फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 7 जून 2013

चुल्लू भर पानी में डूब मरो संजय पंचोली

                
पुरुष कितना स्वार्थी है ये हर वो हादसा साबित करता है जब कोई कली कुचल दी जाती है .वो गीतिका हो या जिया .जिया को आधुनिक नारी की संज्ञा देकर उसकी आत्म हत्या को आधुनिकता का दुष्परिणाम बताने वाले ये क्यों भूल जाते हैं कि उसकी मौत परिणाम है उस पुरुष की बेवफाई का  जिसने जब तक  चाहा उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया  और  जब दिल भर गया तब झूठ बोलकर उससे  किनारा  कर  लिया पर क्या जिया के लिए ये सब इतना ही आसान था ?संजय पंचोली हो या कोई और इन्हें तब तक जिया जैसी लड़कियों से कोई परेशानी नहीं होती जब   तक ये इन्हें हासिल नहीं कर लेते पर हासिल कर लेने के बाद यूज एंड थ्रो की नीति अपनाते हुए छल का सहारा लेने लगते हैं .जिया जैसी लडकिया इन्हें उदार पुरुष समझ कर इन्हें सब कुछ सौप देती हैं अपना .ऐसा आज ही नहीं होता ये सब पुरातन काल से होता आया है .पुरुष का छल दुष्यंत-शकुन्तला वृतांत में भी था और आज भी प्रचंड रूप में दृष्टिगोचर हो रहा है .आज बस मेरे ह्रदय से यही निकल रहा है -चुल्लू भर पानी में डूब मरो संजय पंचोली ...जिसने इतनी चुलबुली -जीवंत लड़की को आत्महत्या के लिए मजबूर कर डाला ....तुम से सौ गुना वफादार तो जिया का एक फैन निकला जिसने जिया की मौत पर खुद फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली .

शिखा कौशिक 'नूतन '

2 टिप्‍पणियां:

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

tej trwar ke sath bebak aur aakramak prastuti

Bestoffer ने कहा…

shi bat kahi aapne. computer duniya ki rochak jankariya pane ke liye mere blog par padhare.
http://hiteshnetandpctips.blogspot.com