एक प्रश्न आज के भारतीय मुसलमानों से पूछना चाहती हूँ .क्या आज का भारतीय मुसलमान आजादी के समय के भारतीय मुसलमानों से ज्यादा होशियार है या वो देश को धर्म के नाम पर बाँटने वालों की साजिशों का शिकार बनता जा रहा ?आज नए नए ऐसे मुद्दे उठाये जा रहे हैं जिनका देश की तरक्की व् आज के बच्चों के भाविष्य से कोई मतलब नहीं .कभी राष्ट्रीय गीत ''वन्देमातरम'' को लेकर कुछ मुसलमान अपना विरोध जताते हैं तो आज एक खबर कि-''एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में मुसलमान बच्चों ने अपने मदरसे के टीचर द्वारा सिखाये जाने पर हाथ जोड़कर प्रार्थना करने से इंकार कर दिया '' क्या है ये सब ?समझ जाओ और संभल भी जाओ .स्कूल से ही बच्चो को हिन्दू-मुसलमान बनाने की तैयारी है ये सब .हाथ जोड़कर प्रार्थना से इंकार के बाद कोई और मुद्दा उठा लिया जायेगा .हाथ जोड़ने को आप केवल हिन्दू से कैसे जोड़ सकते हैं ये भारतीय संस्कृति का एक अभिवादन है .यदि भारतीय मुसलमान अपने को केवल इस्लामिक तौर तरीको से सम्बद्ध करना चाहता है और भारतीय संस्कृति को छोड़ देना चाहता है तो शायद ये भारतीय कहलाने में भी शर्म महसूस करने लगेगा .बेहतर है जो तौर तरीके हमारे बुजुर्ग हिन्दू व् मुसलमान नेता देश हित में तय कर गए हैं उन पर ही चलकर भारतवर्ष का नाम दुनिया में बुलंद करे वरना देश साम्प्रदायिक झगड़ों में फंसकर पतनोन्मुख हो जायेगा और ज़ाहिर है इसका फर्क केवल आम जनता पर ही पड़ेगा .
जय हिन्द ! जय भारत !
शिखा कौशिक 'नूतन'