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बुधवार, 30 नवंबर 2011

सोयी हैं जिनकी रूहें आओ उन्हें झंकझोर दें !

blindfolded lady with sword in right hand held vertically down to floor, and a set of balance scales in her left hand held neck high


कुछ दिन  पूर्व भारत के सर्वोच्च  न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  न्यायमूर्ति श्री  एस.एच.कपाडिया ने भ्रष्ट जजेस के नाम उजाकर करने की जनता से अपील की थी .इसके दो दिन बाद ही'' टीम अन्ना '' व् ''INDIA AGAINST CORRUPTION ''के मुख्य कार्यकर्ता  श्री अरविन्द केजरीवाल ने डॉक्टर किरण बेदी जी के  खिलाफ F .I .R .दर्ज कराने का आदेश देने वाले  जज पर दबाव में  ऐसा आदेश देने का आरोप  लगाकर न्याय के क्षेत्र  में बढ़ते  भ्रष्टाचार की ओर  सबका ध्यान आकृष्ट कर दिया . उन्होंने कहा कि -
 '' जज साहब ने 'फर्जी शिकायत पर किरन बेदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया इससे ऐसा लगता है कि वह दवाब में थे।'' 
 न्याय की गद्दी पर बैठे व् न्याय दिलवाने वाले ही भ्रष्ट हो जायेंगे तो  समाज को अपराध -अन्याय के  गहरे गर्त में जाने से कौन रोक सकता है ?आज यह जरूरी हो गया है जनता सजग बने .अन्याय का विरोध करे -


जो कलम रिश्वत की स्याही से लिखे इंसाफ को 
मुन्सिफों की उस कलम को आओ आज तोड़ दें .

जो लुटे इंसाफ की चौखट पे माथा टेककर;
टूटे हुए उनके भरोसे के सिरों को जोड़ दें . 

कितने में बिकते गवाह; कितने में मुंसिफ बिक रहे 
आओ चुप्पी तोड़कर इन सबका भांडा फोड़ दें .

जो जिरह के नाम पर लोगों की इज्जत तारते 
ए शिखा !उनसे कहो कि वे वकालत छोड़ दें .

इंसाफ की गद्दी पे बैठे हैं  , इसे  ही बेचते  
सोयी हैं जिनकी रूहें आओ उन्हें झंकझोर दें .

                                    शिखा कौशिक 

सोमवार, 28 नवंबर 2011

लिव-इन-रिलेशनशिप- भारतीय समाज में स्थान

लिव-इन-रिलेशनशिप- भारतीय समाज में स्थान

आज नव भारत टाइम्स की वेबसाईट पर यह खबर पढ़ी -

[नव-भारत टाइम्स से साभार ]

''लिव-इन पार्टनर ने खौलता तेल डाला


नई दिल्ली।। लिव-इन रिलेशनशिप में तकरार होने पर महिला ने अपने पार्टनर को खौलता हुआ तेल डालकर जला दिया। राहगीरों ने घायल को जीटीबी अस्पताल भर्ती कराया। पुलिस आरोपी औरत को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई कर रही है। पुलिस के मुताबिक, पेशे से प्रॉपर्टी डीलर संजय (33) दिल्ली के हर्ष विहार में रहता है। संजय ताहिरपुर इलाके में ममता के साथ काफि दिनों तक लिव-इन में रहा। कुछ दिनों पहले उसने ममता का साथ छोड़ दिया था और शादी कर ली। जब ममता को संजय की शादी के बारे में पता चला तो उसने अपने घर बुलाया। वह पहुंचा तो ममता उसे ऊपर वाले कमरे में बैठा कर चाय बनाने रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद एक पतीले में खौलता तेल लेकर आई और संजय के ऊपर डाल दिया। बुरी तरह से झुलस चुका संजय किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा। राहगीरों ने उसे जीटीबी अस्पताल पहुंचाया। 
जानकारी के मुताबिक, ममता शादीशुदा है लेकिन पिछले कुछ सालों सेवह पति से अलग रह रही है। हाल ही में हुई शादी के बाद संजय अब ममता से दूरियां बनाने लगा था। इस बात से वह खफा थी। नंदनगरी थाना मामले की जांच कर रही है''
                भारतीय समाज में ऐसी घटना हमें चौकाती है क्योकि हम मर्यादाओं को जीवन से भी अधिक महत्त्व देते हैं पर पिछले कुछ सालों में हमारे समाज में भी अमर्यादित आचरण बढ़ा है .हम मूक रहकर उन्हें स्वीकृति भी दे रहे हैं .''लिव-इन-रिलेशनशिप ''ऐसा ही एक अमर्यादित आचरण मात्र है .विवाह-संस्था को धता बताकर उन्मुक्त  होकर  रहना  और किसी भी समय ऊब कर एक -दूसरे को छोड़ देना लिव-इन-रिलेशनशिप का फंडा है .उदेश्य मात्र वासना पूर्ति और उत्तरदायित्वों से मुक्ति .
विवाह को हिन्दू धर्म में एक संस्कार का दर्जा दिया गया है .जन्म व् मृत्यु के बाद शायद सर्वाधिक महत्त्व सोलह संस्कारों में इसे ही दिया जाता है .इस्लाम  में पत्नी  को ''शरीक-ए हयात '' की पदवी प्रदान की गयी है व् निकाह  के समय ही मेहर तय कर स्त्री को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर दी जाती है .विवाहित स्त्री-पुरुष  को समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाना उन मर्यादाओं की महत्ता को प्रतिपादित करता  है जो भावी पीड़ी को समाज में वैध-संतान का दर्जा तो दिलवाता ही है .साथ ही व्यक्ति पर एक दबाव भी बनाता है कि-''यदि आप अवैध  सम्बन्ध बनाते हैं [स्त्री हो अथवा पुरुष ]तो आपके ऐसे संबंधों को समाज स्वीकार  नहीं करता है और न  ही ऐसे संबंधों से उत्पन्न संतान को वैध संतान की मान्यता दी जाती है .
                  संजय -ममता जैसे  लोग  समाज की सहानुभूति  नहीं बटोर  पाते  क्योंकि ये  स्वयं गलत  मार्ग पर हैं .ममता को अगर पहले विवाह में परेशानी का सामना करना पड़ा था तो उसे विधिवत तलाक लेकर संजय से विवाह करना चाहिए था .संजय को भी भारतीय समाज की मर्यादाओं का पालन करते हुए ममता के साथ सम्बन्ध रखने चाहिए थे और जब विवाह को मान्यता दे ही नहीं रहा था तो ममता को यूज कर छोड़ देना उसकी गिरी हुई हरकत ही कही जाएगी पर ममता जैसी स्त्रियाँ स्वयं पुरुष को अपने शोषण का मौका देती हैं फिर गर्म तेल से संजय को जलाकर किस बात का बदला लेना चाहती हैं ?यदि संबंधों की शुरुआत संजय ने ही की थी तब भी ममता को अपना शोषण करने का अधिकार उसे नहीं देना चाहिए था .वासना पूर्ति को बढ़ावा देने वाली और समाज को भ्रष्ट आचरण  की ओर ले  जाने  वाली ''लिव-इन रिलेशनशिप ''को भारतीय समाज में शायद ही कभी सम्मानीय स्थान मिल पाए .

शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

केंदीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार जी को अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए !

                  sharad-pawar.jpg  harvinder-singh.jpg


जनता की भावनाओं को समझते हुए केंदीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार जी को अपने पद से इस्तीफ़ा  दे  देना  चाहिए  .यही लोकतंत्र  की जीत  होगी  .उन्हें  यह  समझना  चाहिए कि कल जो घटना उनके साथ हुई उसमे केवल वह व्यक्ति  ही  दोषी  नहीं है  जिसने  कानून  हाथ में लिया उससे ज्यादा  दोषी वे हैं जो जनता की अपेक्षाओं   पर   खरे नहीं उतरे .जनता का  एक   भी व्यक्ति यदि  अपनी   जिन्दगी   को दाव  पर लगाकर  ऐसी  घटना को अंजाम  दे रहा  है तो निश्चित रूप से कही न कही आप अपने कर्तव्यपालन में चूकें  हैं .यदि यह विरोधियों की  चाल  भी है तो आपको इस्तीफ़ा देकर जनता में यह सन्देश पहुँचाना चाहिए कि बढती महगाई से आक्रोशित होकर गलत कदम न उठाए जनता .यदि जनता ऐसा करती है तो कर्तव्यनिष्ठ  नेता  इस्तीफ़ा भी दे सकता है .
                                                शिखा कौशिक 

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

सही तरीका अपनाएं विरोध का - अब फैसला आपके हाथ में है

सही तरीका अपनाएं विरोध का - अब फैसला  आपके हाथ में है
दिल्ली में केंद्रीय मंत्री शरद पवार पर हमला
सभी भारतीयों को शरद पावर जी पर किये गए हमले की आलोचना ही करनी चाहिए .महगाई को लेकर सभी त्रस्त हैं लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि हम देश का कानून हाथ में ले लें .ये कोई तरीका नहीं है विरोध करने का .जूता अरविन्द केजरीवाल पर उछाला गया हो अथवा चिदंबरम पर -दोनों ही घटनाएँ भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी थी .अन्ना जैसे महान समाज सेवी का शरद जी के साथ हुए अशोभनीय व्यवहार पर यह कहना कि-''एक ही थप्पड़ मारा ?उनका ऐसी घटनाओं को अपना समर्थन देना है जो आगे चलकर घातक रूप ग्रहण कर सकती हैं .अन्ना क्या यह बता पाएंगे कि यदि कल को सभी असंतुष्ट युवक ऐसा ही हिंसक कार्य करने हेतु निकल पड़े तो कौन जिम्मेदारी लेगा ? ये ठीक है कि हम विरोध करें पर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ करके तो नहीं . मुलायम सिंह जी ने इस घटना की निंदा तो कि पर यह कहकर भ्रमित युवाओं को ऐसा पुन: करने के लिए प्रोत्साहित भी कर दिया कि -' महगाई को लेकर देश के युवाओं में गुस्सा है '' .भारतीय जनता पार्टी  ने भी मुलायम सिंह जी के बयान का समर्थन कर देश के युवाओं को भ्रमित करने का कार्य किया है .हम सभी जानते हैं कि अवसरवादी नेता इस समय ऐसे आक्रोश को बढ़ावा देकर अपना ही उल्लू सीधा करेंगें पर सत्ता में आकर वे भी यही करेंगें .
                          भारतीय युवा आज बेरोजगारी के दंश से बुरी तरह त्रस्त है .कोई भी राजनैतिक दल अपने फायदे  के लिए युवा वर्ग को बहका सकता है .सावधान व् सतर्क रहने की आवश्यकता है .हमें वर्तमान समस्याओं को सुलझाना है पर अपने भविष्य को दाव पर लगाकर नहीं .एक मंत्री पर हमला कर देने अथवा चप्पल-जूते फेंक देने से यह समस्याएं सुलझने वाली नहीं है .इसके लिए  योजनाबद्ध तरीके से अहिंसात्मक आन्दोलन की आवश्यकता है .दुःख की बात यह है कि स्वयं को गाँधी जी का अनुयायी कहने वाले अन्ना ने इस हिंसात्मक घटना पर चुटकी कैसे ली ?जबकि जन-लोकपाल बिल के समर्थन में उन्होंने स्वयं गाँधी जी के अहिंसा के मार्ग की सफलता को परख लिया है .अब फैसला आपके हाथ में है .किसी पर भी अंध  विश्वास न करें .सही तरीका अपनाएं विरोध का .

                                                                 जय हिंद !जय भारत !
                                                                           शिखा कौशिक 
                                                       [विचारों का चबूतरा ]

शनिवार, 19 नवंबर 2011

प्रतिष्ठित समाचार पत्रों की वेबसाइट्स पर महिलाओं की अशालीन तस्वीरों -वीडियों व् ख़बरों का प्रदर्शन ]


 [अनेक प्रतिष्ठित समाचार पत्रों की वेबसाइट्स पर जिस प्रकार महिलाओं के अशालीन तस्वीरों ,विडियोस व् ख़बरों का प्रदर्शन किया जा रहा वह अत्यंत निंदनीय है .मैंने नीचे दिए इ मेल पर अपनी  शिकायत भेजी है .देखते हैं क्या होता है ? पूनम पाण्डेय जैसी विक्षिप्त मॉडल के विडियोस और तस्वीरों को अपनी वेबसाईट पर स्थान देना इन प्रतिष्ठित समाचार पत्रों को शोभा नहीं देता पर ये बिना किसी मर्यादित सोच के ऐसे विडियोस व् तस्वीरों को प्रदर्शित कर रहे हैं .आप भी अपने स्तर से आवाज उठाएं और जो भी सकारात्मक पहल इस सम्बन्ध में की जा सकती है उससे सभी को अवगत  कराएँ  .]


.[विषय-प्रतिष्ठित समाचार पत्रों की वेबसाइट्स पर महिलाओं की अशालीन तस्वीरों -वीडियों व् ख़बरों का  प्रदर्शन   ]    

सेवा में 


The Secretary,
Press Council of India,
Soochna Bhavan, 8-C.G.O. Complex,
Lodhi Road, New Delhi-110003

     
                                                                

                महोदय 
                                        सविनय निवेदन है कि अनेक प्रतिष्ठित समाचार  पत्रों की वेबसाइट्स पर जिस प्रकार  महिलाओं की अशालीन तस्वीरों -वीडियों व् ख़बरों का  प्रदर्शन किया जा रहा है उस पर तुरंत रोक लगाने  की कृपा करें  . इन पर प्रदर्शित अशालीन सामग्री तो पोर्न वेबसाइट्स को भी मात कर रही है . मीडिया समाज को सही दिशा में अग्रसर करने  में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है .यदि वह ही मर्यादाओं का उल्लंघन स्वार्थ  के वशीभूत होकर करेगा तो उसपर भी नियंत्रण की कार्यवाही होनी ही चाहिए .''भारतीय नारी '' ब्लॉग की और से यह मेरी प्रार्थना है की आप शीघ्र अति शीघ्र इस विषय में संज्ञान लेकर कार्यवाही करें 
                                                                                               भवदीय 
                                                                          शिखा कौशिक 
                                                    [व्यवस्थापक -भारतीय नारी ब्लॉग ]

[इस ई मेल पर भेजी है शिकायत -,pcibppcomplaint@gmail.com,   ]

बुधवार, 16 नवंबर 2011

राहुल गाँधी जी के बयान पर तूफ़ान -एक षड्यंत्र

राहुल गाँधी जी के बयान  पर तूफ़ान -एक षड्यंत्र 

                                   


राहुल गाँधी जी के हर बयां को लेकर जो तूफ़ान खड़ा कर दिया जाता है वो हमारे समाज को दिशाहीनता की ओर अग्रसर करने वाले विपक्षी नेताओं व् बुद्धिजीवियों का  षड्यंत्र ही नजर आता है.''कब तक महाराष्ट्र में जाकर भीख मांगोगे या पंजाब  में जाकर काम  ?'' बयान के पीछे उनकी भावना केवल उत्तर प्रदेश के विकास की अवरूद्ध गति को गति प्रदान करने की थी न कि उत्तर प्रदेश के नागरिको का अपमान करने की भावना या देश में विघटन -क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने की भावना .पर देखने में आता है कि स्वयं को चर्चा में लाने के लिए अवसरवादी नेता राहुल जी के बयानों को गलत मोड़  देकर जनता को भड़काने का प्रयत्न करते हैं .केवल राहुल जी ही नहीं अनेक बड़े नेता इस दुश्प्रवर्ती का शिकार होते रहते हैं . मीडिया को चाहिए कि ऐसे अवसरवादी नेताओं के बयानों को ज्यादा महत्त्व न देकर सकारात्मक भूमिका निभाते हुए समाज के सामने सटीक ख़बरों को ही प्रस्तुत करे .''भीख मांगना '' हमारी भाषा में अपने स्वाभिमान  को एक ओर रखकर कोई काम करना भी है ..केवल कटोरा हाथ में लेकर भीख मांगना नहीं .अन्य राज्यों में उत्तर प्रदेश के नागरिकों के साथ जो व्यव्हार किया  जाता है उसे कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति स्वीकार नहीं कर सकता पर अपने प्रदेश में जब रोजगार न मिले तो क्या करे ? इसलिए राहुल जी ने जो शब्द कहे हैं वो केवल हमारा दर्द जानने वाला नेता ही कह सकता है .इस लिए उनके बयान को मुद्दा बनाकर स्वार्थ की रोटी सकने वालों को अपने इस कर्म पर शर्मिंदा होना चाहिए .जनता का हित देखने वाले ऐसा कर्म नहीं कर सकते .


                                                      शिखा कौशिक 
                                [विचारों   का   चबूतरा  ]
[

रविवार, 13 नवंबर 2011

ईट का जवाब पत्थर से दें !

ईट का जवाब पत्थर से दें !

                                               
                                                 [in wikipedia se sabhar ]
''.......मियां जी  एक थप्पड़ ही तो लग गया है मेरे हाथ से आपके गाल पर गलती से ...अब माफ़ भी कर दो .इस के कारण  हमारे आपसे ताल्लुकात में कोई फर्क नहीं आना चाहिए .आना-जाना,उठना -बैठना ,लेना-देना -सब पहले जैसा ही चलता रहना चाहिए .'' लाट साहब ने अपनी टाई की नॉट  कसते हुए और हाथ बढ़ाते हुए कहा .मियां जी गाल सहलाते हुए बोले ''......अब हटिये भी लाट साहब .कहाँ हम -कहाँ आप .आपने मुझको  भारत और खुद को अमेरिका समझ रखा है क्या ?आप थप्पड़ मारें जाएँ और मैं माफ़ करता जाऊ .हम तो ईट का जवाब पत्थर से देते हैं ......''और इसके बाद मियां जी ने फार्मूला-१ रेस की कार की गति से हाथ उठाया और एक जोरदार तमाचा लाट साहब के गोरे गाल पर रसीद कर दिया .


[[पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम जी के अमेरिका द्वारा किये  गए अपमान का जवाब भी तो  ''भारत  सरकार  को  मियां   जी की   तरह ही   देना चाहिए ना ?]
                                                     शिखा कौशिक 

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

क्यों न ''भारत रत्न'' चुनने का अधिकार भी भारतीय जनता को प्रदान किया जाये ?

क्यों न ''भारत रत्न'' चुनने का अधिकार भी भारतीय जनता को प्रदान किया जाये ?



sushma.jpgभूपेनदा (भूपेन हजारिका) भारत के महान सपूत थे। मैं प्रधानमंत्री से निवेदन करूंगी कि उन्हें भारत रत्न से नवाजा जाए।-श्रीमती सुषमा स्वराज [twitter -९/11/11]
                    
              
क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न दिए जाने की मुहीम कुछ माह पहले काफी जोर पकड़ रही  थी  .हमारे कुछ ब्लोगर्स ने उनके पक्ष-विपक्ष में सराहनीय पोस्ट भी लिखी थी .कल सुषमा जी ने ''भूपेन दा'' को 'भारत रत्न' दिए जाने की मांग ट्विटर पर उठाकर एक नया मुद्दा सोच-विचार हेतु हम सब के समक्ष रख दिया है .बहुत समय से हमारे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भी 'भारत रत्न दिए जाने का मुद्दा उठाया जाता रहा है .
                           यदि पूर्व में घटी घटनाओं पर एक नजर डालें तो यह तथ्य भी प्रकट होता है कि इस पुरस्कार के निर्धारण में राजनीति भी खेली जाती है .हमारे महान स्वतंत्रता सेनानी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के परिजनों ने ''बहुत देर से यह सम्मान '' नेता जी को दिए जाने पर वापस लौटा दिया था . ऐसे में जब भी कोई  इस सम्मान को किसी व्यक्ति विशेष को दिए जाने की मांग उठाता है तब दूसरा पक्ष किसी दूसरे को दिए जाने की वकालत करता है .राजनैतिक पार्टियाँ तो अक्सर  इसमें भी अपना हित तलाशने लगती हैं .
                  एक विचार मस्तिष्क में आया है जिसे आप सभी से साझा करना चाहती हूँ क्यों न ''भारत रत्न'' चुनने का अधिकार भी भारतीय जनता को प्रदान किया जाये ?सरकार किसी वर्ष विशेष में ''भारत रत्न '' के लिए दस नामों को चुने और हमें यह अधिकार दिया जाये कि हम उनमें से किसी एक को उस वर्ष के लिए ''भारत रत्न '' चुने .ऐसी प्रक्रिया से इस सर्वोच्च  सम्मान की गरिमा बची  रहेगी और हमारे लोकतान्त्रिक देश की प्रतिष्ठा  में चार चाँद लग जायेंगें .आपका क्या विचार है?
                                                 शिखा कौशिक 



रविवार, 6 नवंबर 2011

इंटरव्यू-साक्षात्कार


इंटरव्यू-साक्षात्कार 
Businesswoman Meeting with Businessman Photo (42-19752177)
[google se sabhar]
टी.वी. के   एक कार्यक्रम में प्रस्तुतकर्ता---''दर्शकों आज हम लेकर आये हैं एक अलग -हटकर इंटरव्यू .एक ओर हैं भारत के सबसे अमीर व्यक्ति ''श्री अमीर'' और दूसरी ओर है भारत  क़ा ''सबसे गरीब व्यक्ति ' बेचारा गरीब.''' अब हम इनसे कुछ  प्रश्न करके जानेगे क़ि श्री अमीर कितने सुख से जीवन बिताते हैं और बेचारा गरीब कितना दुखी रहता है?
प्रश्न१---आप दोनों यह बताये की  कितनी देर सो पाते है  रोज?


श्री अमीर--सच बताऊँ कभी-कभी मैं इतना व्यस्त रहता हूँ क़ि दिन भर में एक घंटे भी नहीं सो पाता.कभी इतना तनाव हो जाता है क़ि ए.सी. की ठंडक में और नरम-गरम गद्दे-लिहाफ से भी गर्मी-सर्दी में सुकून की नीद नहीं आती.


बेचारा गरीब--मैं तो किसी भी पेड़ की छाव में गर्मी व् अलाव जलाकर सर्दी में गहरी नीद में सो जाता हूँ. अब मेरी जेब में तो फूटी कौड़ी भी नहीं होती इसलिए  डर या तनाव कैसा.मुझे न कुछ खोने की चिंता और न कुछ सँभालने क़ा तनाव.[इसके साथ ही उसका जोरदार ठहाका ]


प्रशन२-- आप दोनों को खाने में क्या-क्या पसंद है?
श्री अमीर-अजी छोडये....ये प्रश्न ..पसंद नापसंद तो तब मायने रखता है जब मैं अपनी इच्छा से कुछ खा सकू.डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर ;डिप्रेशन और भी न जाने कितनी मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हूँ.डाक्टर के निर्देशानुसार सुबह शाम दवाइयां खाता हूँ .....जिन्दा हूँ!
बेचारा गरीब--मुझे तो सभी पकवान पसंद हैं.हलवा-पूरी.समोसे;चाट. जब भी मौका लगता है  जी भर कर खाता हूँ.


प्रशन३-अपने परिवार को कितना समय दे पाते है?
श्री अमीर--कई-कई महीने परिवार से नहीं मिल पाता.पत्नी सामाजिक कार्यों से बाहर जाती रहती है.बेटा अमेरिका में रहता है ,बेटी कनाडा में पढती  है .न मेरे पास समय है और न उनके पास.साल में एक दिन किसी तरह निकाल  कर साथ बीता लेते है.
बेचारा गरीब--अजी हमारा क्या?....हम सब तो साथ-साथ मजदूरी करते हैं,काम के साथ बतियाते भी रहते है.साथ बैठकर खाना खाते है.सारा परिवार साथ ही रहता है.


प्रशन४-- आगे जिन्दगी में क्या पाना चाहते है?
श्री अमीर-और दौलत;शोहरत .......नहीं...नहीं......थोडा सुकून,परिवार क़ा साथ ;अच्छा स्वास्थ्य .
बेचारा गरीब---मैं तो संतुष्ट हूँ.कुछ पाने के चक्कर में तो सब आराम ही हराम हो जाता है मेरा तो बस एक ही मन्त्र है''दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ'''.
प्रशन५--किस से  डरते है?


श्री अमीर-सब कुछ लुट जाने से.
बेचारा गरीब--किसी से नहीं.है ही क्या मेरे पास जो लुट जायेगा.मैं खुश हूँ.थोडा खाता हूँ पर आनंद  से,कुछ लुट जाने क़ा डर नहीं--सुकून ही सुकून हैं.


प्रस्तुतकर्ता---तो दर्शकों आपने आज के साक्षात्कार  की बातों से जान ही लिया होगा की बेचारा अमीर भी कितना गरीब है और श्री गरीब कितना सुखी है.साक्षात्कार  कैसा लगा ?जरूर बताइयेगा.

                                            शिखा कौशिक 

गुरुवार, 3 नवंबर 2011

जनता आखिर कब तक देखेगी ऐसे युवाओं की हत्या ?


जनता आखिर कब तक देखेगी  ऐसे युवाओं की हत्या ?


                                         लड़कियों को बचाने में गई इनकी जान1
                                             [कीनन व् रयूबेन की बहादुरी को शत-शत नमन ]
मुंबई में दो युवाओं की  गोली मारकर खुलेआम भीड़ के सामने हत्या कर दी गयी .कारण - वे क्लब में एक शराबी द्वारा लड़कियों से की जा रही छेड़कानी  का विरोध कर रहे थे .कीनन व् रयूबेन ने वही किया जो एक सभ्य नागरिक का कर्तव्य था.पुरस्कार  स्वरूप   उन दोनों को  मिली   मौत सारी जनता के सामने . ऐसा क्यों होता है कि आम जनता के सामने ऐसे अपराध होते हैं और वो निष्क्रिय  बनी रहती है .भीड़ मिल कर ऐसे हत्यारों को वही मौत के घाट उतार सकती है पर ....ऐसा नहीं होता .'' बस'' हो अथवा अन्य कोई सार्वजानिक स्थान लड़कियों के साथ खुलेआम बदतमीजी की जाती है पर उपस्थित जनता ''हम किसी और के मामले में क्यों पड़े ?'' सोचकर ऐसे अपराधों  को मौन स्वीकृति दे देते हैं .जनता मिल कर ऐसे अपराधों पर निर्णायक रोक लगा सकती है पर पहल तो हमें खुद से ही करनी होगी न !वरना हमारी आँखों के सामने कीनन व् रयूबेन जैसे युवाओं को ऐसे अपराधी मौत की नींद सुलाते रहेंगे .
                                                         शिखा कौशिक