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सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

एक बेटी का परम्परा के मुंह पर करारा तमाचा


 एक बेटी  का  परम्परा   के  मुंह  पर करारा  तमाचा 
हमारे  समाज  में  सदियों  से वंश  चलाने  व्  अंत्येष्टि  संस्कार  के  नाम  पर  पुत्रों  के जन्म  पर  हर्ष  व्  उत्साह  प्रदर्शित  करने  की  परम्परा  रही  है  .पुत्र -उत्पत्ति  की इच्छा  के पीछे  हमारे  मान्य  ग्रंथों   में  पुत्रों  को  ही  मुक्ति  दिलाने  वाला  ,वंश  चलाने  वाला  के रूप  में  वर्णित  किया  जाना  एक  बड़ा  कारण  रहा  है  .''श्रीमदवाल्मीकीय  रामायण   '' में  इस  सन्दर्भ  में  उल्लेख  आता  है -
''''पुत्र्नाम्नों नरकाद यस्मात  पितरं त्रायते  सुत   
                   तस्मात्  पुत्र इति प्रोक्त:  पितरं  म: पाति सर्वतः ''
[श्री मद वाल्मीकीय रामायण ,अयोध्या काण्ड   ,सप्ताधिक्   शततम: सर्ग:,पृष्ठ -४४७,गीता  प्रेस गोरखपुर ] 
          स्मृतिकारों द्वारा उल्लिखित सोलह संस्कारों में भी ''अंत्येष्टि क्रिया ' पुत्रादि के द्वारा किया  जाना विधानित किये जाने से भी कन्या  जन्म की तुलना   में पुत्र   जन्म हर्ष  का कारण बन  गया  .इस एक कारण ने भारतीय समाज की मानसिकता  कन्या  जन्म विरोधी  बना  डाली .पिण्ड दान ,मोक्ष,स्वर्ग की भ्रांत धारणाओं  ने कन्या  -जन्म को एक अभिशाप    बना  डाला किन्तु   18 अक्टूबर   2011 को एक बेटी ने इस परम्परा   के मुंह  पर करारा  तमाचा  लगा डाला .मेरठ के प्रभातनगर निवासी   श्री खेमराज  की मृत्यु  ने जहाँ  उसकी दो पुत्रियों व् पत्नी को अन्दर तक तोड़ डाला होगा वहीँ उसकी १५ वर्षीय बेटी 'पूजा 'ने  पचास आदमियों  के समूह के आगे सिर पर सफ़ेद कपडा बांधकर  - आगे-आगे चलकर  सारे  समाज का ध्यान   अपनी  और खीचा  कि '' देखो एक बेटी भी अपने पिता की अंतिम  क्रिया  हेतु  शमशान घाट तक जा  सकती है वहीँ सूरजकुंड  शमशान घाट पर अपने पिता को मुखाग्नि देकर ''पुत्री'' शब्द  को सार्थक  कर दिया '' यदि  पुत्र  नरक  से मुक्ति  दिला  सकता  है तो  'पुत्री' क्यों नहीं  ?
          इस सब  में 'पूजा' का साथ उसके पूरे मोहल्ले ने दिया  जो इस और सकारात्मक संकेत है की हमारे  पुरुष प्रधान  समाज की मानसिकता  में परिवर्तन  आ रहा है .पुरुष प्रधान  समाज की मजबूत दीवारों को हिला कर रख देने वाली ''पूजा '' जैसी बेटी  को मेरा  सलाम  है . का 
                                                        शिखा  कौशिक 
                                    [विचारों का चबूतरा ]

सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

एक नए शोध की आवश्यकता है .


यह   खबर पढ़ी    -येदयुरप्पा के सीने में दर्द, अस्पताल में भर्ती'' तो अनायास  ही निम्न  विचार  मन में  आ गए -
 एक नए शोध की आवश्यकता है .    भ्रष्टाचारी और ह्रदय रोग .जब भी कोई भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा जाता है उसके दिल में दर्द शुरू हो जाता है .ऐसा क्यों होता है ? यही शोध क़ा विषय होना चाहिए .जिस जनता क़ा शोषण कर ये लोग इतना बड़ा रोग पाल लेते है वो जनता इनके पकडे जाने पर यह आस भी नहीं रख पाती कि अब भ्रष्टाचार क़ा भांडा फूटेगा मगर कमबख्त भ्रष्टाचारी क़ा ह्रदय बीच में आ जाता है और सारा मजा किरकिरा हो जाता है .इतना पैसा तिजोरियों में छुपा कर रखना भी तो आसान बात नहीं न !इतने भेद ! इतने झूठ  ! आखिर दिल तो दर्द करेगा ही .मेरा सभी शोधार्थियों से नम्र निवेदन है कि इस खास विषय पर गहन शोध कीजिये .सफल होने पर शायद नोबेल पुरस्कार तक मिल जाये .मेरी शुभकामनाये आप सभी के साथ है .
                                        शिखा कौशिक 
                           [विचारों का  चबूतरा ]

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

जनता का हक़ है !

जनता का हक़ है !

आज के राजनैतिक [जिसमे कुछ भी नैतिक  नहीं है] हालातों में अपने नेताओं के आचरण पर वाकई क्रोध आता है .एक और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र  मोदी  ने  उपवास   के आयोजन  पर करोड़ों रूपये  बहा  दिए ;दूसरी ओर  पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवानी  जी 50 लाख के रथ में सवार होकर नंगी -भूखी जनता को जगाने-सचेत   करने के लिए निकले पड़ें   हैं . जो सत्ता में हैं वे  तो भ्रष्ट  हैं ही पर जो सत्ता से बाहर हैं उनका आचरण भी यह नहीं दर्शाता कि ये हमें एक स्वच्छ  व् ईमानदार  सरकार  प्रदान  कर सकेंगें .रथ-यात्रा पर निकले  व् सत्तासीन सभी नेताओं से जनता को यह कहने  व् पूछने  का पूरा  हक़ है -

जनता का हक़ है ये पूछे क्या तुम करते हो ?
जनता के पैसे से क्यों तुम जेबे भरते हो ?

कितने  खाते  स्विस  बैंक  में गद्दारों  तुमने  खोले  ?
फांसी  पर लटका देंगे  जो अब  भी सच  ना  बोले  .

नाम  गरीबों  का लेकर  'पैकेज ' का रुपया  खाते ;
बेहतर  होता   इससे  पहले  डूब  के तुम मर  जाते .

लाखों मरे  किसान  देश के ;रोटी के हैं लाले  ;
तुम ही जिम्मेदार  हो इसके  ;कर लो  अब मुंह  काले  .

जनता जाग  उठी  है तोड़ेगी   चुप्पी  के ताले  ;
पकड़  के गर्दन  पूछेगी  ''क्यूँ  करते हो घोटाले  ?

                           क्या आज के नेता इनमे  से एक भी सवाल  का जवाब  दे  पाएंगे  ?........
                                                               जय हिंद !