...तो सडको पर पिटने व् जेल जाने के लिए तैयार रहें !
इंटरनेट यूजर्स की अभिव्यक्ति की आजादी के लिए संघर्ष कर रही इस कम्यूनिटी ''Save Your Voice: A Movement Against Web Censorship ''ने कल यह आयोजन किया -
''Protest against professor's arrest for posting Mamta's cartoons (16 photos)
[फेसबुक ]
इंटरनेट यूजर्स की अभिव्यक्ति की आजादी के लिए संघर्ष कर रही इस कम्यूनिटी ''Save Your Voice: A Movement Against Web Censorship ''ने कल यह आयोजन किया -
''Protest against professor's arrest for posting Mamta's cartoons (16 photos)
ममता बनर्जी के कार्टून पोस्ट करने पर प्रोफ़ेसर की प्रताडना के विरोध में इंटरनेट यूज़र्स ने बनाये कार्टून्स ममता बनर्जी के कार्टून्स पोस्ट करने पर पश्चिम बंगाल के एक प्रोफ़ेसर की प्रताड़ना के विरोध में Save Your Voice की ओर से इंटरनेट यूज़र्स ने 15 अप्रैल दिन रविवार को इण्डिया गेट पर शाम पांच बजे इकट्ठे होकर कार्टून्स बनाये. पशिचम बंगाल के प्रोफ़ेसर अम्बिकेश महापात्र को ममता बनर्जी के कार्टून्स बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और प्रताड़ित किया गया, इसे हम अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक और हमले के रूप में देखते हैं. जिस तरह गांधी जी ने नमक क़ानून का विरोध दांडी में नमक बनाकर किया था वैसे ही कार्टून्स पर पाबंदी लगाने का विरोध इंडिया गेट पर कार्टून्स बनाकर किया गया. पिछले काफी समय से सेव योर वॉयस अभियान इंटरनेट सेंसरशिप के सरकारी प्रयासों के खिलाफ आवाज़ उठाता रहा है. केंद्र सरकार पहले ही इंटरनेट की आजादी पर अंकुश लगाने के प्रयास कर रही है और अब राज्य सरकारें भी उसी रस्ते पर चलती नज़र आ रही हैं. इंटरनेट यूज़र्स ने इंडिया गेट पर कार्टून्स बनाकर ये सन्देश दिया कि हमारी अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलना इतना आसान नहीं है. सेव योर वॉयस टीम www.saveyourvoice.inwww.facebook.com/saveyourvoice Contact: 09717900302, 09810659060; email: saveyourvoice@gmail.com
इस आयोजन ने तो इस कम्यूनिटी की साख पर ही प्रश्न चिह्न लगा दिया है
आप अगर ऐसी कुत्सित विचारधारा वाले लोगो के पक्ष में धरना देंगे ...उनका समर्थन करेंगे तो याद रखिये आने वाले कल में आप स्वयं की अथवा अपनी माता बहनों की मजाक उड़ते देंखेगें इंटरनेट पर .
वास्तविकता तो यह है कि हम जैसे इंटरनेट यूजर्स को ऐसे विकृत मानसिकता वाले यूजर्स को सबक सिखाने के लिए एक संगठन बनाना चाहिए ...ना कि इस जैसे मानसिक बलात्कारियों का समर्थन करना चाहिए .
स्त्री की गरिमा को ...अस्मिता को शर्मिंदा करने वाली ऐसी किसी भी ब्लॉग पोस्ट ...सोशल साईट की पोस्ट ...फोटो ...कार्टून का तो हमें सबसे पहले विरोध करना चाहिए चूंकि ये सभी इंटरनेट यूजर्स की नैतिक छवि को धूमिल करता है .हम इंटरनेट पर क्या ये सब करने ..देंखने के लिए आये ?
जो इस कुत्सित सोच वाले प्रोफ़ेसर का पक्ष ले रहें है क्या अपने परिवारीजन के अभद्र चित्रण पर ये नहीं कहेंगें -'''यदि मेरी माँ ..बहन का ऐसा कोई चित्रण किया गया तो मैं करने वाले का हाथ तोड़ दूंगा .'' ये है हमारी नैतिकता ...हम स्त्री को देवी का सम्मान देते हैं .हम कैसे उसकी गरिमा के साथ खिलवाड़ देख सकते हैं ?
आम भारतीय नारी तक की ऐसी मजाक उड़ाई जाये तब भी हमारा खून खौल उठाता है फिर राष्ट्र हित में अपना जीवन लगाने वाली ममता दी की गरिमा के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश करने वाले को दण्डित तो किया ही जाना चाहिए .यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सोनिया गाँधी जी व् मायावती जी जैसी महिला नेत्रियों को भी कुछ इंटरनेट यूजर्स या गुंडे अपनी वीभत्स सोच का लगातार शिकार बना रहे हैं
[फेसबुक ]
ऐसे अमर्यादित लोगों का समर्थन यदि हम करते हैं तो हम अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं .
ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला नहीं ये उस अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग है .वैसे ही जैसे एम्.ऍफ़.हुसैन साहब ने हिन्दू देवी देवताओं की नग्न तस्वीरे बनाकर अपनी कला को कलंकित कर लिया था .पूनम पांडे इसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का फ़ायदा उठाकर आधी रात को अपनी नग्न तस्वीरे ट्विटर पर डाल देंती है ....क्या हम ऐसी ओछी हरकतों को समर्थन देकर लोकतंत्र में दिए गए अभिव्यक्ति के अधिकार की धज्जिया उड़ाते रहे और उड़ाने वालों का पक्ष लेते रहे .
शुक्र है कि ममता दी के समर्थकों ने सही कदम उठाकर यह दिखा दिया कि हमारे देशवासियों में अभी वो ज़ज्बा कायम है जो किसी नारी के अपमान को सहन नहीं करता ....काश त्रेतायुग में भी कुछ अयोध्यावासियों में यह ज़ज्बा होता तो अनर्गल प्रलाप करने वाले धोबी को कड़ा दंड मिल जाता और माता सीता को वनगमन न करना पड़ता .
अभिव्यक्ति कि स्वत्रन्त्रता आपका अधिकार है पर किसी की गरिमा से खेलने का हक किसी को नहीं है .आप अपने उत्तम विचारों ..जिनसे राष्ट्र-समाज का हित हो विश्व में प्रसारित करने के अधिकारी है.. किसी की अस्मिता को रौदने या मखौल उड़ाने के अधिकारी नहीं
नारी हो ..पुरुष हो ..सभी का अपना एक गरिमामाय जीवन है .आम भारतीय नागरिक हो अथवा जानी-मानी हस्ती -सबकी अपनी अस्मिता है ..गौरव है .अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर यदि आप इससे खिलवाड़ करने का प्रयास करेंगें तो आप को जान लेना चाहिए कि आप को दंड अवश्य मिलेगा .अपना विवेक...अपनी नैतिकता को अपनी विकृत सोच के कबाड़ख़ाने में बंद करके रखने वालों को सड़कों पर पिटने ...जेल जाने के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि यह भी तो जनता का अपने मन में ...अपने श्रद्धेय ..प्रिय पात्र के अपमान के विरोध में उबल रही भावना की एक अभिव्यक्ति मात्र ही है .वैसे भी गोस्वामी जी ने ''श्रीरामचरितमानस ''में सही ही तो लिखा है -
''विनय न मानत जलधि जड़ गए तीन दिन बीत ;
बोले राम सकोप तब भय बिनु होई न प्रीत ''
जय हिंद! जय भारत माता की !
शिखा कौशिक
1 टिप्पणी:
अशिष्ट का फैसला कौन करे ?श्लील, अश्लील ?क्या राज्य ?जिसकी लाठी उसकी भैंस ?
जोशो खरोश की रचना .शुभ कामनाएं भारतीय हाकी .
मुद्दा तो है लेकिन कार्टून कहाँ हैं .सोनिया जी और माया बहन के कुत्सित प्रवृत्तियों द्वारा रचित चित्र हमने देखे हैं भर्त्सना भी की है .लेकिन दोनों मुद्दे अलग हैं .फिर हमने कार्टून अभी देखे ही नहीं हैं .क्या कहें ?अशिष्टता के हम हामी नहीं रहें हैं .नहीं हैं .
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