इंटरव्यू-साक्षात्कार
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टी.वी. के एक कार्यक्रम में प्रस्तुतकर्ता---''दर्शकों आज हम लेकर आये हैं एक अलग -हटकर इंटरव्यू .एक ओर हैं भारत के सबसे अमीर व्यक्ति ''श्री अमीर'' और दूसरी ओर है भारत क़ा ''सबसे गरीब व्यक्ति ' बेचारा गरीब.''' अब हम इनसे कुछ प्रश्न करके जानेगे क़ि श्री अमीर कितने सुख से जीवन बिताते हैं और बेचारा गरीब कितना दुखी रहता है?
प्रश्न१---आप दोनों यह बताये की कितनी देर सो पाते है रोज?
श्री अमीर--सच बताऊँ कभी-कभी मैं इतना व्यस्त रहता हूँ क़ि दिन भर में एक घंटे भी नहीं सो पाता.कभी इतना तनाव हो जाता है क़ि ए.सी. की ठंडक में और नरम-गरम गद्दे-लिहाफ से भी गर्मी-सर्दी में सुकून की नीद नहीं आती.
बेचारा गरीब--मैं तो किसी भी पेड़ की छाव में गर्मी व् अलाव जलाकर सर्दी में गहरी नीद में सो जाता हूँ. अब मेरी जेब में तो फूटी कौड़ी भी नहीं होती इसलिए डर या तनाव कैसा.मुझे न कुछ खोने की चिंता और न कुछ सँभालने क़ा तनाव.[इसके साथ ही उसका जोरदार ठहाका ]
प्रशन२-- आप दोनों को खाने में क्या-क्या पसंद है?
श्री अमीर-अजी छोडये....ये प्रश्न ..पसंद नापसंद तो तब मायने रखता है जब मैं अपनी इच्छा से कुछ खा सकू.डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर ;डिप्रेशन और भी न जाने कितनी मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हूँ.डाक्टर के निर्देशानुसार सुबह शाम दवाइयां खाता हूँ .....जिन्दा हूँ!
बेचारा गरीब--मुझे तो सभी पकवान पसंद हैं.हलवा-पूरी.समोसे;चाट. जब भी मौका लगता है जी भर कर खाता हूँ.
प्रशन३-अपने परिवार को कितना समय दे पाते है?
श्री अमीर--कई-कई महीने परिवार से नहीं मिल पाता.पत्नी सामाजिक कार्यों से बाहर जाती रहती है.बेटा अमेरिका में रहता है ,बेटी कनाडा में पढती है .न मेरे पास समय है और न उनके पास.साल में एक दिन किसी तरह निकाल कर साथ बीता लेते है.
बेचारा गरीब--अजी हमारा क्या?....हम सब तो साथ-साथ मजदूरी करते हैं,काम के साथ बतियाते भी रहते है.साथ बैठकर खाना खाते है.सारा परिवार साथ ही रहता है.
प्रशन४-- आगे जिन्दगी में क्या पाना चाहते है?
श्री अमीर-और दौलत;शोहरत .......नहीं...नहीं......थोडा सुकून,परिवार क़ा साथ ;अच्छा स्वास्थ्य .
बेचारा गरीब---मैं तो संतुष्ट हूँ.कुछ पाने के चक्कर में तो सब आराम ही हराम हो जाता है मेरा तो बस एक ही मन्त्र है''दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ'''.
प्रशन५--किस से डरते है?
श्री अमीर-सब कुछ लुट जाने से.
बेचारा गरीब--किसी से नहीं.है ही क्या मेरे पास जो लुट जायेगा.मैं खुश हूँ.थोडा खाता हूँ पर आनंद से,कुछ लुट जाने क़ा डर नहीं--सुकून ही सुकून हैं.
प्रस्तुतकर्ता---तो दर्शकों आपने आज के साक्षात्कार की बातों से जान ही लिया होगा की बेचारा अमीर भी कितना गरीब है और श्री गरीब कितना सुखी है.साक्षात्कार कैसा लगा ?जरूर बताइयेगा.
शिखा कौशिक
3 टिप्पणियां:
बढिया है।
बेचारा अमीर भी कितना गरीब है और श्री गरीब कितना सुखी है.
सही है !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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