''हिन्दुस्तान '' दैनिक समाचार -पत्र के १० नवम्बर २०१० के अंक में ''दहेज़ में कार मांगने पर दुल्हन के पिता को हार्ट-अटैक ;मौत'' खबर पढ़कर आँखें नम हो गयी .बेटी की बारात २३ नवम्बर को आनी थी .दुल्हन के पिता कुछ दिन पहले सगाई की रस्म अदा क़र आये थे. शादी में ५१ हज़ार की नकदी के अलावा बाइक और फर्नीचर देना तय हुआ था . लड़के वालों ने फोन पर धमकी दे दी की यदि दहेज़ में कार देनी है तो बारात आएगी वर्ना कैंसिल समझो.'समझ में नहीं आता विवाह जैसे पवित्र संस्कार को ''ब्लैकमेलिंग' बनाने वाले ऐसे दानवों के आगे लड़की के पिता कब तक झुकते रहेंगे. अनुमान कीजिये उस पुत्री के ह्रदय की व्यथा क़ा जो जीवन भर शायद इस अपराध बोध से न निकल पायेगी कि उसके कारण उसके पिता की जान चली गयी.होना तो यह चाहिए था की जब वर पक्ष ऐसी ''ब्लैकमेलिंग'' पर उतर आये तो लड़की क़ा पिता कहे कि ''अच्छा हुआ की तुमने मुझे विवाह पूर्व ही यह दानवी रूप दिखा दिया.मेरी बेटी क़ा जीवन स्वाहा होने से bach गया '' पर ऐसा कब होगा और इसमें कितना समय लगेगा? ये कोई नहीं बता सकता.मै तो बस इतना कहूँगी----
'''बेटियों को इतना बेचारा मत बनाइये;
क़ि विधाता भी सौ बार सोचे इन्हें पैदा करने से पहले..''
2 टिप्पणियां:
मार्मिक समाचार...। मन द्रवित हो गया पढ़कर।
लेकिन बेटियां बेचारी नहीं हैं। ऐसा बल्किुल मत सोचिए। दोषी तो तो समाज के वे ठेकेदार हैं जो ऐसा निंदनीय कार्य करते हैं।
हमारे देश में नारियां पूज्य मानी गई हैं-
यस्तु नारी पूज्यंते, रमंते तत्र देवता।
जब बेटियां ही नहीं होंगी तो सृष्टि का विकास ही रुक जाएगा।
बहुत अफ़सोस होता है... इस तरह की खबरे पढ़कर शिखा ..... कहने को ज़माना बदल गया है...
पर ऐसी घटनाएँ बताती हैं की आज भी कुछ नहीं बदला... खासकर बेटियों के लिए :(
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