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एक नए शोध की आवश्यकता है . भ्रष्टाचारी और ह्रदय रोग .जब भी कोई भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा जाता है उसके दिल में दर्द शुरू हो जाता है .ऐसा क्यों होता है ? यही शोध क़ा विषय होना चाहिए .जिस जनता क़ा शोषण कर ये लोग इतना बड़ा रोग पाल लेते है वो जनता इनके पकडे जाने पर यह आस भी नहीं रख पाती कि अब भ्रष्टाचार क़ा भांडा फूटेगा मगर कमबख्त भ्रष्टाचारी क़ा ह्रदय बीच में आ जाता है और सारा मजा किरकिरा हो जाता है .इतना पैसा तिजोरियों में छुपा कर रखना भी तो आसान बात नहीं न !इतने भेद ! इतने झूठ ! आखिर दिल तो दर्द करेगा ही .मेरा सभी शोधार्थियों से नम्र निवेदन है कि इस खास विषय पर गहन शोध कीजिये .सफल होने पर शायद नोबेल पुरस्कार तक मिल जाये .मेरी शुभकामनाये आप सभी के साथ है .
शिखा कौशिक
[विचारों का चबूतरा ]
8 टिप्पणियां:
सही कहा है आपने ...वाकई इस विषय पर गहन शोध कराए जाने की आवश्यकता है
बहुत बढ़िया शिखा जी ||
बधाई स्वीकारें ||
भ्रष्टाचारी का सदा, धक्-धक् करे करेज |
जब तक मिले हराम की, करता नहीं गुरेज |
करता नहीं गुरेज, सात पुश्तों की खातिर |
चाहे धन संचयन, होय निर्मम दिल शातिर |
लेकिन लोकायुक्त, कराता छापामारी |
दिल से हो बीमार, मरे वो भ्रष्टाचारी ||
अच्छा विषय सुझाया है शोध के लिए ..
जान बूझ कर करते रहे महाशय हेराफेरी |
अन्दर जाने में इनके लग गयी बहुत ही देरी |
ऊंची कुर्सी सी एम की कर लिया खूब मनमानी |
फंस गए बच्चू फंदे में अब याद आ रही नानी |
थोड़े दिनों में इस बिमारी को राजनेताओं के लिए आरक्षित कर दिया जायगा ...
सुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें
समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
सचमुच शोध की जरूरत है।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
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