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मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

मोबाईल मियां क़ा जलवा.

मोबाईल मियां पूरे चार्ज होकर ;सिल्क क़ा कुरता पायजामा पहन; पान चबाते हुए ,''जट -यमला-पगला -दीवाना ' की धुन पर झूमते हुए मेरे घर के सामने से निकले ही जा रहे थे कि मैंने उनको आवाज लगा दी --'मियां मोबाईल कैसे मिजाज हैं ?' तुरंत मुंह से पीक थूकते हुए बोले --''हमारे मिजाज क्या पूछते हो !हम तो हैं ही तंदुरुस्त .किसकी मजाल जो हमारे आगे बिना सिर झुकाए निकाल जाये ?हम तो कहते हैं जनाब जरा सी.बी.आई. जाँच करवा लो हर किसी की जेब में हम न हो तो हमारा नाम मोबाईल नहीं !हर घर,दफ्तर,कॉलेज ,सड़क --सब जगह हमारा ही जलवा है .कल तो मजा आ गया -पूछो क्यों ?....हमारे ही कारण एक शागिर्द ने अपने उस्ताद को धुन डाला .इसे कहते है असली मोहब्बत .सुबह;दोपहर;शाम .....और रात तक में मुझे साथ रखते हैं यानि पूजा के समय भगवान क़ा,भोजन के समय मनोरंजन क़ा शाम के समय प्रेमिका और रात के समय दिल के सबसे करीब क़ा फर्ज निभा रहा हूँ मैं .जनाब बड़े से बड़ा मंत्री हो या किसी दफ्तर क़ा चपरासी --सबके कान पर बस मैं ही मैं !मैं मेल हूँ या ....फीमेल ----इसकी खोज तो तुम ही करते रहो .............अब और सुनो -कितनी ही लड़कियां मुझ पर आई मिस कॉल से ही प्रेम रोगी हो गयी और इलाज के लिए प्रेमी के साथ घर-बार छोड़ कर फरार हो गयी .सुना है ...पंचायतें लड़कियों के साथ मेरी बढती घनिष्ठता  पर आँखे तरेर रही है ........पर जनाब कौन डरता है ?पंचायत के दौरान पञ्च-परमेश्वर की जेब में पड़ा मैं तो ठहाका लगाकर हँसता रहता हूँ .''''' मैंने मोबाईल मिया को समझाते हुए कहा ''मियां इतना इतराना अच्छा नहीं ...कहीं किसी दिन कोई उठाकर न पटक दे आपको .''' मोबाईल मियां मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोले '''मेरी फ़िक्र छोड़ो जनाब ....तुम्हरी जेब में मैं पड़ा बज रहा हूँ ....जरा देखो तो कौन है ?'' मैंने अपनी जेब से मोबाईल निकाला इतने में ही मोबाईल मियां मटकते हुए आगे खिसक लिए .

16 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत खूब !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

पूजा के समय भगवान का ,भोजन के समय मनोरंजन का ,शाम के समय प्रेमिका का और रात के समय दिल के सबसे करीब का फ़र्ज़ निभा रहा हूँ ......

जय हो मोबाईल देवता की ..सब कुछ तो कर सकते हैं |

बढ़िया हास्य-व्यंग्य प्रस्तुति ..

Atul Shrivastava ने कहा…

अच्‍छी पोस्‍ट। सच में मौजूदा दौर में मोबाईल अब इंसान के लिए उतना ही जरूरी हो गया है जितना खाना। जलवा है मोबाईल मियां का।

Shalini kaushik ने कहा…

mobile miyan ko aadab arj ho .

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

जीवन का अहम् हिस्सा हैं अब मोबाईल जी

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

शिखा कौशिक जी
सस्नेहाभिवादन !

मोबाइल मियां का जलवा बहुत अच्छा स्वस्थ हास्य है । रोचकता बराबर बनी रही , ज़रा भी ऊब नहीं हुई ।
सफल लेखन वही है जिसे पाठक बिना दबाव स्वेच्छा से पढ़ने में रुचि रखे । बधाई !


नेट की समस्या के कारण
दो दिन विलंब से ही …
प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं ! :)
♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !

बसंत ॠतु की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Sunil Kumar ने कहा…

बढ़िया हास्य-व्यंग्य प्रस्तुति ....

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

वाह शिखा जी,
आपका जवाब नहीं ! मोबाइल का मानवीयकरण इतनी खूबसूरती से आपने किया है कि पढ़कर वाह,वाह किये बिना नहीं रहा गया !
शुभकामनाएँ !

कविता रावत ने कहा…

mobile miya sach mein jahan dekho wahin chhaye hain..
bahut sundar vyang... shubhkamnayen

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत सुन्दर हास्य रस से सराबोर कथा ..

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया हास्य ...! शुभकामनायें आपको!

Kunwar Kusumesh ने कहा…

मोबाईल मियां का भी जलवा है.

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

मोबाइल पर व्यंग्य के नुकीले तीर छोड़े हैं आपने।

prerna argal ने कहा…

mobail per bahut satic byang.mobail se karib.24hours ka saathi aur koi nahi .bahut achcha likha aapne.badhaai.





please visit my blog.thanks

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बढ़िया हास्य

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत बढ़िया व्यंग