नाम ''पकिस्तान'' है मगर पाकीज़गी का नाम नहीं !
पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीत की रिहाई पर बुधवार शाम से शरू पाकिस्तान के नाटक ने सरबजीत के परिवार के साथ साथ करोड़ों भारतीयों की भावनाओं का भी मखौल उड़ाया है . ह्रदय मे भर आये आक्रोश को इन शब्दों में प्रकट करने का प्रयास किया है -
तू है खादिम मगर खुद को समझता है खालिक ;
[ my voice]
पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय कैदी सरबजीत की रिहाई पर बुधवार शाम से शरू पाकिस्तान के नाटक ने सरबजीत के परिवार के साथ साथ करोड़ों भारतीयों की भावनाओं का भी मखौल उड़ाया है . ह्रदय मे भर आये आक्रोश को इन शब्दों में प्रकट करने का प्रयास किया है -
तू जो कहता है तेरी बात पर यकीन नहीं ;
नाम ''पकिस्तान'' है मगर पाकीज़गी का नाम नहीं .
तेरी मक्कारियों के ज़ख्म अभी ताज़ा हैं ;
तेरे जैसा ज़माने में तमाशबीन नहीं .
तू है खादिम मगर खुद को समझता है खालिक ;
ख़बीस देख तेरे पैरों तले ज़मीन नहीं .
ख़निल तेरी जगह दोजख़ में बड़ी पक्की है ;
वैसे दोजख़ भी इससे बड़ी तौहीन नहीं .
देखकर दर्द औरों के बड़ा हँसता है ;
रीआइ मौत पर तेरे होगा कोई ग़मगीन नहीं .
[ख़निल-सेंधमार चोर , खालिक-ईश्वर ,रिआइ-मक्कार ]
शिखा कौशिक
2 टिप्पणियां:
बहुत सार्थक और सटीक आक्रोश....
पाकिस्तान में जिस प्रकार का न्याय होता है उस पर लोगों को खुशी कम और ग़म ज़्यादा होता है. बढ़िया पोस्ट.
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