विचार जो मन में आकर उथल-पुथल मचाते हैं और अभिव्यक्ति के माध्यम से उदगारों के रूप में प्रकट होते हैं........
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रविवार, 5 दिसंबर 2010
imandari ki misal
हिन्दुस्तान दैनिक के ५ दिसंबर २०१० के अंक में छपी खबर ''छात्रा ने लौटाए स्कूल में मिले रूपये '' ने अनायास ही मेरा ध्यान आकर्षित किया .मुज़फ्फरनगर के भोपा के गॉव जौली के उच्च प्राथमिक विद्यालय की छात्रा चंचल बेनीवाल ने यह साबित कर दिया क़ि''बच्चे मन के सच्चे होते है .''शनिवार की सुबह जब चंचल स्कूल पहुची तो उसे स्कूल के परिसर में एक हजार रूपये मिले जिसे उसने उठाकर स्कूल के अध्यापक को दे दिए . अध्यापक श्री करतार सिंह जी ने जाँच के बाद रूपये सही व्यक्ति को दे दिए .ऐसी खबरे उदहारण है हमारी नई पीढ़ी के लिए और हमारे लिए .एक हजार रूपये देखकर किसका मन नहीं डोलेगा ? चंचल जैसी छात्रा की जितनी तारीफ की जाये कम है .उसके माता-पिता और शिक्षकों द्वारा दिए गए संस्कार भी प्रशंनीय है. '' शाबाश चंचल '' हमेशा ऐसे ही इमानदारी की मिसाल कायम करती रहना और ............आप भी.
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3 टिप्पणियां:
Abhar... aisi post zaroor sjha honi chahiye.....
ऐसा कुछ भी देखता-पढता-सुनता हूँ तो सच कितनी हार्दिक ख़ुशी होती है.....जैसी की इस वक्त हो रही है....काश इस बदलते युग और समय में हम अपने बच्चों को नैतिक बनाए रख पायें तो यह हम सबका आने वाली पीढ़ियों पर बड़ा अहसान होगा....!!!!
शाबाश चंचल,
काश, सभी लोग चंचल जैसे हो जाते।
बहुत सुंदर प्रसंग।
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