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गुरुवार, 28 जुलाई 2011

यह सम्मान है या अपमान ?

यह सम्मान  है या अपमान ?

इसे महारानी  लक्ष्मीबाई का  सम्मान  कहें  या  अपमान ?यह हमारी भावनाओं के साथ एक खिलवाड़  जैसा है .अमेरिका की प्रतिष्ठित  टाइम पत्रिका ने हाल ही में पति के बचाव में दीवार बनकर खड़ी होने वाली दुनिया की जाबांज पत्नियों की एक सूची जारी की जिसमे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को आठवां स्थान दिया गया है  .कई समाचार पत्रों ने इसे बहुत बड़ी उपलब्धि माना   पर जरा ध्यान दीजिये उनसे ऊपर किस किस को स्थान दे दिया गया है  -
*इलेनोर रूजवेल्ट -[पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी ] को ''प्रथम स्थान''
 उपलब्धि -नस्लवाद,गरीबी व् लिंगभेद पर खुलकर अपनी बात रखी .

*जुने कार्टर फिश -कार्टर परिवार से सम्बन्ध.अच्छी गायिका ,डांसर ,गीतकार ,अभिनेत्री और लेखक .इन्हें तीसरा स्थान दिया गया .

*साराह पालिन -सबसे कम उम्र की महिला जो  अलास्का की गवर्नर बनी .इन्हें पांचवां स्थान दिया गया .

*इलेन दी.गेनेरेस -छठवां स्थान -खुले तौर पर माना कि ये एक समलैंगिक हैं .आस्ट्रेलिया की अभिनेत्री .

*सातवाँ स्थान दिया गया है -मिशेल ओबामा को जो वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी हैं .फैशन आइकोन व् रोल मॉडल ke  रूप में उभरी हैं

          इन सब से नीचे आठवां स्थान हमारी रानी लक्ष्मीबाई  को दिया गया है .टाइम पत्रिका  ने यह जानकारी नहीं दी है कि सूची किस आधार पर बनाई गयी है ? ऐसी  सूचियाँ  बनाना  और  उसमे  अतार्किक  रूप से हमारे आदर्श चरित्रों को नीचे  स्थान देना  पत्रिका ke  लेखक मंडल ke  दिमागी  दिवालियापन  को तो जाहिर करता ही है साथ ही हमारे दिल  को भी चोट  पहुंचाता है .झांसी  की रानी ke  महान  साहस की तुलना किसी से भी करना असंभव  है फिर  इस सूची में जो नाम उनसे ऊपर दिए गए हैं वे तो तुलनात्मक रूप से कहीं ठहरते  ही नहीं .भारत सरकार को इस सम्बन्ध में उचित कदम उठाने चाहिए ताकि आगे से किसी भी देश की कोई भी पत्रिका हमारे आदर्श चरित्रों को अपनी सूची में शामिल करते  समय उचित स्थान दें .
                  शिखा कौशिक
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बुधवार, 27 जुलाई 2011

प्रथम पुरुष स्त्रीवादी-आदिकवि महर्षि वाल्मीकि [2]

प्रथम पुरुष स्त्रीवादी-आदिकवि महर्षि वाल्मीकि [2]
इसी प्रकार के उद्गार महर्षि वाल्मीकि ने उत्तर-कांड  के ''त्रयोदश : सर्ग '' के श्लोक ११ व् १२ में मंदोदरी के पिता राक्षसराज मय के मुख से भी प्रकट करवाएं हैं -
''कन्या पित्र्त्वं......स्थाप्य तिष्ठति ''
[अर्थात -मान की अभिलाषा रखने वाले प्राय: सभी लोगों के लिए कन्या का पिता होना कष्टकारक होता है .कन्या सदा do  कुलो को संशय में डाले रहती है ]
महर्षि वाल्मीकि ने स्त्री के विरुद्ध किये जाने वाले अपराधों को भी स्थान-स्थान पर उद्धृत किया है .आज भी जहाँ 'बलात्कार ''जैसे अमानवीय अपराध को स्त्री की पवित्र -अपवित्रता के साथ jodkar बलात्कृत स्त्री को नारकीय परिस्थितियों में धकेल दिया जाता है उसी व्यथा को महर्षि ने रामायण काल में घटित ''अहल्या -उद्धार-प्रसंग'के माध्यम से उद्घाटित करने का सशक्त प्रयास किया है .''उत्तरकाण्ड 'के 'त्रिंश सर्ग:' के ३९वे व् ४० वे श्लोक में अहल्या अपना पक्ष रखते हुए कहती हैं -
''सा तम प्रसाद्यामास ....कर्तुम्हरसी ''
[अर्थात -विप्रवर !बहम्र्षे! देवराज इंद्र ने आपका ही रूप धारण कर मुझे कलंकित किया है .मैं उसे पहचान न सकी थी .अत: अनजाने में मुझसे यह अपराध हुआ ,स्वेच्छाचारवश  नहीं .इसलिए आपको मुझपर कृपा करनी चाहिए ]
किन्तु अहल्या के पतिदेव गौतम ऋषि उन्हें क्षमा नहीं करते .हजारों वर्षों की तपस्या  के पश्चात् श्री राम द्वारा चरण छूकर उन्हें सम्मानित किये जाने पर अहल्या पुन: पति सामीप्य को प्राप्त करती हैं .
पुरुष-अहम् किस प्रकार स्त्री-जाति के सम्मान को रौंदता आया है -इसका उल्लेख महर्षि वाल्मीकि ने रावन द्वारा रम्भा से बलात्कार,वेदवती के साथ दुर्व्यवहार ,देवताओं की कन्याओं व् स्त्रियों का अपहरण आदि प्रसंगों द्वारा किया है .रावन के इसी प्रकार के पापों का दंड देने के लिए श्री राम व् माता सीता के मनुष्य रूप में अवतार लेने का वर्णन महर्षि ने किया है .
महर्षि वाल्मीकि स्त्री -जाति को सम्मान दिए जाने की वकालत करते हुए अपने आदर्श मर्यादा-पुरषोंतम श्री राम तक को कटघरे में खड़ा कर देते हैं -जब श्री राम भगवती सीता से अयोध्या के  जन समुदाय के समक्ष अपनी शुद्धता प्रमाणित करने के लिए कहते हैं .महर्षि यद्यपि भविष्य दृष्टा  थे किन्तु उन्होंने अपने वचनों द्वारा श्री राम व् अयोध्या के जन समुदाय को संतुष्ट करने का प्रयास भी किया .उन्होंने कहा-
''लोकाप्वादभितास्य .......... तम्नुग्याअह्रसी   ''
[उत्तरकाण्ड षणवतितम: सर्ग: श्लोक -१७ ]
[अर्थात महान व्रतधारी श्री राम !लोकापवाद से डरे हुए आपको सीता अपनी शुद्धता का विश्वास दिलाएगी .इसके लिए आज्ञा दें ]

''इमौ तू .....ब्रवीमि ''[श्लोक-१८]

[अर्थात-ये दोनों कुमार कुश और लव जानकी के गर्भ से जुड़वे पैदा हुए हैं .ये दोनों आपके ही पुत्र हैं और आपके ही सामान दुर्धर्ष वीर हैं ,यह मैं आपको सच्ची बात बता रहा हूँ ]

''प्रचेतसोहहम......पुत्रकौ ''[श्लोक-१९]
''बहुवर्ष ........मैथिली ' [श्लोक २० ]

[अर्थात-रघुकुलनंदन !मैं प्रचेता [वरुण ]का दसवां पुत्र हूँ .मेरे मुह से कभी झूठ बात nikli हो .इसका  मुझे स्मरण  नहीं .मैं सत्य कहता हूँ ये दोनों आपके ही पुत्र हैं [१९].मैंने कई हज़ार वर्षों तक भारी तपस्या की है यदि मिथिलेशकुमारी सीता में कोई भी दोष हो तो मुझे उस तपस्या का फल न मिले (२०) ]
स्पष्ट है कि मानव इतिहास में ऐसा पुरुष ढूढने पर भी नहीं मिलेगा जो पति द्वारा त्यागी गयी,जनसमुदाय   द्वारा लांछित की गयी स्त्री को और उसके  गर्भ में पल  रहे बालकों को न केवल आश्रय देकर सम्पूर्ण समाज से लोहा ले और भरी सभा में अपने द्वारा संचित हजारों वर्षों के पुण्यों को दांव पर ''केवल एक स्त्री की  अस्मिता को पुनर्स्थापित'' करने हेतु लगा दे .महर्षि वाल्मीकि इसी कारण स्त्री -जाति के मूक  मुख में स्वर भरने वाले ;माता के सम्मान हेतु ''लव-कुश '' जैसी संघर्षशील संतानों   के गुरु-समस्त  मानव जाति के इतिहास में प्रथम पुरुष स्त्रीवादी थे -यह मानने में किसी  प्रकार की शंका व्यक्त नहीं की जानी चाहिए . 

[शोध ग्रन्थ  -श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण :गीताप्रेस गोरखपुर संवत -२०६३] 
शिखा कौशिक

रविवार, 24 जुलाई 2011

प्रथम पुरुष स्त्रीवादी :आदिकवि वाल्मीकि

प्रथम पुरुष स्त्रीवादी :आदिकवि वाल्मीकि

भूतल के प्रथम काव्य ''रामायण '' के रचनाकार श्री वाल्मीकि ने अपने इस वेदतुल्य आदिकाव्य ''रामायण'' द्वारा न केवल मर्यादा मूर्ति  श्री राम के चरित्र की रचना की बल्कि तत्कालीन समाज में स्त्री -जीवन की समस्याओं का यथार्थ चित्रण भी किया है .न केवल एक रचनाकार के रूप में वरन स्वयं ''रामायण'' के ''उत्तरकाण्ड '' के ''षणवतित्म: [९६ ] ''सर्ग में सीता की शुद्धता का समर्थन करते हुए-उन्होंने यह सिद्ध किया है कि वह सम्पूर्ण विश्व के इतिहास में प्रथम पुरुष स्त्रीवादी थे .पश्चिम से नारीवाद की उत्पत्ति बतलाने वाले विद्वान भी यदि ''रामायण ''में महर्षि वाल्मीकि द्वारा चित्रित स्त्री जाति की समस्याओं ,स्त्री संघर्ष ,स्त्री -चेतना का अध्ययन करें तो निश्चित रूप से वे भी यह मानने के लिए बाध्य होंगे कि जितना प्राचीन विश्व का इतिहास है utna ही प्राचीन है -स्त्री जाति के संघर्ष का इतिहास -वह स्त्री चाहे देव योनि की हो अथवा राक्षस जाति की .
                 ''स्त्री जाति की हीन दशा ''वर्तमान में जितना बड़ा बहस का मुद्दा बन चुका है ,उसे उठाने का shery  महर्षि वाल्मीकि को ही जाता है .राजा दशरथ के पुत्र -प्राप्ति हेतु लालायित होने को महर्षि इस श्लोक के द्वारा उकेरते हैं -
    ''तस्य चैवंप्रभावस्य ............''[बालकाण्डे ;अष्टम:सर्ग:;
श्लोक-१]  अर्थात सम्पूर्ण धर्मो को जानने वाले महात्मा दशरथ ऐसे प्रभावशाली होते हुए भी पुत्रों के लिए सदा चिंतित रहते थे .उनके वंश को चलाने वाला कोई पुत्र नहीं था .]''

               स्त्री की हीन दशा का मुख्य कारक जहाँ यह था कि पुत्री को वंश चलाने वाला नहीं माना जाता था वही पुरुष-प्रधान समाज में कन्या का पिता hona भी अपमानजनक माना जाने लगा था .महर्षि वाल्मीकि भगवती सीता के मुख से इसी तथ्य को उद्घाटित करते हुए लिखते हैं-
          
     'सदृशाच्चापकृष्ताच्च ........''[अयोध्याकांडे अष्टादशाधिकशततम:
सर्ग: ,श्लोक -३५ ][अर्थात संसार में कन्या के पिता को ,वह भूतल पर इंद्र के तुल्य क्यों न हो ,वर पक्ष के लोंगों से ,वे समान या अपने से छोटी हैसियत के ही क्यों न हों ,प्राय: अपमान उठाना पड़ता है ]
                  
                          [शेष अगली पोस्ट में ]
              शिखा कौशिक 
   

शनिवार, 23 जुलाई 2011

रचना जी का शुक्रिया -नारी ब्लॉग से हटाने के लिए

रचना जी का शुक्रिया -नारी ब्लॉग से हटाने के लिए

दो दिन पूर्व मुझे ''नारी''ब्लॉग की व्यवस्थापिका सुश्री रचना जी का मेल प्राप्त हुआ .
''आप दोनों को नारी ब्लॉग की मान्य सदस्या माना हैं
आप दोनों को यहाँ सदस्य
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/07/against-dress-code-for-women.html

देख कर बहुत आश्चर्य हुआ और उस से भी ज्यादा दुःख हुआ की जो आदमी औरतो के ऊपर
निरंतर लिखता हैं और जिस को हर किसी ने ब्लैक लिस्ट कर रखा हैं आप उस से हाथ
मिलाये हैं और मेरे ऊपर आई वाहियात पोस्ट पर भी चुप हैं

आप का नज़रिया जानना चाहती हूँ
रचना
नारी ब्लॉग मोडरेटर''

इस मेल को पढ़कर  मैंने रचना जी के साथ चैट की जो इस प्रकार है -
रचना: namastey shikha ji
रचना: aap ko ek email bhajee thee
रचना: kyaa daekhnae kaa samay mila
मुझे: yes i have recieved this right now
रचना: ok
रचना: i think you have joined hand with a very wrong person who is
abusive about woman
रचना: he has been thrown out of hamarivnai
रचना: for his dirty post on woman
मुझे: i am on ''blog ki khabre ''and other anwar jamal ji 's blog only
to express my views .
रचना: why promote such a platform that abuses woman
रचना: because you people support him he writes on woman in dirty language and
रचना: goes scot free
रचना: any ways this to me simply means that dignity of your woman
friends mean very less for you
मुझे: he behaves with me as a brother .
रचना: that in the beg n he behaves with every one
रचना: but he is a offender
मुझे: if his thinking is not right i can try to advice him .o.k. have a nice day

अभी इस पोस्ट में लिंक जोड़ा है तो पता चला है कि-


''यह ब्लॉग मात्र आमंत्रित पाठकों के लिए है

http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/ लगता है आपको इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. अगर आपको लगता है कि कोई गलती हुई है, तो आप ब्लॉग के लेखक से संपर्क कर एक आमंत्रण के लिए अनुरोध कर सकते हैं.''अर्थात  अब मैं इसे देख भी नहीं सकती हूँ .
    मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगी  रचना जी से आप पूरे ब्लॉग जगत में नज़रे घुमाकर देखिये आप जैसा कोई नहीं .हरीश जी से अनवर जी की रोज किसी न किसी विषय पर मत भिन्नता  रहती है पर उन्होंने मुझ पर विश्वास कर मुझे अपने ब्लॉग ''ब्लॉग के समाचार ' का प्रधान संपादक तक बना डाला .आप ने अनवर जी की जितनी निंदा की है वो किसी न किसी आलेख को लक्षित कर की है पर मैं उनके व्यक्तित्व को महत्त्व देती हूँ .आलेख में व्यक्त विचारों से हो सकता हैं मैं भी सहमत न  हूँ  पर ''प्यारी माँ'' जैसे ब्लॉग को सृजित करने वाला व्यक्ति एक सभ्य व्यक्ति ही होगा .उसपर  उनकी  पोस्ट जो उनकी  बिटिया  से सम्बंधित  है उसपर  भी नज़र डाल लीजिये .मुझे अपने व् शालिनी जी के ''नारी ''ब्लॉग '' से हटाये जाने से कोई आपत्ति नहीं है .रचना जी का ब्लॉग है वे जो चाहे कर सकती हैं पर एक प्रश्न ह्रदय में उठता ही है कि क्या इस तरह वे ''नारी सशक्तिकरण '' को परिभाषित करती है कि ''किसी भी पुरुष पर स्त्री विरोधी होने का आरोप लगा दे और यह भी न जाने कि vo  निजी जीवन में कितना सम्मान करता है स्त्री जाति का ''.रचना जी का कई महीने पूर्व एक मेल शालिनी जी को   ''सलीम जी ''के सम्बन्ध में भी प्राप्त हुआ था कि ''इनकी पोस्ट  पर कमेन्ट न करें ये ठीक लोग नहीं है ''-ब्लॉग जगत में इस प्रकार की गतिविधियों से मैं व् शालिनी जी नितांत अनभिज्ञ  रहे हैं और कौन व्यक्ति क्या है -इस बारे में कम से कम रचना जी की बात पर तो विश्वास करना मुश्किल ही है . 
                      हो सकता है उन्होंने ''नारी''ब्लॉग पर अन्य योगदानकर्ताओं के बारे में भी जाँच कर ली हो यदि नहीं की है तो तुरंत कर लेनी चाहिए क्योंकि उनके ब्लॉग की कई अन्य सदस्य भी अनवर जी व् सलीम जी के ब्लोग्स पर न केवल योगदानकर्ता है बल्कि पदासीन भी हैं .
               मैं अपनी सभी नारी सम्बंधित रचनाओं के लिए एक नए ब्लॉग  ''भारतीय नारी ''का सृजन भी कर रही हूँ क्योंकि मुझे विश्वास है की अति नारी वादी रचना जी ने मेरी व् शालिनी जी की सभी रचनाये भी अपने ब्लॉग से हटा दी होंगी  .
             मैं पूनम पांडे जैसी नारियों का साथ कभी नहीं दे सकती की नारी अस्मिता    को तार   तार    कर वे जो चाहे नारी सशक्तिकरण    के आधार    पर पहने    अथवा     कुछ    भी न पहने   और न  ही अन्य नारीवादियों की तरह सूर्पनखा को महिमा मंडित करने के लिए श्री लक्ष्मण जी के उज्जवल चरित्र पर उंगली उठा सकती हूँ मात्र  इसलिए  की सूर्पनखा भी एक स्त्री थी  .मैं हमेशा माता सीता जैसे चरित्रों के साथ हूँ जिन्होंने स्त्री जाति को सम्मान दिलाया है और मर्यादा को कभी नहीं छोड़ा   .
          रचना जी का एक बार  और शुक्रिया   .

---------- Forwarded message ----------
From: रचना Rachna <indianwomanhasarrived@gmail.com>
Date: Thu Jul 21 05:08:00 PDT 2011
Subject: रचना Rachna के साथ चैट करें
To: shikhapkaushik@gmail.com
 

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

क्या कन्या भ्रूण हत्या करने वाले इससे लेंगे कुछ सबक !




क्या कन्या भ्रूण हत्या करने वाले इससे लेंगे कुछ  सबक ?कल मैंने अनवर जी के ''मुशायरा ' ब्लॉग पर उनके द्वारा प्रस्तुत एक अशआर पढ़ा ,जो इस प्रकार था -
 
तर्क ए मोहब्बत पर भी होगी उनकी  नदामत हम से ज़्यादा
किसने की हैं कौन करेगा उनसे मोहब्बत हम से  ज़्यादा
कोई तमन्ना कोई मसर्रत दिल के करीब आने ही ना दी 

किसने की है  इश्क़  में यारों 
ग़म से मोहब्बत हम से  ज़्यादा
इस अशआर के नीचे लिखी पंक्तियाँ मन को झंकझोर  देने वाली थी.जो इस प्रकार थी -''एक मासूम कली हमारे आँगन में खिली हमारे घर को महकाया और फिर जन्नत का फूल बन गयी .'' अनवर जी ने इस सन्दर्भ  में बताया कि-
''अशआर  के  नीचे  एक लाइन जिस वाक़ये से मुताल्लिक़ लिखा है, वह पिछले साल 22 जुलाई को पेश आया था। अब दो दिन बाद फिर 22 जुलाई आने वाली है। मैं अपनी बेटियों से प्यार करता हूं। अनम आज भी याद आती है तो आंखें भर आती हैं। वह इस संसार में कुल 28 दिन ज़िंदा रही। उसने बड़ी हिम्मत से ‘स्पाइना बिफ़िडा‘ के फ़ोड़े की तकलीफ़ को झेला और इतने बड़े ज़ख्म के बावजूद उसने हमें परेशान नहीं किया। वह तो रोती तक न थी। मैं अपने हाथों से सुबह शाम दो वक्त उसकी ड्रेसिंग किया करता था।
बहरहाल वह हमें याद आती है लेकिन उसके हक़ में यही बेहतर था।
हमारा रब हमें उससे फिर मिला देगा, इंशा अल्लाह 

अपनी नन्ही सी कली के प्रति उनकी भावनाओं ने दिल को छू लिया  .मैं परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करूंगी कि वो अनवर जी की  ख्वाहिश को जरूर पूरा करें व् सभी बच्चियों को अनवर जी जैसे पिता की छत्र-छाया प्रदान करें

                                            शिखा कौशिक 

मंगलवार, 19 जुलाई 2011

''खिलाफ़त कर के भी देखो ''

''खिलाफ़त कर के भी देखो ''

१३ जुलाई २०११ की शाम को हुए तीन धमाकों ने मुंबई सहित पूरे देश को फिर से दहला डाला .मुम्बईकरो ने साहस के साथ इसका मुकाबला किया और घायलों को अस्पताल पहुँचाया .मुम्बईकरो ने हर आतंकी हमले व् बम-विस्फोट का इसी हौसले के साथ डटकर मुकाबला किया है पर ''१४ जुलाई २०११ के ''अमर उजाला ''दैनिक समाचार पत्र में पृष्ठ  -१४ ''पर प्रकाशित ''दिल में टीस;पर नहीं टूटा  मुंबई का हौसला ''खबर में उल्लिखित एक बात ने  मुझे सोचने पर विवश कर दिया .खबर में लिखा था कि-''मुंबई के लोगों की जिन्दगी फिर से पटरी पर लौट रही है .सुबह लोग अपने दफ्तर जाते दिखे.कबूतरखाना के सामने एक स्कूल में बच्चों के चेहरे पर दहशत का नामोनिशां तक नहीं था .बच्चों का कहना था कि उन्हें धमाकों के बारे में मालूम है लेकिन वे डरते नहीं हैं .''
                           यही बात सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर इतनी शीघ्र मुंबई सामान्य कैसे हो गयी ?क्या बम-विस्फोंटों को उसने अपनी नियति समझ लिया है ?२० से ज्यादा हमारे जैसे  इंसानों के जिस्म के टुकड़े-टुकड़े हो गए .ठीक है हम दहशतगर्दों को ये जवाब देना चाहते हैं कि हम तुम्हारे हमलों से डरते नहीं हैं पर हम अगर एक सामान्य इन्सान है तो ऐसे मौके पर हमारे भीतर डर और आक्रोश दोनों ही प्रकट होने चाहियें .
                          मुंबई हमलों  के अगले दिन अपने दैनिक कार्यों पर न जाकर बम-विस्फोटों का अपने स्तर से शांतिपूर्ण विरोध करना चाहिए था .उन्हें प्रशासन व् सरकार को यह दिखाना चाहिए था कि हमारी जान इतनी भी सस्ती नहीं कि हम बम विस्फोटों की भेंट चढ़ने हेतु फिर निकल पड़ें .उन्हें हर सार्वजानिक कार्य का बहिष्कार कर यह सन्देश देना चाहिए था कि सत्तासीन लोगों सावधान हो जाओ -हम अब अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं .आप सत्ता भोग करने हेतु मंत्री पदों पर नहीं बैठाये गए हैं .हमें अपनी सुरक्षा की गारंटी चाहिए तभी हम  सामान्य रूप से सार्वजानिक कार्यों में लग पाएंगे .हम आप से सवाल करते हैं अपनी सुरक्षा को लेकर -अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर .आप क्या कर रहे हैं ?
                     प्रशासनिक लापरवाही का  विरोध तो मुम्बईवासियों को करना ही चाहिए था -जिसका एकमात्र स्वरुप हर सार्वजानिक कार्य का बहिष्कार था .हौसला टूटना नहीं चाहिए पर आक्रोश भी ऐसे समय पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए जिससे सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने वालों की कुम्भकर्णी नींद टूटे वरना सुन्न हुए अंग की भांति हमारी भावनाएं भी सुन्न पड़ जाएँगी .

                           ''मौत के आगे घुटने मत टेको ;
जिन्दगी को मौत बनने से भी रोको ;
हर हालत को सह जाना होशयारी नहीं 
एक बार तो खिलाफ़त करके भी देखो .
                    शिखा कौशिक 

शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

वाह ! क्या जज़्बा है !



''वाह क्या जज्बा है !''



[यह आलेख समर्पित है अपने संस्कारों  को भुलाकर -दिशाहीन हुए ऐसे किशोरों व् युवाओं को जो स्वयं तो समाज के लिए एक कलंक बन ही जाते हैं पर किशोरियों व् युवतियों के लिए भी भयंकर समस्या पैदा कर देते हैं .इस आलेख को मात्र पढियें  ही मत -कुछ सोचिये भी -यही मेरा अनुरोध है .]

''अबे टिंकू चल देखते हैं वहां सड़क पर इतनी भीड़ कैसे लगी है ?लगता है किसी की धुनाई चल रही .......''हाँ  मिंकू  चल देखते हैं .''......दोनों ने जाकर देखा तो पाया ये उनका दोस्त ''चिंकू '' ही  था .दोनों ने भीड़ में खड़े एक व्यक्ति से पूछा -''भाई जी इस लड़के की पिटाई क्यों की जा रही ?.....वो व्यक्ति कुछ भड़कते हुआ बोला -''मजनू बनता है साला !लड़की ट्यूशन पड़ने जा रही थी स्कूटी पर ..साले  ने इतनी जोर से अपनी बाइक से स्कूटी में टक्कर  मारी कि  लड़की सड़क पर गिर पड़ी .'' टिंकू -मिंकू अफ़सोस जाहिर करते हुए थोडा पीछे  हट लिए ..... टिंकू ने मिंकू के कान के पास जाकर धीरे से कहा -''अबे सुन मिंकू जल्दी से यहाँ से निकल लेते हैं .कल हमने भी तो चिंकू की बाइक पर पीछे बैठकर छेड़ा था इस लड़की को गाना गाकर .''.....''हाँ यार तू ठीक कह रहा है .''दोनों ऐसा सोचकर वहां से खिसक लिए .दूसरी गली में आते ही सामने से आती हुई तीन किशोरियों को देखकर उन दोनों का मन मचल उठा .टिंकू उनके पास से गुजरता हुआ  अपने बालों में स्टाइल से हाथ घुमाते  हुए  गुनगुनाने लगा -''......मेरी अदा भी आज क्या कर गयी ....''ठीक से गुनगुना भी न पाया था कि उनमे से एक लड़की ने जोरदार तमाचा उसके मुहं पर जड़ दिया और उसके बाल पकडती हुई बोली ''....जानता है यहाँ के थानेदार की बेटी हूँ मैं !''....टिंकू को पिटता देख मिंकू चुपके से वहां से निकल लिया .जल्दी-जल्दी अपने घर की ओर कदम बढ़ाते हुए जब वह घर से कुछ ही दूर रह गया था उसे पड़ोस के वर्मा जी की बेटी चंपा दिखाई दी .न चाहते हुए भी उसके मुहं से ''सीटी'' निकल ही गयी .''सीटी'' पूरी निकलती उससे पहले ही पीछे से किसी ने उसकी गर्दन दबोचते हुए कहा -''रोज़-रोज़ छेड़ता है मेरी बेटी को आज सारी गर्मी निकाल देता हूँ ''....यह कहकर वर्मा जी ने उसके मुहं पर दस-एक चांटे रसीद कर दिए .चांटों के प्रहार से बौखलाया हुआ जब वह होश में आया तब सामने न तो चंपा थी और न ही वर्मा जी .सामने खड़े थे उसके लूटे-पिटे मित्र चिंकू व् टिंकू .चिंकू ने आगे बढ उसके कंधे पर हमदर्दी से हाथ रखते हुए कहा -''मंजिल पाने के लिए ऐसे जुल्मों को तो सहना ही पड़ता है .हिम्मत मत हारना .कल को मिलते है लड़कियों के स्कूल की छुट्टी के टाइम पर गोल चौराहे पर .तब तक सिकाई-विकाई  करके इस थोपडे को भी तो ठीक करना है .''यह कहकर चिंकू लंगड़ाता हुआ चल दिया .तीनो के ह्रदय में बस यही भाव था कि-''ऐसे जुल्मों से घबराना नहीं है .हमें लगे रहना है .यही तो है ''असली जज़्बा ''.
                                shikha kaushik 


शनिवार, 9 जुलाई 2011

''एक हल्की बात कर देती है किरदार तार-तार !''

''एक हल्की बात कर देती है किरदार तार-तार !''

ब्लॉग जगत अपने मूल स्वरुप में बुद्धिजीवियों का समूह है .ब्लॉग जगत में ऐसी हल्की बात की उम्मीद कोई भी सभ्य-सुशिक्षित ब्लोगर नहीं कर सकता है .ब्लोगर स्त्री है या पुरुष -क्या आप यह देखकर किसी के ब्लॉग पर जाते हैं ?आप ब्लॉग पर पोस्ट की गयी रचना-आलेख पर ध्यान देते हैं या प्रोफाइल में चिपकी ब्लोगर की फोटो पर ? मेरा मानना है कि कोई भी सभ्य ब्लोगर सिर्फ पहचान के लिए प्रोफाइल फोटो पर एक नज़र डाल लेता है .ऐसे में यदि कोई आपको बार-बार यह सलाह दे कि आप ब्लॉग पर अपने प्रोफाइल में ''अच्छी फोटो ''लगायें इससे पाठकों की संख्या बढती है तो इसे आप क्या सलाह देने वाले के दिमाग का दिवालियापन नहीं कहेंगे !
जो पाठक आपकी रचनाओं के स्थान पर आपकी फोटो पर ज्यादा ध्यान देते हैं -वे पाठक हैं ही कहाँ ?वे तो दर्शक हैं .उनके लिए तो बहुत सामग्री नेट पर अन्यत्र भी उपलब्ध है .ऐसे ब्लोगर न तो साहित्य प्रेमी कहे जा सकते हैं और न ही विशुद्ध आलोचक .वे केवल तफरी करने के लिए ब्लॉग बना कर बैठ गएँ हैं .ब्लॉग जगत में सुन्दर चेहरों को फोटो में तलाशने का उद्देश्य रखने वाले ऐसे ब्लोगर्स को यह जान लेना चाहिए कि यदि ब्लॉग को प्रसिद्द करने का यही तरीका होता तो न तो अच्छा लिखने वालों को कोई पूछता और न ही उम्रदराज ब्लोगर्स को जबकि ब्लॉग जगत में दोनों की ही महत्ता सिर चढ़ कर बोल रही है .
यदि सुन्दर फोटो लगाकर कोई ब्लॉग जगत में अपनी पाठक संख्या बढाने का ख्वाब देखता है तो यह केवल दिवास्वप्न ही है क्योंकि यदि ऐसा होता तो यहाँ भी फ़िल्मी हीरो-हिरोइन -मॉडल का बोलबाला हो चुका होता.इसके पीछे कारण यही है कि आम आदमी न तो उनकी तरह अपनी शारीरिक सुन्दरता को लेकर सचेत होता है और न ही उसके पास इन की तरह शरीर को सुन्दर-सुडोल बनाने का समय व् पैसा होता है .फिल्म-मॉडलिंग से जुड़े लोग अपने शरीर को दुकान के माल की तरह सजा-सवाँर कर रखते हैं क्योंकि यह उनके पेशे का हिस्सा है पर यहाँ ब्लॉग जगत में हम सभी का उद्देश्य मात्र अपने विचारों और भावों को अपने सामान आम लोगों तक संप्रेषित करना है व् अन्य ब्लोगर्स के विचारों से अवगत होना है .वास्तव में जो किसी को ऐसी घटिया सलाह देता है वह सबसे पहले किसी की निजता को चोट पहुंचाता है फिर सभ्यता की सीमाओं को लांघता है और इस सबके बाद वह स्वयं विचारकर देखे कि वह कितनी हल्की बात कर रहा है ! इससे उसका किरदार भी तो तार-तार हो जाता है .क्या ऐसा नहीं है ?

''एक हल्की बात कर देती है किरदार तार-तार !''

''एक हल्की बात कर देती है किरदार तार-तार !''

ब्लॉग जगत अपने मूल स्वरुप में बुद्धिजीवियों का समूह है .ब्लॉग जगत में ऐसी हल्की बात की उम्मीद कोई भी सभ्य-सुशिक्षित ब्लोगर नहीं कर सकता है .ब्लोगर स्त्री है या पुरुष -क्या आप यह देखकर किसी के ब्लॉग पर जाते हैं ?आप ब्लॉग पर पोस्ट की गयी रचना-आलेख पर ध्यान देते हैं या प्रोफाइल में चिपकी ब्लोगर की फोटो पर ? मेरा मानना है कि कोई भी सभ्य ब्लोगर सिर्फ पहचान के लिए प्रोफाइल फोटो पर एक नज़र डाल लेता है .ऐसे में यदि कोई आपको बार-बार यह सलाह दे कि आप ब्लॉग पर अपने प्रोफाइल में ''अच्छी फोटो ''लगायें इससे पाठकों की संख्या बढती है तो इसे आप क्या सलाह देने वाले के दिमाग का दिवालियापन नहीं कहेंगे !
जो पाठक आपकी रचनाओं के स्थान पर आपकी फोटो पर ज्यादा ध्यान देते हैं -वे पाठक हैं ही कहाँ ?वे तो दर्शक हैं .उनके लिए तो बहुत सामग्री नेट पर अन्यत्र भी उपलब्ध है .ऐसे ब्लोगर न तो साहित्य प्रेमी कहे जा सकते हैं और न ही विशुद्ध आलोचक .वे केवल तफरी करने के लिए ब्लॉग बना कर बैठ गएँ हैं .ब्लॉग जगत में सुन्दर चेहरों को फोटो में तलाशने का उद्देश्य रखने वाले ऐसे ब्लोगर्स को यह जान लेना चाहिए कि यदि ब्लॉग को प्रसिद्द करने का यही तरीका होता तो न तो अच्छा लिखने वालों को कोई पूछता और न ही उम्रदराज ब्लोगर्स को जबकि ब्लॉग जगत में दोनों की ही महत्ता सिर चढ़ कर बोल रही है .
यदि सुन्दर फोटो लगाकर कोई ब्लॉग जगत में अपनी पाठक संख्या बढाने का ख्वाब देखता है तो यह केवल दिवास्वप्न ही है क्योंकि यदि ऐसा होता तो यहाँ भी फ़िल्मी हीरो-हिरोइन -मॉडल का बोलबाला हो चुका होता.इसके पीछे कारण यही है कि आम आदमी न तो उनकी तरह अपनी शारीरिक सुन्दरता को लेकर सचेत होता है और न ही उसके पास इन की तरह शरीर को सुन्दर-सुडोल बनाने का समय व् पैसा होता है .फिल्म-मॉडलिंग से जुड़े लोग अपने शरीर को दुकान के माल की तरह सजा-सवाँर कर रखते हैं क्योंकि यह उनके पेशे का हिस्सा है पर यहाँ ब्लॉग जगत में हम सभी का उद्देश्य मात्र अपने विचारों और भावों को अपने सामान आम लोगों तक संप्रेषित करना है व् अन्य ब्लोगर्स के विचारों से अवगत होना है .वास्तव में जो किसी को ऐसी घटिया सलाह देता है वह सबसे पहले किसी की निजता को चोट पहुंचाता है फिर सभ्यता की सीमाओं को लांघता है और इस सबके बाद वह स्वयं विचारकर देखे कि वह कितनी हल्की बात कर रहा है ! इससे उसका किरदार भी तो तार-तार हो जाता है .क्या ऐसा नहीं है ?

बुधवार, 6 जुलाई 2011

मधुर का तनाव जायज है !




मधुर  का  तनाव जायज है !

ऐश के गर्भवती होने से मधुर भंडारकर सदमे में हैं .मधुर ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जो कहा उससे मैं सहमत हूँ -''हीरोइन परियोजना रुक जाने के बाद आज मै अपने कार्यालय में अकेला बैठा हूँ .जिस परियोजना पर मैं पिछले डेढ़ साल से पसीना बहा रहा था,उसे मैं ऐसे ही बंद न होने देता .यह मेरे कैरियर की सबसे महत्वकांक्षी  परियोजना होने जा रही थी ''
                हो सकता है आप में से कुछ उनके इस कथन को इस तरह ले कि ''मधुर केवल व्यवसायिक दृष्टिकोण से सोच रहे हैं ''पर मैं नहीं मानती यह सही है कि किसी भी अभिनेता का या अभिनेत्री का निजी जीवन किसी और के सपनों को इस तरह बर्बाद कर डाले .ऐश्वर्या एक स्थापित अभिनेत्री हैं .किसी भी फिल्म का हिस्सा बनने से पहले उन्हें स्वयं यह निर्णय लेना चाहिए था कि वे अब प्राथमिकता किसे देती है -माँ बनने को अथवा फ़िल्मी जीवन को .एक सामान्य स्त्री के गर्भधारण में और एक सफल व् कई परियोजनाओं का हिस्सा बनी अभिनेत्री के गर्भधारण में जमीन-आसमान का अंतर है .आपको यदि माँ बनना है तो किसी की महत्वकांक्षी  योजना का हिस्सा क्यों बन रही हैं ?यहाँ यह कहना भी हास्यासप्रद  है कि अचानक ही ऐसा हो गया ?
                                       मधुर जी अब एक बात तो आप हमेशा याद रखेंगे ही कि किसी विवाहित अभिनेत्री को हीरोइन बनाना कितना बड़ा जोखिम का काम है ! 

                                                                                        शिखा कौशिक 
                                                           http://vicharonkachabootra.blogspot.com
                                    



सोमवार, 4 जुलाई 2011

अब बदनाम ही रुतबे वाला है !

अब बदनाम ही रुतबे वाला है !

कल के दैनिक हिंदुस्तान  में एक खबर पढ़कर मेरा मन घृणा से भर उठा .शीर्षक  था -''जेल से छूटते ही मरिया का महिमामंडन  शुरू ''.नीरज ग्रोवर हत्या कांड में सबूत मिटाने  वाली क्रूर ह्रदय मारिया सुसाईराज   तीन साल की सजा काटकर शनिवार को जेल से रिहा हो गयी .ऐसी दुष्ट औरत के साथ समाज यदि कठोर रुख नहीं अपना सकता तो यह भी तो शोभा नहीं देता कि उसको तथाकथित ''स्टार'' का दर्जा प्रदान किया जाये पर इलेक्ट्रौनिक  मीडिया से लेकर फिल्म निर्माता तक उसकी बदनामी को भुनाने के लिए उसके आगे-पीछे चक्कर लगा रहें हैं .अख़बार में इस बदनामी को ''लोकप्रियता'' कहा गया है .संवाददाता को दस बार विचार करना चाहिए  था इस एक शब्द ''लोकप्रियता 'को लिखने से पहले .यदि यही लोकप्रियता है तो फिर तो आज भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय ''अजमल कसाब ''है .रामगोपाल वर्मा ने खुलेआम मरिया पर एक फिल्म बनाने  की घोषणा की है ,कलर्स चैनल ''बिग बौस'' में लेने के लिए उत्सुक है -आखिर क्यों ?ये हम दर्शकों को भी सोचना है .मारिया के प्रति आप क्या मेरे जैसे विचार नहीं रखते -

                  ''जो टुकड़े जिस्म के नीरज के किये थे  
                        ए-मारिया भला वे छिप सके कहाँ ?
               मुझको तो तेरी सूरत पर 
              अब भी नजर आते हैं ''
ऐसी क्रूर अभिनेत्री पर तो आजीवन फिल्मों में काम  करने पर  प्रतिबन्ध होना चाहिए और ऐसी क्रूर स्त्री को जो ''स्टार'' का दर्जा दें वे इन्सान नहीं शैतान ही हैं -

                  ''   उस इन्सान के भीतर शैतान भी है रहता 
                जो कातिलों को आज भगवान कह रहा है  ''
                                          
                                                               शिखा कौशिक 
                  http://vicharonkachabootra.blogspot.com