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सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

जाट लड़की ने जीन्स पहनी, तो प्रधान दे जुर्माना'

लड़की क्या पहनती है बस सारा भारतीय पुरुष समाज इस पर ही अपना ध्यान केन्द्रित किये हुए है .बलात्कार का मुख्य कारण भी लड़की का  पहनावा है .इस पर ये नया फरमान जारी किया गया है -
[नवभारत टाइम्स से साभार ]
                               

                   जाट लड़की ने जीन्स पहनी, तो प्रधान दे जुर्माना'

                                     jat-girls
लखनऊ।। लड़कियों के जीन्स पहनने पर रोक लगा पाने में असमर्थ उत्तर प्रदेश के भारतीय किसान मोर्चा ने अब एक नया फरमान जारी कर दिया है। भारतीय किसान मोर्चा (बीकेएम) ने ऐलान किया है कि जिस गांव में जाट लड़कियां जीन्स पहने दिख जाएंगी, उस गांव के प्रधान को 20 हजार रुपए जुर्माना देना होगा।

बीकेएम चाहता है कि गांव के प्रमुख इस बात की जिम्मेदारी लें कि उनके गांव में कोई लड़की जीन्स न पहने। इस तुगलकी फरमान पर बीकेएम के नैशनल प्रेजिडेंट मन्नू लाल चौधरी ने कहा है, 'यदि कोई भी जाट लड़की जीन्स पहने पाई गई तो गांव के सरपंच को जुर्माना भरना होगा। उन्हें 20 हजार रुपए का दंड भरना होगा।'

शनिवार को बागपत जिले के धिकौली गांव में बीकेएम ने जाटों की मीटिंग बुलाई और यह ऐलान किया। चौधरी ने कहा कि लड़कियां उनके किसी फरमान को नहीं मान रही हैं चाहे वह जीन्स न पहनने का हो या फिर मोबाइल के इस्तेमाल को बंद करने का।

चौधरी का कहना है, 'ये चीजें हमारे बच्चों पर बुरा असर डाल रही हैं और हमें उनके भविष्य पर बुरा असर डालने वाली हर चीज को रोकने का हक है।' चौधरी ने कहा कि हर जाट लड़की पर नजर रखना नामुमकिन है लेकिन गांव का प्रधान उन सबको पहचानता है। इसलिए, यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह हमारा फैसला लागू करे। चौधरी ने कहा, 'यदि कोई जाट लड़की जीन्स पहने दिख गई तो हम प्रधान से 20 हजार रुपए बतौर जुर्माना वसूलेंगे।'
वैसे यहां बता दें कि यह कोई पहला तुगलकी फरमान नहीं है जिससे वेस्टर्न यूपी को दो चार होना पड़ रहा है। ऐसे ही फरमान कई गांवों में जारी किए गए हैं। हाल ही में खुद लड़कियों के एक समूह ने यह कसम खाई थी कि वे बड़ों के निर्देशों का पालन करेंगी। लेकिन, इन फरमानों को धता बता देने वाली लड़कियों की संख्या कहीं ज्यादा है।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक बागपत की एक अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट ने बताया, 'बीकेएम के नेता ये सब पब्लिसिटी के लिए कर रह रहे हैं और वे खुद को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) से आगे बताना चाहते हैं।' बीकेयू महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा बनाई गई किसान यूनियन है। स्टूडेंट ने कहा कि जाट किसान बीकेयू के साथ खड़े होते हैं न कि बीकेएम के और इसलिए मन्नू लाल चौधरी जाटों की अटैंशन पाने के लिए यह सब कर रहा है। जबकि, हम इन सब फरमानों को सीरियसली लेते ही नहीं हैं।

                                  निश्चित रूप से ये फरमान तुगलकी  हैं और ग्लोबल विलेज के रूप में बदलते विश्व   में इनका समर्थन कोई नहीं कर सकता है .
                                           शिखा कौशिक 



6 टिप्‍पणियां:

Aditya Tikku ने कहा…

atiutam-***

aap ke blog ka name bhi bada acha hai

रविकर ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति |
बधाई आदरेया ||

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' ने कहा…

अपने बहुत महत्वपूर्ण सवाल उठाया है .पुरुष वादी मानसिकता को तोड़ना होगा

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' ने कहा…

अपने बहुत महत्वपूर्ण सवाल उठाया है .पुरुष वादी मानसिकता को तोड़ना होगा

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' ने कहा…

अपने बहुत महत्वपूर्ण सवाल उठाया है .पुरुष वादी मानसिकता को तोड़ना होगा

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' ने कहा…

अपने बहुत महत्वपूर्ण सवाल उठाया है .पुरुष वादी मानसिकता को तोड़ना होगा