  लगाकर न्याय के क्षेत्र  में बढ़ते  भ्रष्टाचार की ओर  सबका ध्यान आकृष्ट कर दिया . उन्होंने कहा कि -
 '' जज साहब ने 'फर्जी शिकायत पर किरन बेदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया इससे ऐसा लगता है कि वह दवाब में थे।'' 
 न्याय की गद्दी पर बैठे व् न्याय दिलवाने वाले ही भ्रष्ट हो जायेंगे तो  समाज को अपराध -अन्याय के  गहरे गर्त में जाने से कौन रोक सकता है ?आज यह जरूरी हो गया है जनता सजग बने .अन्याय का विरोध करे -


जो कलम रिश्वत की स्याही से लिखे इंसाफ को 
मुन्सिफों की उस कलम को आओ आज तोड़ दें .

जो लुटे इंसाफ की चौखट पे माथा टेककर;
टूटे हुए उनके भरोसे के सिरों को जोड़ दें . 

कितने में बिकते गवाह; कितने में मुंसिफ बिक रहे 
आओ चुप्पी तोड़कर इन सबका भांडा फोड़ दें .

जो जिरह के नाम पर लोगों की इज्जत तारते 
ए शिखा !उनसे कहो कि वे वकालत छोड़ दें .

इंसाफ की गद्दी पे बैठे हैं  , इसे  ही बेचते  
सोयी हैं जिनकी रूहें आओ उन्हें झंकझोर दें .

                                    शिखा कौशिक 

सोमवार, 28 नवंबर 2011

लिव-इन-रिलेशनशिप- भारतीय समाज में स्थान

लिव-इन-रिलेशनशिप- भारतीय समाज में स्थान

आज नव भारत टाइम्स की वेबसाईट पर यह खबर पढ़ी -

[नव-भारत टाइम्स से साभार ]

''लिव-इन पार्टनर ने खौलता तेल डाला


नई दिल्ली।। लिव-इन रिलेशनशिप में तकरार होने पर महिला ने अपने पार्टनर को खौलता हुआ तेल डालकर जला दिया। राहगीरों ने घायल को जीटीबी अस्पताल भर्ती कराया। पुलिस आरोपी औरत को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई कर रही है। पुलिस के मुताबिक, पेशे से प्रॉपर्टी डीलर संजय (33) दिल्ली के हर्ष विहार में रहता है। संजय ताहिरपुर इलाके में ममता के साथ काफि दिनों तक लिव-इन में रहा। कुछ दिनों पहले उसने ममता का साथ छोड़ दिया था और शादी कर ली। जब ममता को संजय की शादी के बारे में पता चला तो उसने अपने घर बुलाया। वह पहुंचा तो ममता उसे ऊपर वाले कमरे में बैठा कर चाय बनाने रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद एक पतीले में खौलता तेल लेकर आई और संजय के ऊपर डाल दिया। बुरी तरह से झुलस चुका संजय किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा। राहगीरों ने उसे जीटीबी अस्पताल पहुंचाया। 
जानकारी के मुताबिक, ममता शादीशुदा है लेकिन पिछले कुछ सालों सेवह पति से अलग रह रही है। हाल ही में हुई शादी के बाद संजय अब ममता से दूरियां बनाने लगा था। इस बात से वह खफा थी। नंदनगरी थाना मामले की जांच कर रही है''
                भारतीय समाज में ऐसी घटना हमें चौकाती है क्योकि हम मर्यादाओं को जीवन से भी अधिक महत्त्व देते हैं पर पिछले कुछ सालों में हमारे समाज में भी अमर्यादित आचरण बढ़ा है .हम मूक रहकर उन्हें स्वीकृति भी दे रहे हैं .''लिव-इन-रिलेशनशिप ''ऐसा ही एक अमर्यादित आचरण मात्र है .विवाह-संस्था को धता बताकर उन्मुक्त  होकर  रहना  और किसी भी समय ऊब कर एक -दूसरे को छोड़ देना लिव-इन-रिलेशनशिप का फंडा है .उदेश्य मात्र वासना पूर्ति और उत्तरदायित्वों से मुक्ति .
विवाह को हिन्दू धर्म में एक संस्कार का दर्जा दिया गया है .जन्म व् मृत्यु के बाद शायद सर्वाधिक महत्त्व सोलह संस्कारों में इसे ही दिया जाता है .इस्लाम  में पत्नी  को ''शरीक-ए हयात '' की पदवी प्रदान की गयी है व् निकाह  के समय ही मेहर तय कर स्त्री को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर दी जाती है .विवाहित स्त्री-पुरुष  को समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाना उन मर्यादाओं की महत्ता को प्रतिपादित करता  है जो भावी पीड़ी को समाज में वैध-संतान का दर्जा तो दिलवाता ही है .साथ ही व्यक्ति पर एक दबाव भी बनाता है कि-''यदि आप अवैध  सम्बन्ध बनाते हैं [स्त्री हो अथवा पुरुष ]तो आपके ऐसे संबंधों को समाज स्वीकार  नहीं करता है और न  ही ऐसे संबंधों से उत्पन्न संतान को वैध संतान की मान्यता दी जाती है .
                  संजय -ममता जैसे  लोग  समाज की सहानुभूति  नहीं बटोर  पाते  क्योंकि ये  स्वयं गलत  मार्ग पर हैं .ममता को अगर पहले विवाह में परेशानी का सामना करना पड़ा था तो उसे विधिवत तलाक लेकर संजय से विवाह करना चाहिए था .संजय को भी भारतीय समाज की मर्यादाओं का पालन करते हुए ममता के साथ सम्बन्ध रखने चाहिए थे और जब विवाह को मान्यता दे ही नहीं रहा था तो ममता को यूज कर छोड़ देना उसकी गिरी हुई हरकत ही कही जाएगी पर ममता जैसी स्त्रियाँ स्वयं पुरुष को अपने शोषण का मौका देती हैं फिर गर्म तेल से संजय को जलाकर किस बात का बदला लेना चाहती हैं ?यदि संबंधों की शुरुआत संजय ने ही की थी तब भी ममता को अपना शोषण करने का अधिकार उसे नहीं देना चाहिए था .वासना पूर्ति को बढ़ावा देने वाली और समाज को भ्रष्ट आचरण  की ओर ले  जाने  वाली ''लिव-इन रिलेशनशिप ''को भारतीय समाज में शायद ही कभी सम्मानीय स्थान मिल पाए .