राहुल पी.एम्.बनने का सपना देख रहे हैं ?तो यह स्वाभाविक ही है
सपने सभी देखते हैं .सपने देखने में बुराई क्या है ?बाबा रामदेव जी व् अन्ना जी द्वारा राहुल गाँधी जी की आलोचना यह कह कर किया जाना कि-''राहुल पी.एम्.बनने का सपना देख रहे हैं ?कोई प्रभाव नहीं छोड़ती विशेषकर अन्ना जी के मुख से .आज युवा अन्ना जी को एक आदर्श के रूप में देख रहे हैं .उन्हें कोई भी टिप्पणी करने से पूर्व यह विचार अवश्य करना चाहिए कि मीडिया उसे किस तरह प्रचारित करेगा ?राहुल गाँधी जी पिछले सात वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं पर आज तक उन्होंने सरकार में कोई पद नहीं स्वीकारा है .उनका ध्यान शुरू से ही अपनी पार्टी के संगठन को जमीनी स्तर से मजबूत करने पर रहा है .लोकपाल को लेकर राहुल जी की आलोचना में यह कहना कि '' पी.एम्. बनने का सपना देख रहें हैं '' या ''एक दिन झोपडी में जाकर रहने से गरीबों का दुखदर्द नहीं समझा जा सकता ''जैसे कटाक्ष करना राजनीति से प्रेरित लगते हैं .अन्ना जी को सशक्त लोकपाल हेतु शुरू किये गए अपने आन्दोलन को राजनीति से दूर ही रखना चाहिए .राहुल गाँधी जी पर सीधे प्रहार करने में तो विपक्ष ही काफी आतुर रहता है फिर अन्ना जी क्यों अपने को राजनैतिक पार्टियों का मोहरा बना रहे हैं ?अन्ना जी को इस विषय में पुनर्विचार करना चाहिए वैसे भी राहुल गाँधी जी अगर पी.एम्. बनने का सपना देख रहे हैं तो यह स्वाभाविक ही है .प्रत्येक व्यक्ति अपना कोई न कोई लक्ष्य तो निर्धारित करता ही है और उनके समर्थक भी तो यही चाहते हैं .रही बात गरीबों के दुखदर्द को जानने की तो ये तो वे भी नहीं जानते जो खुद गरीबी से उठकर मंत्री-मुख्यमंत्री के पद पर सुशोभित होते हैं .इनके विषय में भी तो कुछ कहना चाहिए अन्ना जी आपको !
शिखा कौशिक
[विचारों का चबूतरा ]
3 टिप्पणियां:
मुझे इसमें कोई बुराई नहीं लगती। जो जिस प्रोफ़ेशन में होता है, वह वहां के लिए अपनी महत्वकांक्षाएं तो पालता ही है।
मनोज जी के विचार से सहमत
राहुल गाँधी एक योग्य और काबिल प्रधानमंत्री बनें .....तो सबके लिए अच्छा है
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