पांच राज्यों में जारी चुनावी प्रचार के दौरान सभी पार्टियों ने जनता को काफी कुछ मुफ्त में देने का आश्वासन दिया है .कोई पार्टी लड़कियों को मुफ्त शिक्षा का ऐलान कर रही है तो कोई मुफ्त लैपटॉप प्रदान करने की घोषणा कर रही है .ये सब सुनकर -देखकर जनता को तो बस क्रोध ही आ सकता है .सत्ता पाते ही जनता के पैसों से अपने खजाने भरने वाले चुनावों के समय जनता को भिखारी समझते हैं क्या ?
हम भिखारी नहीं !ये नेताओं व् राजनैतिक दलों को भली प्रकार जान लेना चाहिए .आप किसानों को उनके उत्पादो का उचित मूल्य दीजिये .सरकारी विभागों में ईमानदारी से कार्य करवाइए .खुद ईमानदार रहिये और भ्रष्ट लोगो को कोई पद मत दीजिये .आपका काम बस इतना है .इसे ही गरिमापूर्ण तरीके से निभाए .
हम भारतीयों के हाथों में दम है .हमें मुफ्त में कुछ नहीं चाहिए .बस हमें हमारे हक़ से वंचित न किया जाये .जनता का पैसा जन-हित में खर्च हो जाये बस इतनी व्यवस्था करनी है आपको .दानवीर बनने वाले नेतागण क्या ऐसा कर पाएंगे ?
शिखा कौशिक
3 टिप्पणियां:
सहमत हूँ। सम्मान, स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास के अवसर और विभिन्न प्रकार की स्वतंत्रता आदि जनता के मूलभूत अधिकार हैं, जिनकी रक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार पर है। यदि सरकार अपना काम ठीक से करे तो हर पाँच साल बाद वही बेतुके वादों की कोई ज़रूरत न रहे।
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दानवीर बनने वाले नेतागण क्या ऐसा कर पाएंगे ?
bilkul nahi .
u r absoiutely right
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