केदार नाथ में जिन भक्तों को प्रकृति के कोप का भाजन बनना पड़ा उनको शत शत श्रद्धांजलि !
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केदारनाथ में भक्तों के साथ प्रभु ने ये कैसा खेल खेला ? भगवान के दर्शन को गए भक्तोंके साथ ऐसा होगा तो ये ही भाव मन में उभरेंगें -
तड़प तड़प के भक्त जब त्याग देता प्राण ,
कैसे कहूँ प्रभु तुम्हें करुणा के हो निधान ?
सौप कर जीवन तुम्हें सद्कर्म जो करता रहे ,
उसको भी कष्ट देने का अजब तेरा विधान !
पूजता रहे तुम्हें कष्ट सहकर भी सदा ,
उसकी पुकार भी देते नहीं हो ध्यान !
सहता रहा दुःख ताप सब भक्ति में तेरा भक्त ,
रखा नहीं तुमने प्रभु श्रद्धा का कोई मान !
टूट गयी आस्था डोला अटल विश्वास ,
लगता है सच होता नहीं कोई कहीं भगवान !
शिखा कौशिक 'नूतन'
2 टिप्पणियां:
टूट गयी आस्था डोला अटल विश्वास ,
लगता है सच होता नहीं कोई कहीं भगवान !
बेहद भावनात्मक अभिव्यक्ति .
बहुत ही सार्थक प्रस्तुतिकरण,आभार।
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