एक बिटिया का दृढ़-निश्चय !
[६५७-माधुरी ]
इससे अच्छी खबर और क्या होगी कि एक बेटी अपनी माँ के अधूरे सपने को पूरा करने का दृढ़ निश्चय करे .''अमर उजाला ''दैनिक के ७अगस्त २०११ के अंक में पृष्ठ -17 पर छपी खबर ''माँ का सपना बेटी करेगी पूरा '' ने एकाएक ही अपनी ओर ध्यान आकर्षित कर लिया .बुसान एशियन गेम्स की ८०० मी. दौड़ में रजत पदक जीतने वाली अर्जुन अवार्डी ' माधुरी 'ने लखनऊ में आयोजित 600 मी . की दौड़ में स्वर्ण पदक
जीतने वाली अपनी बेटी को जैसे ही विक्ट्री स्टैंड पर गोल्ड मैडल दिया सारा स्टेडियम करतल ध्वनि की गडगडाहट से गूंज उठा .तेरह वर्षीय बिटिया ''हरमिलन '' ने यह कहकर सबका दिल जीत लिया कि ''मम्मी का ओलम्पिक में खेल पाने का सपना अब मैं पूरा करूंगी ''यह सुनकर माधुरी ने तो बिटिया को गले से ही लगा लिया .''भारतीय नारी '' ब्लॉग परिवार की ओर से मैं प्रभु से प्रार्थना करूंगी कि ''इस बिटिया के दृढ निश्चय को वे अवश्य पूरा करें ''
माधुरी व् हरमिलन दोनों को बहुत बहुत शुभकामनाएं .
शिखा कौशिक
4 टिप्पणियां:
बहुत achchhi jamkari dee है शिखा जी आपने.हर बेटी का ये कर्त्तव्य है की वह अपनी माँ के sapne अपने सपनो में शामिल करे और अगर sambhav हो तो उन्हें पूरा करने का prayatn करे.harmilan का ये प्राण भारतीय बेटियों के लिए प्रेरणादायक है.
मां-बेटी को बधाई एवं शुभकामनाएं।
हमारी ओर से भी बहुत बहुत शुभकामनायें .....
बेटियों को सलाम .....
आज बेटों से बेटियाँमाता - पिता के लिए अधिक सुखदायी हैं .....
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