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शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

एक प्रश्न आज के भारतीय मुसलमानों से !

 
 
 Muslim_prayer : Muslim children praying in Mosque   

एक  प्रश्न आज के भारतीय मुसलमानों से पूछना चाहती हूँ  .क्या  आज का भारतीय मुसलमान आजादी के समय के भारतीय मुसलमानों से ज्यादा होशियार है या वो देश को धर्म के नाम पर बाँटने वालों की साजिशों का शिकार बनता जा रहा ?आज नए नए ऐसे मुद्दे उठाये जा रहे हैं जिनका देश की तरक्की व् आज के बच्चों के भाविष्य से कोई मतलब नहीं .कभी राष्ट्रीय  गीत ''वन्देमातरम'' को लेकर कुछ मुसलमान अपना विरोध जताते हैं तो आज एक खबर कि-''एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में मुसलमान बच्चों ने अपने मदरसे के टीचर द्वारा सिखाये  जाने पर हाथ जोड़कर प्रार्थना  करने से इंकार कर दिया '' क्या है ये सब ?समझ जाओ और संभल भी जाओ .स्कूल से ही बच्चो को हिन्दू-मुसलमान बनाने की तैयारी है ये सब .हाथ जोड़कर प्रार्थना  से इंकार के बाद कोई और मुद्दा उठा लिया जायेगा .हाथ जोड़ने को आप केवल हिन्दू से कैसे जोड़ सकते हैं ये भारतीय संस्कृति का एक अभिवादन है .यदि भारतीय  मुसलमान अपने को केवल इस्लामिक तौर तरीको से सम्बद्ध करना चाहता है और भारतीय संस्कृति को छोड़ देना चाहता है तो शायद ये भारतीय कहलाने में भी शर्म महसूस करने लगेगा .बेहतर है जो तौर तरीके हमारे बुजुर्ग हिन्दू व् मुसलमान नेता देश हित में तय कर गए हैं उन पर ही चलकर भारतवर्ष   का नाम दुनिया में बुलंद करे वरना देश साम्प्रदायिक  झगड़ों में फंसकर पतनोन्मुख  हो जायेगा और ज़ाहिर है इसका फर्क केवल आम जनता पर ही पड़ेगा .
         जय हिन्द ! जय भारत !
      शिखा कौशिक 'नूतन'
 

5 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

एक एक बात सही कही है आपने अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते हैं . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

Salini ji,mushalmano me bhi vaicharik
star par do samuh hai,ak naram panthi
aur dusra charampanthi,matlag saf hai
,meri soch galat bhi ho sakti hai,par mera yahi sichna hai

S.M.Masoom ने कहा…

हिन्दुस्तान में सभी धर्म और जाती के लोग रहते हैं और हर एक का इश्वेर को पूजने, उसकी इबादत का अपना अपना तरीका है और सभी को एक दुसरे के तरीके की इज्ज़त करनी चाहिए | भारतीय संस्कृति में इंसानों का आपसी प्यार,है, अमन और शांति से जीना है, बड़ों की इज्ज़त करना है, इश्वेर की आराधना करना है | यह हाथ जोड़ के भी की जाती है और हाथ उठा कर भी,यह माथा टेक के भी की जाती है और सजदा कर के भी. अपने अपने धर्म का अपना अपना तरीका है| मुश्किल तब आती है जब हम दुसरे धर्म के लोगों को प्रार्थना करने के लिए अपने धर्म का तरीका अपनाने की कोशिश करते हैं |

Rohit Singh ने कहा…

हाथ जोड़ कर प्रार्थना करने के एक सधारण शिष्टाचार को धार्मिक तरिके से नहीं देखना चाहिए। कुछ चीजों से बच्चों को बचाया जाए तो आज अच्छा होने लगेगा और कल अपने आप संवर जाएगा। पर अफसोस कुछ लोग अब भी नहीं सुधरने को तैयार हैं।

Rajendra kumar ने कहा…

कुछ लोग हैं जो धर्म के नाम पर लोगो को बरगलाते रहते हैं.