डिम्पल-सभी दलों की भाभी ?
राजनीति एक कोठरी ;नेता रखते चाबी ;
स्व हित में दायें बाएं ;जैसे चाहे घुमा दी ;
भोली जनता क्या जाने वो है सीधी-सादी ;
डिम्पल कैसे बन गयी सभी दलों की भाभी !
shikha kaushik
राजनीति एक कोठरी ;नेता रखते चाबी ;
स्व हित में दायें बाएं ;जैसे चाहे घुमा दी ;
भोली जनता क्या जाने वो है सीधी-सादी ;
डिम्पल कैसे बन गयी सभी दलों की भाभी !
shikha kaushik
3 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
शिखा जी चार लाइनों में जबरदस्त व्यंग है...
इसके लिए सलाम आपको...
शिखा जी बहुत सुन्दर ..कटाक्ष ..ये राज नीति -अब गन्दी नीति बन कर रह गयी है ..आम जनता त्रस्त...
भ्रमर ५
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