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रविवार, 30 जनवरी 2011

हम हार नहीं मानेगें

महाराष्ट्र में अतिरिक्त जिला कलक्टर को जिन्दा जला देने की घटना हमारे पूरे देश की व्यवस्था पर जोरदार तमाचा है .अगर ईमानदार व्यक्ति के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जायेगा तो कौन ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य को अंजाम देगा? लेकिन एक बात जो माफियाओं को समझ लेनी चाहिए वो यह है क़ि ईमानदारी को तुम न तो जला सकते हो ;न काट सकते हो -तुम केवल एक व्यक्ति के शरीर को चोट पहुंचा सकते हो .आज हम सब के दिलों में आग लगी हुई है और ये तब तक नहीं बुझेगी जब तक ज़िम्मेदार अपराधी अपनी करनी क़ा फल नहीं पा लेते .ऐसी घटनाओं से हम सहम जाने वाले नहीं ;ये घटनाएँ तो हम में सोये हुए जज्बातों को और भी ज्यादा झकझोर    कर जगा देते है .भगत सिंह के देश में अब भी शहादत   देने वालों की कमी नहीं है .मुनाफाखोरी कर देश के साथ गद्दारी करने वाले देशद्रोहियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए .आजादी से पहले हम विदेशियों से टकराए थे पर अब हमे अपने ही देश में पल रहे इन साँपों क़ा सिर कुचलना होगा .हमारी इस चुनौती  को स्वीकार करने को तैयार हो जाओ -
                ''तुम जला सकते हो मुझको ;काट सकते हो मुझे ,
                पर मेरे ईमान को हरगिज डिगा न पाओगे , ''   

शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

इस बार सौरव हम तुम्हारे साथ नहीं...

आई.पी.एल .-४ की नीलामी में सौरव गांगुली सहित अनेक प्रतिष्ठित खिलाडियों -सनथ जयसूर्या  ,चमिंडा वास,मार्टिन गुप्तिल,सीमोन केटीज़ , चमरा सिल्वा ,मार्क बाउचर  आदि को कोई खरीदार नहीं मिला .सौरव ने इसे अपनी प्रतिष्ठा के साथ जोड़कर ट्विट्टर पर के.के.आर. क़ा एड्रेस हटाकर अपने गुस्से क़ा इज़हार कर एक नया तूफ़ान खड़ा कर दिया. सौरव गांगुली जैसे टॉप ब्रेकेट के क्रिकेटर को कोई खरीदार न मिल पाने पर आई.पी.एल.कमिश्नर चिरायु अमीन ने कहा "क़ि टीमो क़ा मानना है क़ि पूर्व भारतीय कप्तान क़ा चार लाख डॉलर बेस मूल्य  ज्यादा है            .वेस्ट इन्दीस के पूर्व कप्तान ब्रायन लारा और क्रिस गिल क़ा भी यही हाल रहा."मामला विशुद्ध व्यावसायिक है फिर इसे सौरव गांगुली व् उनके प्रशंसकों ने अपनी प्रतिष्ठा से क्यों जोड़ दिया?यह समझ से परे है.हम सभी जानते हैं क़ि क्रिकेट क़ा २०-२० अर्थात टनाटन संस्करण  सिर्फ मनोरंजन व् पैसा बनाने क़ा खेल है फिर जब आप नीलामी के लिए बाज़ार में खड़े हो गए तो क्या प्रतिष्ठा-मान-सम्मान ?आपने खुद ही अपनी प्रतिष्ठा दांव पर  लगाई है और आई.पी.एल.टीम के मालिक पर दोष डाल  दिया        .कोलकाता नाईट   राईडर्स  के सह मालिक के नाते शाहरूख खान को सौरव गांगुली की बोली न लगाये जाने क़ा ज़िम्मेदार बना दिया गया.उनके पुतले को गांगुली के प्रशंसकों  ने जूतों की माला पहनाई और उनका पुतला फूंका .भाई किसलिए?पहली बात तो आई.पी.एल.में खेलकर कोई खिलाडी देश क़ा मान तो बढ़ा       नहीं रहा,बस अपनी जेबें भर रहा है फिर इनसे कैसी सहानुभूति और फिर अगर आप अच्छी क्रिकेट और क्रिकेटर के प्रशंसक हैं तो जब पिछली बार पाकिस्तान के किसी भी खिलाडी क़ा चयन नहीं हुआ था तब आप क्यों चुप रहे?मेरा मानना है की २०-२० के इस व्यावसायिक खेल में आयु निर्धारण होना चाहिए जिससे कम उम्र के अच्छे खिलाडी इसमें खेलकर नाम    व्  दाम  कमा  सकें.उम्रदराज़ खिलाडी तो प्रतिष्ठा के साथ इसे जोड़कर सारे खेल क़ा मज़ा ही किरकिरा कर देते हैं और स्पष्ट शब्दों में लिखूंगी -इस बार सौरव हम तुम्हारे साथ नहीं,क्या आप हैं?

रविवार, 9 जनवरी 2011

शुरुआत तो कीजिये

शुरुआत   तो कीजिये !
हिन्दुस्तान दैनिक समाचारपत्र की साप्ताहिक मैगजीन ''रीमिक्स' के जनवरी ९,२०११ के अंक में प्रसिद्ध साहित्यकार ''नरेंद्र कोहली' जी क़ा आलेख ''हमारा लोहा -दुनिया क्यों न माने '-जो स्वामी विवेकानंद जी पर केन्द्रित था, पढ़ा. बहुत शानदार आलेख लगा .इसमें जिन दो बातों ने मेरा ध्यान आकर्षित किया ,वे हैं --
१-''कोई भी व्यक्ति मानसिक और बौद्धिक महानता तब तक प्राप्त नहीं कर सकता ,जब तक वह शारीरिक रूप से  शुद्ध या पवित्र न हो .नैतिकता से ही शक्ति प्राप्त होती है .............राष्ट्रीय  जीवन में अनैतिकता के प्रवेश करते ही उसकी नीव सड़ने लगती है .
२- 'किसी भी देश क़ा जीवन रुपी रक्त उसकी शिक्षण संस्थाओं -विद्यालयों में होता है ,जंहा लड़के -लड़की शिक्षा प्राप्त कर रहे होते हैं .अनिवार्यत: उन विद्याथियों को  पवित्र होना चाहिए और यह पवित्रता उन्हें सिखाई जानी चाहिए .इसलिए हम जीवन के उस खंड को ब्रहमचर्य  आश्रम कहते हैं .''
     दो मुद्दे समेटे हैं उपरोक्त पंक्तिया --''राष्ट्रीय  जीवन में नैतिकता ' व् 'शिक्षण संस्थाओं में पवित्रता ''. आज के समय में दोनों ही नदारद हैं .राष्ट्रीय स्तर पर डी. राजा जैसे व्यक्ति केन्द्रीय  मंत्री के पद पर तब तक विराजते हैं जब तक उनके द्वारा किये गए घोटाले के प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर दिए जाते  अर्थात उन जैसे नेता डंके की चोट पर एलान करते है क़ि हम तो घोटाला करेंगे और तुम पता लगाओ क़ि घोटाला कैसे हुआ? सारी  जनता जानती थी क़ि घोटाला हुआ है पर डी. राजा अड़े रहे -भाई साबित तो करो !ये है आज के राष्ट्रीय जीवन की नैतिकता .
दूसरा मुद्दा है -''शिक्षण संस्थाओं में पवित्रता 'क़ा '',अब इसके बारे में क्या लिखूं ? विद्यार्थी कैसे पवित्र हो जब शिक्षक ही बहक गए हो.हमारे यंहा एक इंटर कॉलेज के शिक्षक ने अपनी ही एक छात्रा को प्रेम पत्र दे डाला और पूरा स्कूल प्रशासन खामोश  .बात बाहर न जाने पाए .एक अन्य इंटर कॉलिज के एक शिक्षक महोदय पत्नी के होते हुए एक अन्य लड़की को घर ले आये .हमारे जिले के एक माने हुए महाविद्यालय की एक शिक्षिका ने तो अपने ही कॉलिज के प्राचार्य व् अन्य साथी शिक्षकों पर यौन-शोषण क़ा आरोप लगाया है .अब इन विद्यालयों -महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को पवित्रता क़ा पाठ कौन पढ़ायेगा ?
मेरा मानना है क़ि अब किसी और की राह मत देखिये अपने ही घर से शुरुआत कीजिये .अपने बच्चों को संस्कारों से खुद  लैस कीजिये .तभी हम उनके उज्जवल  भविष्य  की कल्पना कर सकते हैं .

सोमवार, 3 जनवरी 2011

एक नए शोध की आवश्यकता है .

यह   खबर पढ़ी    -येदयुरप्पा के सीने में दर्द, अस्पताल में भर्ती'' तो अनायास  ही निम्न  विचार  मन में  आ गए -
 एक नए शोध की आवश्यकता है .    भ्रष्टाचारी और ह्रदय रोग .जब भी कोई भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा जाता है उसके दिल में दर्द शुरू हो जाता है .ऐसा क्यों होता है ? यही शोध क़ा विषय होना चाहिए .जिस जनता क़ा शोषण कर ये लोग इतना बड़ा रोग पाल लेते है वो जनता इनके पकडे जाने पर यह आस भी नहीं रख पाती कि अब भ्रष्टाचार क़ा भांडा फूटेगा मगर कमबख्त भ्रष्टाचारी क़ा ह्रदय बीच में आ जाता है और सारा मजा किरकिरा हो जाता है .इतना पैसा तिजोरियों में छुपा कर रखना भी तो आसान बात नहीं न !इतने भेद ! इतने झूठ  ! आखिर दिल तो दर्द करेगा ही .मेरा सभी शोधार्थियों से नम्र निवेदन है कि इस खास विषय पर गहन शोध कीजिये .सफल होने पर शायद नोबेल पुरस्कार तक मिल जाये .मेरी शुभकामनाये आप सभी के साथ है .
                                        शिखा कौशिक 
                           [विचारों का  चबूतरा ]