ब्लोगिंग और ग़ालिब की शायरी [भाग-३ ]
कई बार तो ब्लोगर हताश होने लगता है.महत्वपूर्ण विषय पर लिखे आलेख पर एक या आधी ही टिप्पणी प्राप्त होती है वहीँ अर्थहीन आलेखों पर टिप्पणिओं की बौछार .दिल में एक आह! उठती है........सोचता है -क्यूँ न ब्लोगिंग को अलविदा ही कह दूं -
''आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक .''
ऐसी विषम परिस्थिति में कुछ ब्लोगर फरिश्तों के रूप में उसको साहस देने के लिए उपस्थित होते हैं .साहस देते हैं संघर्ष करने का .वे उसे मन्त्र बतलाते हैं -''न दैन्यं न पलायनं '.न किसी की टिप्पणी का इंतजार करो और न ब्लोगिंग से पलायन.वे कहते हैं ब्लोगिंग का तो मजा ही ये है-
''इशरते कतरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना ''
वे समझाते हैं किसी की टिप्पणी को लेकर अपने सिर में दर्द मत करो .लिखते रहो....लिखते रहो.....लिखते रहो -
''ग़ालिब बुरा न मान जो वाइस बुरा कहे
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे ''
वे अपना फलसफ़ा बताते हैं जिससे ''ब्लोगिंग छोड़ने ''का कुत्सित विचार फिर से ब्लोगर के ह्रदय में न आये-
''रोक लो गर गलत चले कोई
बख्श दो गर खता करे कोई ''
इस पर भी कोई दुष्ट पीछे पड़ ही जाये आपकी अच्छी-भली पोस्ट की धज्जियाँ उड़ाने के लिए तो धीरज रखिये-
''की वफ़ा हमसे तो गैर उसको जफा कहते हैं
होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं ''
-अंत में -
प्रत्येक ब्लोगर को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं ब्लोगिंग जानलेवा ही न बन जाये .आप खुद परखें आप में ये गंभीर लक्षण तो दिखाई नहीं दे रहे -
१-अच्छी पोस्ट लिखने पर जब टिप्पणी न मिले तो आप ऐसा महसूस करते हैं -
''आ के मेरी जान को करार नहीं है
ताकते-बेदादे-इंतजार नहीं है ''
२-आपकी अन्य गतिविधियाँ ठप्प पड़ गयी हैं बस हर समय ब्लोगिंग-ब्लोगिंग-ब्लोगिंग ही दिल-दिमाग पर छाई रहती है आप खुद को निक्कमा महसूस करने लगें है -
''इश्क ने 'ग़ालिब' निक्कमा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के ''
३-आप खाना-पीना यहाँ तक की सोना -हँसना तक भूलने लगे हैं ब्लोगिंग के तनाव में -
''आगे आती थी हाले दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती ''
यदि ऊपर वर्णित लक्षणों में से कोई भी लक्षण आप खुद में देखें तो अनुभवी ब्लोगर से जरूर सलाह ले क्योंकि ब्लोगिंग अनुभवी ब्लोगर्स की नजर में तो बस यही है -
''ये इश्क नहीं आसाँ बस इतना समझ लीजिये
इक आग का दरिया है और डूबते जाना है ''
समाप्त
शिखा कौशिक http://vicharonkachabootra.blogspot.com
18 टिप्पणियां:
बहुत ही मज़ेदार
ब्लॉगिंग के साथ गालिब की शायरी...शुक्रिया शिखा जी।
करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
bahut khoob ..wah wah..
'आ के मेरी जान को करार नहीं है
ताकते-बेदादे-इंतजार नहीं है ''
ye lkshan to sabhi blogars me dikhai dene hi lage hain .bahut badhiya
अनुभवी ब्लोगर तो कब के चल दिए,
अब तो नए बचे हैं, झेला करें,--
अंजाम तो तय है जिंदगी का रविकर--
चलते रहो, चलो, जमकर मेला करें--
जो होगा देख लेंगे, निपटेंगे--
अभी से क्यों कोई झमेला करें
लट्टू, किट-किट, पतंगबाजी और इश्क भी--
चलो अब ब्लागिंग का खेला करें ||
दिल पर न लेना --
जो आता है दिल में,
आन-लाइन लिख देता हूँ |
बहुत बढ़िया तालमेल किया है..... ज़बरदस्त
बहुत खूब ब्लॉग लिखने वालों को टिप्स के साथ ही -साथ ग़ालिब की शायरी भी पढ़ने को मिल गई
ghalib ki shaayeri aur aapka lekhan maja aa gaya Shikha bada kabile taareef hai yun andaaje bayan karna.
बहुत खूब
उन्होंने तो सुना दिया तफसील से अपना हालये दिल
जब ग़ालिब की बारी आयी तो जनाब धीरे से सरक लिए
एक शेर की दरकार कहीं और है !
ब्लोगिंग को ग़ालिब से जोड़ना अच्छा लगा इस बहाने आपने टिप्पणियों का जिक्र कर दिया सराहनीय प्रयास बधाई ....
bahut sundar hai prastuti
आप पोस्ट लिखने में मेहनत करती हैं ये आपकी पोस्ट पढ़ कर लगता है.
very very nice post.
अरे वाह, मजा आ गया।
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तांत्रिक शल्य चिकित्सा!
…ये ब्लॉगिंग की ताकत है...।
सचमुच मजा आ गया...क्या शानदार प्रस्तुतिकरण किया है..लाजबाव!!!
मैं न अच्छा हुआ ,बुरा न हुआ ,
आज ग़ालिब ग़ज़ल सरा न हुआ .
ये बात आपकी सही है -
कहीं ब्लॉग पे कुम्भ है ,
कहीं बिलकुल घुप्प हैं
bahut hi badiya..
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