जेठ की गर्मी में ये ठंडी हवाओं जैसी खबर है . शीत में गर्म रजाई सी खबर है- नरेंद्र मोदी जी ने भारतीय नेताओं की ख़राब होती छवि को सुधारने का सार्थक प्रयास किया है .खबर इसप्रकार है -
''अहमदाबाद।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सद्भावना' दिखाते हुए सूरत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया और राहुल गांधी की खिल्ली उड़ाने वाले होर्डिंग्स लगाने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की जमकर खबर ली और इन्हें तुरंत हटाने का निर्देश दिया।............ सूरत के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 18 दिसंबर को मोदी के सद्भावना उपवास से पहले ये होर्डिंग लगाए थे। मोदी ने ट्वीट किया, 'मैंने अखबारों में सूरत में बीजेपी कार्यकर्ताओं के कुछ आपत्तिजनक होर्डिंग के बारे में पढ़ा। लोकतंत्र में हमें इस तरह की चीजों से बचना चाहिए और एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।' मोदी की सख्ती के बाद ये होर्डिंग्स हटा दिए गए हैं। ''[नवभारत टाइम्स से साभार ]
यदि नरेंद्र मोदी जी इसकी शरुआत करते हैं तो वास्तव में सराहनीय हैं क्योंकि इन्होने ही यह कहकर कि -''कॉंग्रेस बूढी हो गयी है ' और ''राहुल गाँधी को भारत में क्लर्क की नौकरी भी नहीं मिलेगी '' अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग किया था .लोकतंत्र में वास्तव में असहमति प्रकट करने या विरोध प्रदर्शित करने का तरीका भी सभ्य ही होना चाहिए क्योंकि किसी व्यक्ति की सार्वजानिक छवि को नुकसान पहुचाने के लिए अपशब्द कहना आज राजनीति में आम बात हो गयी .यदि नेतागण सयंमित प्रतिक्रिया प्रकट करेंगे तो अवश्य जनता में सकारात्मक सन्देश जायेगा और थप्पड़ या जूते मारे जाने जैसी घटनाएँ नहीं घटेंगी .नरेंद्र मोदी जी को ऐसे शुभ -आरम्भ हेतु हार्दिक शुभकामनायें !
शिखा कौशिक
[vicharon ka chabootra ]
''अहमदाबाद।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सद्भावना' दिखाते हुए सूरत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया और राहुल गांधी की खिल्ली उड़ाने वाले होर्डिंग्स लगाने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं की जमकर खबर ली और इन्हें तुरंत हटाने का निर्देश दिया।............ सूरत के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 18 दिसंबर को मोदी के सद्भावना उपवास से पहले ये होर्डिंग लगाए थे। मोदी ने ट्वीट किया, 'मैंने अखबारों में सूरत में बीजेपी कार्यकर्ताओं के कुछ आपत्तिजनक होर्डिंग के बारे में पढ़ा। लोकतंत्र में हमें इस तरह की चीजों से बचना चाहिए और एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।' मोदी की सख्ती के बाद ये होर्डिंग्स हटा दिए गए हैं। ''[नवभारत टाइम्स से साभार ]
यदि नरेंद्र मोदी जी इसकी शरुआत करते हैं तो वास्तव में सराहनीय हैं क्योंकि इन्होने ही यह कहकर कि -''कॉंग्रेस बूढी हो गयी है ' और ''राहुल गाँधी को भारत में क्लर्क की नौकरी भी नहीं मिलेगी '' अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग किया था .लोकतंत्र में वास्तव में असहमति प्रकट करने या विरोध प्रदर्शित करने का तरीका भी सभ्य ही होना चाहिए क्योंकि किसी व्यक्ति की सार्वजानिक छवि को नुकसान पहुचाने के लिए अपशब्द कहना आज राजनीति में आम बात हो गयी .यदि नेतागण सयंमित प्रतिक्रिया प्रकट करेंगे तो अवश्य जनता में सकारात्मक सन्देश जायेगा और थप्पड़ या जूते मारे जाने जैसी घटनाएँ नहीं घटेंगी .नरेंद्र मोदी जी को ऐसे शुभ -आरम्भ हेतु हार्दिक शुभकामनायें !
शिखा कौशिक
[vicharon ka chabootra ]
10 टिप्पणियां:
फुर्सत के दो क्षण मिले, लो मन को बहलाय |
घूमें चर्चा मंच पर, रविकर रहा बुलाय ||
शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
sabhi netaon ko apna mansik star isi tarah sudharna hoga.tabhi logon ke dilon me netaon ki chhavi sudhregi.
एक अनुकरणीय कदम ......
ये तो कोई राहत देने वाली बात .....वर्ना संसद में नेताओं को देख तो ऐसा लगता था कि ये हमारे प्रतिनिधि ...?
अच्छी चौपाल चबूतरे पर।
.सीधी सच्ची पोस्ट .अच्छी शुभ खबर है भारतीय राजनीति के सन्दर्भ में .
अच्छी प्रस्तुति अनुकरणीय.......
सादर
ऐसे विचार तो अनुकरणीय हैं ....
achha lga narendr modi ji ki nyee shuruwat ka swagat to hona chahiye
जी हां, यह तो सराहनीय शुरुआत है।
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