फ़ॉलोअर

बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

ये है मिशन लन्दन ओलंपिक !

Stock Image : Olympic medals


आठ साल बाद मिला है मौका .
लक्ष्य हो बस ओलंपिक पुरुष हॉकी GOLD !
भारतीय पुरुष हॉकी टीम को हार्दिक शुभकामनायें !
[यू ट्यूब  पर मेरे द्वारा रचित व् स्वरबद्ध यह  गीत  भारतीय हॉकी टीम को प्रोत्साहित करने वाली भावनाओं से ही ओतप्रोत है .आप सुने व् सुनाएँ .स्वयं भी गायें .]
ये  है मिशन  लन्दन ओलंपिक 
[फेसबुक पर मैंने यह पेज  बनाया  है आप इसे लाइक कर सकते हैं .]
YE HAI MISSION LONDON OLYMPIC !

                                                                   शिखा कौशिक

शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

''एग्जाम फोबिया ''

google se sabhar



परीक्षाएं निकट आते ही विद्यार्थी वर्ग सदैव से तनाव में आ जाता है .थोडा तनाव जायज भी क्योंकि यह अध्ययन  के प्रति हमें गंभीर बनाता है .माता-पिता की अपेक्षाएं ;गुरुजन की अपेक्षाएं और सबसे बढ़कर हमारी स्वयं की स्वयं से अपेक्षाएं .ऐसे में यदि विद्यार्थी ने साल भर पढाई में लापरवाही बरती हो तो वह बहुत अधिक तनाव में आ जाता है .फेसबुक -ट्विटर जैसी सोशल वेबसाइट्स ने भी विद्यार्थी वर्ग की एकाग्रता को भंग किया है .कभी कभी बहुत पढाई में लगे रहने वाले भी परीक्षा आते ही भ्रमित  से हो जाते है .उस पर यदि माता-पिता भी विद्यार्थी के परीक्षा में मिलने वाले नंबरों से अपनी प्रतिष्ठा को जोड़ ले तो विद्यार्थी गहरे अवसाद का शिकार हो जाता है .आज के मनोचिकित्सक इसे  ''एग्जाम  फोबिया  '' का नाम देते हैं .इससे बचने का सर्वोतम उपाय है -


*परीक्षा की बेहतर तैयारी 
*टाइम मनेजमेंट का कड़ाई से पालन 
*माता-पिता का सहयोगी व्यवहार 
*रिलेक्स रहना 


                                 ये गीत इन्ही भावों को प्रकट करता है -
[स्व -रचित  गीत मेरी आवाज़ में ]


   परीक्षा के मौसम में ये क्या हो गया ?
भूख मर गयी ;चैन खो गया ;
हो गया..हो गया ...एग्जाम फोबिया !


मम्मी  -पापा भेजते स्कूल जबरदस्ती ;
खोलते किताब हमको आती थी सुस्ती ;
साल भर तो की बैंड-बाजा-मस्ती;
कहलाना चाहते नहीं पर फिसड्डी ;
अच्छे नंबर लाने का प्रेशर हो गया .
हो गया..............एग्जाम फोबिया !




मैडम के कहने से हम न पढ़े ;
सर ने जो डाटा  तो उनसे चिढ़े ;
घर वालों से करते थे चीटिंग ;
कैफे पर जाकर करते थे चैटिंग ;
सारा टाइम फेसबुक-ट्विटर  पी गया .
हो गया .........एग्जाम फोबिया !


भैया सुनों अब हमारी सलाह 
साल अपना करना न यूँ ही तबाह ;
परीक्षा की करना बेहतर तैयारी ;
टाइम मैनेजमेंट  सदा रखना जारी ;
रिलेक्स होकर जिसने ये सब किया ;
हो गया हवा उसका सारा फोबिया 
हो गया हवा उसका सारा फोबिया .


                                        शुभकामनाओं के साथ 
                                              शिखा  कौशिक 










रविवार, 12 फ़रवरी 2012

जनता को भिखारी समझते हैं क्या ?

पांच राज्यों  में  जारी  चुनावी प्रचार के दौरान सभी पार्टियों ने जनता को काफी कुछ मुफ्त में देने का आश्वासन दिया है .कोई पार्टी लड़कियों को मुफ्त शिक्षा का ऐलान कर रही है तो कोई मुफ्त लैपटॉप प्रदान करने की घोषणा कर रही है .ये सब सुनकर -देखकर जनता को तो बस क्रोध ही आ सकता है .सत्ता पाते ही जनता के पैसों से अपने  खजाने भरने वाले  चुनावों के समय जनता को भिखारी समझते हैं क्या ?
                                   हम भिखारी  नहीं !ये नेताओं व् राजनैतिक दलों को भली प्रकार जान लेना चाहिए .आप किसानों को उनके उत्पादो  का उचित मूल्य दीजिये .सरकारी विभागों  में ईमानदारी  से कार्य  करवाइए .खुद  ईमानदार रहिये और भ्रष्ट लोगो को कोई पद मत दीजिये .आपका काम बस इतना है .इसे ही गरिमापूर्ण तरीके से निभाए .
                                   हम भारतीयों के हाथों में दम है .हमें मुफ्त में कुछ नहीं चाहिए .बस हमें हमारे हक़ से वंचित  न किया जाये .जनता का पैसा जन-हित में खर्च हो जाये बस इतनी व्यवस्था करनी है आपको .दानवीर बनने वाले नेतागण क्या ऐसा कर पाएंगे ?

                                             शिखा कौशिक