क्या आप सोचते हैं की केवल मानव ही धरना दे सकते हैं . आप गलत हैं जनाब क्योकि ''मेरे परिवार'' के कुछ सदस्य जो मनुष्य नहीं हैं वे भी धरना देते हैं .देखिये इन साहब को -
ये चाहते थे ऊपर चढ़ना पर इन्हें रोक दिया गया तो ये साहब धरना देकर घर के सामने ही बैठ गए ...बस नारे नहीं लगाये ये ही शुक्र रहा -
अब मिलिए इन महोदय से .. ...ये हैं हमारे ''जोंटी जी ''.मार्च आते ही इनकी गर्मियां जोर से शुरू हो गयी थी .....अब तो अप्रैल है ..... .चाहते हैं कमरे में घुसकर पलंग के नीचे सोना ......आग्रह करते हैं -
जब इनकी जिद नहीं मानी गयी तो ये भागकर जाकर कड़ी धूप में खड़े हो गए ....कोई समझा सकता है भला इन्हें ?
अब बताइए आप ही कि क्या केवल मानव ही धरना दे सकता है ?
शिखा कौशिक
6 टिप्पणियां:
धरना बोलो या कहो, करे अवज्ञा जीव ।
हो समर्थ की नीति जब, वंचित करे अतीव ।
वंचित करे अतीव, सांढ़ या जोंटी बाबू ।
खुद को देकर कष्ट, करे मालिक को काबू ।
गर्मी से हो तंग, आप ए सी में सोयें ।
सबसे वह अधिकार, बैठ के आँख भिगोये ।।
dharne ka adhikar sabhi ko hai madam .मंज़िल पास आएगी.
मानव धरने के लिए तो पुलिस बुलाई जा सकती है, बेदर्द हो कर. लेकिन इन प्रेमी प्राणियों के लिए पुलिस बुलाने से पहले कई बार दिल पसीज-पसीज उठता है. ये सरल जो ठहरे.
वाह !
आदमी से सीखा होगा धरना !
आज शुक्रवार
चर्चा मंच पर
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति ||
charchamanch.blogspot.com
धरना स्थान कई बार महा - नगर के व्यस्त चौराहे होतें हैं .
एक टिप्पणी भेजें