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शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

अनशन तो क्षेत्रीय सांसद के समक्ष करना चाहिए ''अन्ना जी''

अनशन तो क्षेत्रीय सांसद के समक्ष करना चाहिए ''अन्ना जी''


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अन्ना जी ने कहा है कि -'' .... नए लोकपाल बिल का ड्राफ्ट बेहद कमजोर है और इससे समाज का भला नहीं होने वाला है। अन्‍ना ने साफ किया कि अनशन के लिए 2-3 जगहों पर विचार हो रहा है। यदि उन्हें जगह नहीं मिली तो वह जेल में ही अनशन करेंगे।''......[टीम अन्ना ने अपने 30 दिसंबर से शुरू होने जा रहे जेल भरो आंदोलन के लिए अब एकऑनलाइन कैंपेन शुरू किया ]   [ नवभारत टाइम्स से साभार] 
         अन्ना जी  कभी सोनिया गाँधी जी के आवास के समक्ष अनशन करने के लिए कहते हैं तो कभी राहुल गाँधी जी के आवास के समक्ष .कभी दिल्ली में तो कभी महाराष्ट्र में .कभी जंतर -मंतर पर तो कभी रामलीला मैदान में ....पर कभी वे यह क्यों नहीं कहते की अपने क्षेत्र के सांसद के समक्ष अनशन कीजिये .जब संविधान ने कानून बनाने का अधिकार जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले हमारे सांसदों को दिया है तो सर्वोच्च कानून निर्माण  संस्था ''संसद '' की गरिमा को बनाये रखते हुए हम क्यों न अपने ही क्षेत्र के सांसद को अपने विचारों से अवगत कराएँ .हम कैसा लोकपाल चाहते हैं ? यह हमारा प्रतिनिधि -हमारा सांसद संसद में लोकपाल पर बहस के दौरान रखे तो लोकतंत्र - प्रजातंत्र का अनुशासित रूप प्रकट होगा पर जनता को उत्तेजित कर ''जेल भरो '' जैसे आन्दोलनों से अन्ना जी स्वयं तो चर्चित कर सकते हैं पर देश की जनता का इससे कोई कल्याण नहीं होने वाला है .ऐसे आन्दोलन लोकतान्त्रिक प्रणाली से चुनी हुई सरकार पर ही प्रश्न चिन्ह लगाती है और जो संस्था लोकतंत्र की बात करती है वो लोकतान्त्रिक तरीकों को क्यों नहीं अपनाती ?क्षेत्रीय सांसद को घेरिये यदि जनता के अधिकारों का हनन हो रहा है. यदि पूरे देश में जनता अपने सांसदों को लोकपाल के मुद्दे पर घेरेगी तो संसद में जैसा जनता चाहती  है वैसे ही लोकपाल विधेयक को लाये जाने की बहस होगी  जिसका परिणाम शुभ ही होगा .अन्ना के ''जेल भरो '' आन्दोलन ''का मैं कड़ा विरोध करती हूँ  .
                                  शिखा कौशिक 
                           [विचारों का चबूतरा ]

2 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

लेख बहस की मांग करता है।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

सामयिक और महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है आपने।