क्या रावन ने माता सीता क़ा हरण उनके परिधान देखकर किया था ?अथवा दुष्शासन ने देवी द्रौपदी क़ा चीर हरण उनके परिधान देखकर किया था ? या फूलन देवी के साथ अमानुषिक कुकृत्य करने वाले उसकी वेशभूषा को देखकर ऐसा करने के लिए प्रेरित हुए थे ?----सभी क़ा उत्तर मेरी द्रष्टि में ''नहीं'' है फिर क्यों हमारी पंचायतें बार-बार लड़कियों की वेशभूषा को लेकर नए-नए फरमान निकाल रही हैं ?गाँव भैंसवाल की बत्तीस खाप ने पूर्व में भी लड़कियों के मोबाईल फोन रखने को प्रतिबंधित कर एक बहस को जन्म दे दिया था वही गुरूवार [४-२-२०११] को पंचायत ने लड़कियों के जींस-टॉप व् मिनी स्कर्ट पहनने पर पाबन्दी लगाकर एक और नयी बहस को जन्म दे दिया .पंचायत क़ा मानना है कि लड़कियों को पाश्चात्य सभ्यता से प्रेरित होकर ऐसी वेशभूषा नहीं पहननी चाहिए इससे छेड़छाड़ की घटनाये बढती है .ये बात तो मै भी मानती हूँ कि ''जैसा देश वैसा भेष ' के आधार पर हमारे गाँव में जींस-टॉप पहने लडकी को एक विचित्र जीव की भांति देखा जाता है जबकि शहरों में यह स्थिति नहीं है .इसलिए लड़कियों को स्वयं यह निर्णय लेने दे कि उन्हें कब -कहाँ-कैसे वस्त्र धारण करने हैं? कुछ लड़कियां मात्र आधुनिक दिखने की चाह में या अपने साथ की लड़कियों से अलग दिखनें के लिए ऐसी वेशभूषा धारण करती हैं जो उनके परिवार-समाज की आँखों में चुभने लगती है .लड़कियों को इस ओर खुद ध्यान देना होगा पर ऐसे तुगलकी फरमान निकालने वाले क्या यह गारंटी दे सकते है कि जींस- टॉप -मिनी स्कर्ट की जगह साडी -सलवार-सूट पहनने वाली लड़की के साथ छेड़छाड़ नहीं होगी!
17 टिप्पणियां:
छेडछाड को पहनावे के साथ जोड़कर नहीं देखा जा सकता ....सार्थक आलेख
वास्तव में ऐसे फरमान हमारे समाज की कमजोरी दिखाते हैं क्योंकि कपड़ों की गंदगी इन्हें चुभ जाती है नज़रों की गंदगी इनके दिल-ओ-दिमाग पर कोई असर नहीं कर पाती और उनपर इनकी चल भी नहीं पाती .बहुत सार्थक पोस्ट.
thanks for your time and comment on my blog..ya and about this post i would like to say...
no guarantee at all whatever you wear...
काफी प्रासंगिक सवाल उठाया है आपने.
सही कहा, यह सब विकृत मानसिकता के नतीजे हैं।
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पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?
aap ne sahi kaha hai...
aise tugalki farmano par rok lagni chahiye....
burai pahnave me nahi vicharon me hai.
bilkul sahi kaha aapne...agreed.
सही कहा आपने...
बहुत सही शिखा जी...
क्या बात है???
ये समाज अपनी सोच को नहीं बदलेगा, हर युग, हर बार बस लड़कियों और उनके परिधानों पर ही सवाल उठाए जायेंगें...
इनसे कहा जाए की अपनी गंदी सोच पर पाबंदी लगाओ फ़िर हमें कहना...
आपका पोस्ट कमाल का है...
बहुत सही कहा है आपने , फ़्रस्टेटेड लोगों का ईलाज होना ही चाहिए ।
टिप्पणी करने का फायदा क्या? आपने प्रदर्शित तो की ही नहीं, जहाँ तक मुझे लगता है मैंने अपना मत रखा था उसमे असभ्य भाषा का प्रयोग नहीं किया था, पर आपने सिर्फ वही कमेन्ट प्रदर्शित किये हैं, जिन्होंने आपकी हाँ में हाँ मिलाई है, फिर फायदा क्या है आपके लेख पर कमेन्ट करने का आगे से ये गलती नहीं करने वाला- आप अपनी खुशफहमी के संसार में खुश रहिये
सही कहा, यह सब विकृत मानसिकता के नतीजे हैं।
बहुत सार्थक पोस्ट|
हमारा ग्रामीण समाज शहरी सभ्यता को स्वीकार नहीं कर पाता, गांव की सोच परिवर्तित होने में अभी समय लगेगा।
आपके तर्क से सहमत हूं।
आपकी बात सही है। हमें अपने समाज के लडकों को शराफत, लडकियों को आत्मरक्षा और पंचायतों को इंसानियत सिखाने की आवश्यकता है।
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लड़कियों को कराते और लड़कों को ...
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छेड़छाड़ और पहनावा दो अलग अलग मुद्दे हैं. हां अभद्र पहनावा हो तो छेड़छाड़ की गुंजाइश बढ सकती है.
आपके विचार सटीक हैं, साधुवाद
आपके विचार सटीक हैं, साधुवाद
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