मेरे एक परिचित हैं .कुछ दिन पूर्व उन्होंने मुझसे पूछा कि ''तनु वेड्स मनु ''फिल्म कैसी लगी ? अब मैं क्या कहती !फिल्म में तनु का किरदार जिस सोच के साथ रचा गया है वो मेरे सिर के ऊपर से निकल गया .मैंने तुरंत कह दिया ''तनु का किरदार अच्छा नहीं लगा .लड़कियां ऐसी नहीं होती .''जवाब में वे काफी जोर देकर बोले ''लड़कियां ऐसी ही तो होती हैं .'' मैं उनसे बिलकुल सहमत नहीं हूँ . फिल्म में तनु को केवल रोमांच के लिए किसी के साथ भी भागने को तत्पर दिखाया गया है .सिगरेट पीना,सहेली की शादी में उन्मादी बन शराब पीना और भी न जाने कितनी बेतुकी बातों से भरी है फिल्म और तनु का किरदार .मेरा मानना है कि लडकिया बहुत जिम्मेदारी के साथ अपने परिवार व् कुल के मान -सम्मान की रक्षा करती हैं .अपना स्वार्थ उन पर कभी हावी नहीं होता .लता मंगेशकर जी हमारे समक्ष आदर्श हैं .बहुत छोटी उम्र में पिता को खो देने के पश्चात् उन्होंने अपने परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की और कभी अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया .यह भी सही है की जो युवती स्वयं सिगरेट अथवा अन्य नशा करती है वह अपनी संतान को क्या संस्कार देगी ?भारतीय संस्कृति में तनु जैसा किरदार कोई मायने नहीं रखता और इस किरदार के आधार पर सब लड़कियों का विश्लेषण और भी बड़ी मूर्खता है . आप क्या सोचते हैं जरूर बताएं .
12 टिप्पणियां:
@भारतीय संस्कृति में तनु जैसा किरदार कोई मायने नहीं रखता और इस किरदार के आधार पर सब लड़कियों का विश्लेषण और भी बड़ी मूर्खता है।
आपका कथन बिल्कुल सही है।
नहीं!, अधिकांश युवतियां ऐसी नहीं होती। बिलकुल नहीं!
किन्तु इक्का-दुक्का स्वार्थी मनमौजी तनुएँ बहुतों को प्रभावित करनें में सक्षम होती है। क्योंकि पतन का मार्ग सहज होता है और उपर उठने का मार्ग बडा विषम। पुरूषार्थ से बचने वाले शीघ्र चलित हो जाते है।
और इस तरह इस मानसिकता का प्रसार होता है।
आपकी बात काफी हद तक सही है। तनु सभी भारतीय लड़कियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। लेकिन आज हमारे समाज में ऐसी लड़कियां हैं, जो इस तरह का एंजॉयमेंट चाहती हैं। हालांकि उसका अंत हमेशा बुरा ही होगा। तनु जैसी लड़कियां वे हैं, जो वर्तमान को जीना चाहती हैं, बिना भविष्य की चिंता किए। लेकिन भविष्य की चिंता करना बहुत जरूरी है। भविष्य की चिंता किए बिना काम करने वालों को शैतान की संज्ञा दी गई है।
मेरा ब्लॉग भी देखें दुनाली
शिखा जी ,
तनु नाम की जिस लड़की के स्वभाव के बारे में आपने लिखा है , वह हो तो सकती है किन्तु अपवाद के तौर पर ही .....वह भी फिल्मों में |
जहाँ तक अधिकांश लड़कियों की बात है वे भारतीय संस्कृति में चाहे पूरी तरह रची बसी हों या शहरी सभ्यता का थोडा बहुत असर हो .........दोनों स्थितियों में पूरी जिम्मेदारी और संजीदगी के साथ अपना जीवन जीती हैं | अपनी मर्यादाओं का पूरा ध्यान रखती हैं |
शिखा जी ,
तनु नाम की जिस लड़की के स्वभाव के बारे में आपने लिखा है , वह हो तो सकती है किन्तु अपवाद के तौर पर ही .....वह भी फिल्मों में |
जहाँ तक अधिकांश लड़कियों की बात है वे भारतीय संस्कृति में चाहे पूरी तरह रची बसी हों या शहरी सभ्यता का थोडा बहुत असर हो .........दोनों स्थितियों में पूरी जिम्मेदारी और संजीदगी के साथ अपना जीवन जीती हैं | अपनी मर्यादाओं का पूरा ध्यान रखती हैं |
आपका कथन बिल्कुल सही है। धन्यवाद|
@भारतीय संस्कृति में तनु जैसा किरदार कोई मायने नहीं रखता और इस किरदार के आधार पर सब लड़कियों का विश्लेषण और भी बड़ी मूर्खता है।
बहुत बढ़िया शिखा ...यह विचार मेरे मन में भी आया था..... बहुत संतुलित ढंग से अपनी बात रखी है आपने....
तनु सभी भारतीय लड़कियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। आपका कथन बिल्कुल सही है।
मैने अभी ये फ़िल्म नहीं देखी. जल्दी ही देखती हूं.
शिखा जी आपके इस कदम की मैं सराहना करूंगी कि गलत बात के लिए विरोध तो दर्ज किया ही जाना चाहिए
मीडिया लता जी द्वारा कही गयी एक बात अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो को तो उछाल सकता है पर ऐसी बेहूदी संस्कृति घातक चीजों पर प्रहार नहीं कर सकता
मैने फिल्म नहीं देखी है पर आपका कहना सच है जो खुद संस्कारी नहीं होगी वो अपने बच्चों को क्या संस्कार देगी....
nice to read ur bolg......
keep it up
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