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बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

जन्म -दिवस पर लौह महिला को शत शत नमन !!!

     जन्म -दिवस पर  लौह महिला को शत  शत  नमन  !!!


इंदिरा जी के जीवन  से  सम्बंधित  जानकारी  जो भी अंतर्जाल पर मौजूद थी मैं जुटा लायी हूँ आप सभी के लिए -[साभार विकिपीडिया से ]

smt.indira gandhi 

इंदिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर १९१७-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।



इन्दिरा का जन्म 19 नवंबर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में हुआ था। इनके पिताजवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं। इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम फिरोज़ गाँधी से विवाह के पश्चात मिला था। इनका मोहनदास करमचंद गाँधी से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था। इनके पितामह मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।
1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था। इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गईं और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं, और ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह इलाहाबाद से जानती थीं, और जो लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ
ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं।
1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एकराज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।[1]
श्री लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन कॉंग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे। गाँधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ जनप्रियता के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया। 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में आपातकाल लागू किया। उन्होंने एवं कॉंग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई।


                                                 जीवन के अंतिम क्षण  तक  
                            खून की आखिरी  बूँद  शेष  रहने  तक  
                                                        देश  सेवा  में  संलग्न  लौह  महिला  
                          को  शत  शत  नमन  !!!
                               

 शिखा कौशिक 


सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

जाट लड़की ने जीन्स पहनी, तो प्रधान दे जुर्माना'

लड़की क्या पहनती है बस सारा भारतीय पुरुष समाज इस पर ही अपना ध्यान केन्द्रित किये हुए है .बलात्कार का मुख्य कारण भी लड़की का  पहनावा है .इस पर ये नया फरमान जारी किया गया है -
[नवभारत टाइम्स से साभार ]
                               

                   जाट लड़की ने जीन्स पहनी, तो प्रधान दे जुर्माना'

                                     jat-girls
लखनऊ।। लड़कियों के जीन्स पहनने पर रोक लगा पाने में असमर्थ उत्तर प्रदेश के भारतीय किसान मोर्चा ने अब एक नया फरमान जारी कर दिया है। भारतीय किसान मोर्चा (बीकेएम) ने ऐलान किया है कि जिस गांव में जाट लड़कियां जीन्स पहने दिख जाएंगी, उस गांव के प्रधान को 20 हजार रुपए जुर्माना देना होगा।

बीकेएम चाहता है कि गांव के प्रमुख इस बात की जिम्मेदारी लें कि उनके गांव में कोई लड़की जीन्स न पहने। इस तुगलकी फरमान पर बीकेएम के नैशनल प्रेजिडेंट मन्नू लाल चौधरी ने कहा है, 'यदि कोई भी जाट लड़की जीन्स पहने पाई गई तो गांव के सरपंच को जुर्माना भरना होगा। उन्हें 20 हजार रुपए का दंड भरना होगा।'

शनिवार को बागपत जिले के धिकौली गांव में बीकेएम ने जाटों की मीटिंग बुलाई और यह ऐलान किया। चौधरी ने कहा कि लड़कियां उनके किसी फरमान को नहीं मान रही हैं चाहे वह जीन्स न पहनने का हो या फिर मोबाइल के इस्तेमाल को बंद करने का।

चौधरी का कहना है, 'ये चीजें हमारे बच्चों पर बुरा असर डाल रही हैं और हमें उनके भविष्य पर बुरा असर डालने वाली हर चीज को रोकने का हक है।' चौधरी ने कहा कि हर जाट लड़की पर नजर रखना नामुमकिन है लेकिन गांव का प्रधान उन सबको पहचानता है। इसलिए, यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह हमारा फैसला लागू करे। चौधरी ने कहा, 'यदि कोई जाट लड़की जीन्स पहने दिख गई तो हम प्रधान से 20 हजार रुपए बतौर जुर्माना वसूलेंगे।'
वैसे यहां बता दें कि यह कोई पहला तुगलकी फरमान नहीं है जिससे वेस्टर्न यूपी को दो चार होना पड़ रहा है। ऐसे ही फरमान कई गांवों में जारी किए गए हैं। हाल ही में खुद लड़कियों के एक समूह ने यह कसम खाई थी कि वे बड़ों के निर्देशों का पालन करेंगी। लेकिन, इन फरमानों को धता बता देने वाली लड़कियों की संख्या कहीं ज्यादा है।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक बागपत की एक अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट ने बताया, 'बीकेएम के नेता ये सब पब्लिसिटी के लिए कर रह रहे हैं और वे खुद को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) से आगे बताना चाहते हैं।' बीकेयू महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा बनाई गई किसान यूनियन है। स्टूडेंट ने कहा कि जाट किसान बीकेयू के साथ खड़े होते हैं न कि बीकेएम के और इसलिए मन्नू लाल चौधरी जाटों की अटैंशन पाने के लिए यह सब कर रहा है। जबकि, हम इन सब फरमानों को सीरियसली लेते ही नहीं हैं।

                                  निश्चित रूप से ये फरमान तुगलकी  हैं और ग्लोबल विलेज के रूप में बदलते विश्व   में इनका समर्थन कोई नहीं कर सकता है .
                                           शिखा कौशिक 



गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

आईये मिलते हैं श्री राहुल गाँधी जी से -


भारतीय  राजनीति  में आने वाला रविवार इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाने की प्रबल  सम्भावना  है जब  जन जन के प्रिय  नेता  श्री  राहुल गाँधी  कैबिनेट   में शामिल   होंगें -
''Rahul Gandhi may get a berth after Cabinet reshuffle on Sunday TOI 9 hrs ago
NEW DELHI: Prime Minister Manmohan Singh is expected to shuffle his Cabinet on Sunday in an exercise that may carry Congress general secretary Rahul Gandhi's stamp and mark an end to the long wait among ministerial aspirants in party ranks. ''

आईये मिलते हैं श्री राहुल गाँधी जी से -


shri rahul gandhi
[facebook se sabhar ]



यूं तो  राहुल गाँधी जी का जीवन एक खुली किताब की तरह है .स्व .श्री राजीव गाँधी जी व्  सोनिया गाँधी जी के सुपुत्र  राहुल जी का जन्म  19 जून  १९७० को  नईदिल्ली में हुआ .राहुल जी ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज  यूनिवर्सिटी [  यूं..के. ]से डेवलपमेंट इकोनोमिक्स  में एम् .फिल  की डिग्री  हासिल की है .राहुल जी की - प्राथमिक शिक्षा के उन्नतिकरण ,समाज के दलित व् अन्य   शोषित वर्गों   के सशक्तिकरण  से सम्बंधित  मुद्दों में,अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों- आदि में विशेष  रुचि है .खेलों में राहुल जी को-Scuba  diving  , swimming  , cycling  , playing squash में विशेष दिलचस्पी है .इतिहास ,समाज शास्त्र,अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध ,विकास,प्रबंधन व् जीवनी आदि विषयों को पढना  उन्हें   भाता है  व् शतरंज व् flying  उनके प्रिय समय व्यतीत करने के साधन है . अब तक  वे  निम्न   पदों को सुशोभित कर चुके हैं  -

Positions Held
2004
Elected, to 14th Lok Sabha
Member, Committee on Home Affairs
5 Aug. 2006
Member, Committee on Home Affairs
5 Aug. 2007 onwards
Member, Committee on Human Resource Development
2009
Re-elected to 15th Lok Sabha (2nd ter
31 Aug. 2009
Member, Committee on Human Resource Development


एक लोकसभा सदस्य के रूप में राहुल जी का  परिचय  इस  प्रकार  है --'' Details of MemberParticularsDescriptionNameShri Rahul GandhiConstituency from which I am electedAmethiState from which I am electedUttar PradeshPolitical party nameIndian National CongressPresent Address12, Tughlak Lane,New Delhi - 110 011Tels. (011) 23795161 Fax. (011) 23012410Permanent Address12, Tughlak Lane,New Delhi - 110 011Tels. (011) 23795161 Fax. (011) 23012410''[india.gov.in से sabhar ]


ये तो हुई राहुल जी के विषय में वे जानकारियां  जो सबको दिखाई देती हैं पर आज  मैं  यहाँ उनकी उन  विशेषताओं  का उल्लेख भी करना चाहूंगी  जिन्हें  केवल हम तभी देख सकते हैं  जब हम राजनैतिक रूप से निष्पक्ष होकर देखें  .१४ वर्ष की किशोर आयु में अपनी दादी की नृशंस   हत्या का हादसा झेलने वाले राहुल जी के धैर्य  की कड़ी परीक्षा  लेने में क्रूर प्रकृति ने कोई दया नहीं की .२१ मई १९९१ की रात को जब उनके स्नेही पिता राजीव जी की एक बम विस्फोट में नृशंस हत्या की गयी तब वे भारत में नहीं थे .जिसने भी अपने किसी प्रिय परिवारीजन को हादसे में खोया होगा वह उस समय के उनके हालात...मानसिक अवस्था को सहज  ही  महसूस   कर सकता है .किस तरह २१ वर्षीय उस युवा राहुल ने झेला  होगा यह हादसा !........आज जब स्वामी सुब्रमण्यम  जैसे तथाकथित  ज्ञानी राहुल जी को ''बुद्धू'' कहकर  उनकी खिल्ली उड़ाने  का प्रयास करते हैं ..वे भूल जाते हैं हमारे राहुल जी चट्टानी- कड़ाई जैसी मानसिक सबलता रखते हैं .दादी व् पिता को हादसों में खो देने के बावजूद वे स्वयं जन सेवा  हेतु  राजनीति में आये और सन 2004 से निरंतर जनसेवा में लगे  हुए हैं .....बिना किसी पद के लालच के .
राहुल जी द्वारा किये जाने वाले जनसंपर्क को ''नाटक ''का नाम   देने वाले ये भूल जाते हैं कि-राहुल जी इन आक्षेपों से घबराते नहीं है .वे ऐसे कुत्सित बयां देने वालों को चुनौती देते हुए ठीक ही तो कहते हैं-''यदि ये नाटक है तो ये चलता  रहेगा ''.उत्तर  प्रदेश में मिले जनादेश को भी उन्होंने बड़ी शालीनता के साथ स्वीकार किया  पर मीडिया ने  राहुल जी की आलोचना को ही स्थान दिया ...उनकी मेहनत को नहीं.
हाल ही में सर्वोच्च  न्यायलय  ने  राहुल जी के खिलाफ  फर्जी बलात्कार  के मामले  में साजिश   करने वाले व्यक्ति पर भारी अर्थ दंड लगाया है और राहुल जी को क्लीन चिट दी है  .राहुल जी के शत्रुओं को जान लेना चाहिए कि ऐसी घटिया कूटनीति से  वे  राहुल जी की छवि  को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं राहुल जी ऐसी सभी से यही कहते नज़र आते हैं -
'' पत्थर ही  है मारना है तो देख ले पहले
जो सामने खड़ा है वो शख्स कौन है !''
गरिमामयी   व् आकर्षक व्यक्तित्व  के स्वामी राहुल जी से यदि आप कभी मिले तो ये अवश्य पूछियेगा कि ''आखिर वे इतने अनर्गल आक्षेपों को ..........कटु आलोचनाओं को .... को कैसे सह जाते हैं? .विपरीत परिस्थितियों  में इतने शालीन  कैसे रह पाते हैं ?

राहुल जी इसी तरह भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते रहें और आने वाले दिनों में भारतीय जनता के हितार्थ अच्छे निर्णय लेकर देश को प्रगति पथ पर अग्रसर करने में अपना सार्थक योगदान प्रदान करें ऐसी प्रभु से कामना  है .
शिखा कौशिक

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

ठिठोली या पुरुष की वास्तविक सोच !

यदि कोई महिला किसी सभा में  ये कह दे कि-''वक्त के साथ पति पुराना हो जाता है और उसमे वो मज़ा नहीं रह जाता '' तो   निश्चित रूप से  उस   महिला को कुलटा ,व्यभिचरिणी  और भी न  जाने  किन  किन  उपाधियों  से पुरुष वर्ग विभूषित कर डालेगा ...पर जब  पुरुष यह कहता  है कि -वक्त के साथ पत्नी  पुरानी   हो जाती  है और उसमे वो मज़ा नहीं रह जाता तब  सभा में  ठहाका गूँज  उठता  है .यही  है इस पुरुष प्रधान  भारतीय  समाज  की वास्तविकता  .इसबार ये कुत्सित विचार प्रकट किये हैं -केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल .नवभारत टाइम्स पर प्रकाशित इस समाचार ने अनायास ही मेरा ध्यान आकर्षित कर लिया -
JAISWAL
कानपुर।। कोलगेट मामले में जबर्दस्त विरोध झेल रहे केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल एक नए विवाद में घिर गए हैं। रविवार को अपने बर्थडे के मौके पर आयोजित एक कवि सम्मलेन में उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया, जिसका महिलाएं जबर्दस्त विरोध कर रही हैं। मंगलवार को महिलाओं ने उनका पूतला फूंका और उनकी तस्वीरों पर जूते-चप्पल बरसाए। दरअसल, अपने जन्मदिन के मौके पर आयोजित कवि सम्मेलन में कोयला मंत्री जायसवाल ने टीम इंडिया को जीत की बधाई देने के क्रम में कहा, 'नई-नई जीत और नई-नई शादी का अलग महत्व है।' उन्होंने कहा, 'जिस तरह समय के साथ जीत पुरानी पड़ती जाती है उसी तरह वक्त के साथ बीवी भी पुरानी होती जाती है और उसमें वह मजा नहीं रह जाता है।' मौके पर मौजूद लोगों के मुंह से निकलकर सोमवार को शहर भर में यह बात क्या फैली, महिलाएं बिफर गईं।
महिला संगठनों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि इतने बड़े पद पर बैठे जायसवाल के मुंह से ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं। मंगलवार को जायसवाल के इस बयान के विरोध में महिलाएं सड़कों पर उतरीं। महिला संगठनों ने कहा है कि यह तो विवाह जैसी संस्था और शादीशुदा औरतों पर भद्दा कॉमेंट है। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि मंत्री जी बताएं कि 'मजा' से उनका क्या मतलब है? विरोध में शामिल महिलाओं का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उनसे इसका जवाब मांगना चाहिए, हम उनके इस आचरण की शिकायत सोनिया तक पहुंचाएंगे। कई महिला सगंठनों ने जायसवाल से इस मुद्दे पर इस्तीफे की मांग की है।श्रीप्रकाश जायसवाल ने इस मुद्दे पर माफी मांग ली है, लेकिन उन्होंने कहा है कि हमारे कॉमेंट को दूसरे अर्थ में लिया गया है। मेरे कहने का मतलब वह नहीं था, जो लोग समझ रहे हैं।''
                 चप्पल व् जूतों से ऐसे लोगो के पुतलों को तो पीटा जा सकता है पर पुरुष सोच में परिवर्तन लाने हेतु अभी बहुत लम्बा सफ़र तय करना होगा आये दिन दिए जाने वाले ऐसे वक्तव्य तो यही साबित करते हैं .
                        शिखा कौशिक