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रविवार, 12 दिसंबर 2010

kayron laut aao manavta ki or

वाराणसी विस्फोट ने पिछले सभी जख्मों को हरा कर दिया .धमाके में दो -एक नन्ही सी बच्ची व् एक महिला की जान चली गयी .धमाके में मारी  गयी बच्ची के माता -पिता के दिल से पूछिए  ''कैसे सह पायेगे यह सदमा ?''कितने कायर और बुजदिल  हैवान है ये जो मासूमों को लगातार अपना शिकार बना रहे है ! ये हैवान जब गिरफ्त में आते है तो जेल में प्रताड़ित किये जाने की शिकायते कर सम्पूर्ण विश्व में मानवाधिकार की गुहार लगाते  है .कैसा मानवाधिकार ? जिस समय अंधी धार्मिकता,अंधे प्रतिशोध से लबालब भरे हुए अंधाधुंध गोलियां बरसाते  हुए ''कसाब '' अपने साथियों के साथ हजारों घरों को उजाड़ रहा था -तब वह क्या मानव था ?नहीं वो एक हैवान था.........फिर अब मानव कैसे हो गया ? गरीबी की दुहाई  मत दे ऐसे कायर .गरीबी अलग बात है और हैवान होना अलग बात .अपनी जिन्दगी की कीमत नहीं समझते तो कही एकांत में बारूद बांधकर  अपने जिस्म के चीथड़े उदा  ले .भीड़ में आकर मानव बम ....नहीं दानव बम बनकर क्यों मासूमो को क़त्ल कर रहे हो ?कूड़ेदान में ,स्कूटर में विस्फोटक छिपाकर रखने वाले कायरों क्या मिल गया एक नन्ही सी जान को उसके माता-पिता से जुदा करके ? जरा सोचो और इस अँधेरी राह पर से वापस लौट आओ --मानव जीवन की ओर ....बिना किसी प्रतिशोध की भावना क़ा जीवन व्यतीत करो और पश्चाताप भी  कर लो  मासूमों की अनगिनत  हत्याओं   क़ा    

11 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

sahi kah rahi hain aap ye kayarta hi kahi jayegi.bahaduri to samne aakar apni bat rakhne me hai aur phir nirdosh janta ko hathiyaron,gola ,barood se marna kayarta hi hai.himmat hai to apna paksh janta ke samaksh rakhen aur uska samarthan hasil karen vo bhi unki ichha par na ki astra-shastra ke dam par....

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

दिल दहला देने वाली घटना थी यह।...मासूम की जान चली गई...बेहद मार्मिक...
मानवता का सबसे बड़े शत्रु आतंकवाद के वीभत्स रूप का सही चित्रण किया है आपने।
मानवाधिकार आयोग को ऐसे दानवों का पक्ष बिल्कुल नहीं लेना चाहिए।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत सार्थक पोस्ट..... इन्हें सिर्फ कायर ही कहा जा सकता ......

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

sahi kaha aapne....lekin kaise badle ye system!!

उम्मतें ने कहा…

आपकी चिंता ,आपका आक्रोश जायज़ है ! छुपकर घात करने वालों को कायर ही कहा जाएगा !



[ व्यक्तिगत बात ये कि आप अपनी पोस्ट में फॉण्ट नार्मल ही रखिये अच्छे लगेंगे और शीर्षक को आलेख टायप करते वक़्त हिन्दी में टायप करिये फिर कापी करके , शीर्षक वाली जगह पर पेस्ट कर दीजिए रोमन में शीर्षक अच्छा नहीं लग रहा है ]

बेनामी ने कहा…

shikha ji aapke vicharon ne to hamare rongte khade kar diye..
sach kaha aapne ki jab ye logon ki hatya kar rahe hote hai tab inhein koi matlab nahin hota aur jab girftaar karne ke baad jail mein daalo to maanvadhikar ki baatein karte hai... bahut achchi raah di hai apne apne vichaaron se logon ko.
iske liye main aapko dhnyaawaad aur badhai dena chahta hoon.

main is blogger par naya hoon aur thoda bahut likhne ki gustaakhi kar leta hoon to plzzz mera blogs
samratonlyfor.blogspot.com and
reportergovind.blogspot.com par apni ek najar daalein aur us par apne comment bhi karein..

thanx

Alokita Gupta ने कहा…

Bahut bi sahi likha hai aapne

daanish ने कहा…

achhee post..
padhne laaeeq . . .

Shikha Kaushik ने कहा…

aap sabhi ka hardik dhanywad .

Pawan Nishant ने कहा…

hum logon ki parvarish aur shiksha dono mai milavat hai. is gandgi ko jad se he saaf karna padega, tab hamare aahwan sune ja sakenge.

ZEAL ने कहा…

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ऐसी घटनाएं विकृत मानसिकता की प्रतीक हैं । शायद बच्चों को सही परवरिश नहीं मिल रही । जिनके दिल में संवेदनाएं ही नहीं वो क्या समझेंगे मासूमों की मौत को। मुझे लगता है, सही शिक्षा एवं नैतिक मूल्यों के विकास से इस मानसिकता को काबू किया जा सकता है।

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