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बुधवार, 6 जून 2012

डिम्पल-सभी दलों की भाभी ?

डिम्पल-सभी दलों की भाभी ?










राजनीति एक कोठरी ;नेता रखते चाबी ;

स्व हित में दायें बाएं ;जैसे चाहे घुमा दी ;

भोली जनता क्या जाने वो है सीधी-सादी ;

डिम्पल कैसे बन गयी सभी दलों की भाभी !



shikha kaushik

3 टिप्‍पणियां:

प्रेम सरोवर ने कहा…

बहुत सुंदर । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

शिखा जी चार लाइनों में जबरदस्त व्यंग है...
इसके लिए सलाम आपको...

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

शिखा जी बहुत सुन्दर ..कटाक्ष ..ये राज नीति -अब गन्दी नीति बन कर रह गयी है ..आम जनता त्रस्त...
भ्रमर ५