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सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

माँ!से मत करना गद्दारी !

२१ फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा  दिवस मनाया गया  .भाषा सभी महान हैं .ब्रह्म का साक्षात् रूप हैं .मानव को प्राप्त अमूल्य वरदान हैं जिसके माध्यम से हम अपने मन के भावों को दूसरों तक प्रेषित करते हैं .हम भारतीय हैं और हमारी मातृभाषा ''हिंदी'' है किन्तु अनेक कारणों से ''अंग्रेजी ' भाषा को ''हिंदी ''की तुलना में महान साबित करने का चलन चल गया है .मेरा मानना है की दोनों की तुलना ठीक नहीं .दोनों भाषाएँ महान हैं पर चूँकि ''हिंदी'' हमारी मातृभाषा है इसलिए हमे किसी भी अन्य भाषा के समक्ष इसे नीचा दिखाने की परवर्ती पर रोक लगानी चाहिए .''अंग्रेजी''माँ जैसी हो सकती है पर माँ! नहीं इसलिए इसे ''मौसी 'की संज्ञा देते हुए यह कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है -
 ''दोनों भाषा ,दोनों बहनें ,
दोनों सम आदर अधिकारी ,
माँ ! हिंदी ,मौसी अंग्रेजी ,
दोनों पर मैं जाऊं वारी ,
लेकिन कितना प्यार जता ले ;
धन-वैभव-उपहार जुटा दे;
खान-पान-सम्मान दिला दे ;
हर एशो -आराम सजा दे ;
मौसी फिर भी माँ से हारी ,
माँ! हमको मौसी से प्यारी .
माँ! भरती भावों में प्राण ,
देती रसना को आराम ,
मौसी प्रज्ञा में है रहती ,
माँ! का मन में है स्थान ,
मत करना ''माँ!'' से गद्दारी ,
माँ! हमको मौसी से प्यारी .
आप बेशक अंग्रेजी में कम कीजिये ,बोलिए -पर हिंदी भाषी को नीचा दिखाने का प्रयास मत कीजिये .हो सके तो खुद भी ज्यादा से ज्यादा हिंदी बोलिए .
        ''जय हिंदी -जय हिन्दुस्तान ''

13 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut sahi v sach kaha.hindi hamari maa hai aur maa se badhkar koi nahi...

ZEAL ने कहा…

.


माँ! भरती भावों में प्राण ,
देती रसना को आराम ,
मौसी प्रज्ञा में है रहती ,
माँ! का मन में है स्थान ...

बेहद प्रशंसनीय प्रस्तुति । हिंदी भाषा का सम्मान हो और उसे विश्व स्तर पर स्थान मिले यही हमारा प्रयास होना चाहिए ।

.

Alpana Verma अल्पना वर्मा ने कहा…

kavita mein nayapan pasand aaya.
bhasha ke vishay mein aap ke vichar achchhe lage.
''जय हिंदी -जय हिन्दुस्तान ''

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'मत करना "माँ" से गद्दारी

माँ हमको मौसी से प्यारी '

बहुत प्रेरक एवं सार्थक रचना

Vijuy Ronjan ने कहा…

shikha ji namaskar.matribhasha par like aapke vichar acche lage.par kisi ne is par apna mantavya nahi diya.Main bhi hindi bhasha ka kayal hun aur mera manna hai ki nij bhasha se hi unnati ho sakti hai...yahi hamein hamari pahchan dilata hai.English to bas universal brotherhood ke liye samwad ka ek madhyam hai.Aapka prayas sarahneey hai...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मत करना ''माँ!'' से गद्दारी ,
माँ! हमको मौसी से प्यारी .

ये राष्ट्र प्रेम बना रहे .....

जय हिंद .....!!

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सार्थक और सटीक अभिव्यक्ति..

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत बढ़िया कविता ..... अच्छी बात लिए

Satish Saxena ने कहा…

शाबाश ....! प्रभाव शाली रचना ! शुभकामनायें!!

amit kumar srivastava ने कहा…

well said..

shikha varshney ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर भाव वाली बहुत ही प्यारी रचना.बहुत अच्छा लगा पढकर.
बधाई आपको.

Sunil Kumar ने कहा…

हिंदी भाषा को नमन और आपको बधाई ..

त्रिवेणी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति !