बाल- विवाह कु- प्रथा को जड़ से मिटा दिया जाये !
[google से sabhar ]
बाल- विवाह भारतीय समाज के माथे पर लगा एक कलंक है जिसमे एक छोटी सी बच्ची के हाथ से खिलौना छीन कर उसे किसी अन्य के हाथ का खिलौना बना दिया जाता है .
बाल-विवाह का प्रचलित रूप -
बाल विवाह जिस रूप में हमारे समाज में प्रचलित रहा है उसमे एक बच्ची [जो १५ वर्ष से भी कम आयु की होती है ] का विवाह किसी प्रौढ़ के साथ कर दिया जाता है .दूसरे रूप में माता पिता [बेटी व् बेटे के ]उनके लिए अपनी इच्छा से एक विवाह आयोजित करते हैं और जब तक लड़का व् लड़की विवाह की आयु प्राप्त नहीं कर लेते हैं तब तक एक दूसरे से नहीं मिलते .स्पष्ट है कि लड़का व् लड़की की इच्छा इसमें सम्मिलित नहीं होती क्योकि उनके लिए यह सब एक खेल जैसा होता है .कानूनी रूप से विवाह के समय लड़की की आयु १८ वर्ष व् लड़के की आयु २१ वर्ष होना निर्धारित है .
बाल विवाह निषेध अधिनियम -सन 1929 में बाल विवाह पर इस अधनियम द्वारा रोक लगा दी गयी थी व् कड़ी सजा का प्रावधान किया गया था -
बाल विवाह से सम्बंधित तथ्य-समाज कल्याण वेबसाईट से साभार -
बाल-विवाह के दुष्परिणाम-
जिन बालिकाओं का विवाह कम आयु में कर दिया जाता है उनका स्वास्थ्य लगभग चौपट हो जाता है क्योंकि कम आयु में शारीरिक सम्बन्ध और संतानोंत्पदन उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं .उन्हें H .I .V . के साथ साथ OBSTETRIC FISTULA का भी खतरा रहता है .ऐसी छोटी लड़कियां मुख्यतः गरेलू हिंसा,मानसिक अक्षमता व् सामाजिक उपेक्षा -अकेलेपन का शिकार भी बनती हैं .कम आयु में विवाह बच्ची के शिक्षा ग्रहण करने पर एक ग्रहण लगा देता है .वो अपने भीतर की प्रतिभा को निखार नहीं पाती और अवसाद का शिकार बन जाती है .शारीरिक व् मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार न होने के कारण बाल विवाह -माता मृत्यु व् शिशु मृत्यु के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार .
बाल विवाह पर प्रभावी रोक हेतु राजस्थान सरकार द्वारा दिए गए निर्देश सराहनीय -
राजस्थान सरकार ने अगले माह आने वाली अक्षय तृतीय पर बड़ी संख्या में किये जाने वाले बाल-विवावों पर रोक लगाने हेतु कई सार्थक कदम उठाएं हैं .ज्ञातव्य है राजस्थान में बहुत बड़ी संख्या में इस तिथि पर बाल विवाह आयोजित करने की परम्परा रही है .ये सराहनीय प्रयास इस प्रकार हैं -
*सभी जिलों में कलक्ट्रेट ,एस.पी.व् एस.DI.ओ कार्यालयों को कंट्रोल रूम बनाने का आदेश दिया गया है तथा ये २४ घंटे खुले रहेंगे .
*सभी जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाये और बाल-विवाह होने की स्थिति में इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं .
*सर्वाधिक महत्वपूर्ण है -जन जागरूकता .इस सम्बन्ध में जिला स्तर से लेकर ब्लोक स्तर तक,स्वयं सहायता समूहों ,स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं .विवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले -हलवाई,बैंड बाजा वाले,पंडित जी , ट्रांसपोर्ट वाले ,पंडाल वाले व वैवाहिक निमंत्रण पत्र छापने वालों को पाबंद रखने के निर्देश दिए गए हैं .एक अन्य महत्वपूर्ण निर्देश यह दिया गया है की-वैवाहिक कार्ड छपने वालों को वर-वधू का आयु प्रमाण -पत्र लेने हेतु बाध्य किया जाये .
निश्चित रूप से ये कदम कारगर साबित होंगे यदि जनता सहयोग करे .अब समय आ गया है कि इस कु- प्रथा को जड़ से मिटा दिया जाये .
शिखा कौशिक
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बाल- विवाह भारतीय समाज के माथे पर लगा एक कलंक है जिसमे एक छोटी सी बच्ची के हाथ से खिलौना छीन कर उसे किसी अन्य के हाथ का खिलौना बना दिया जाता है .
बाल-विवाह का प्रचलित रूप -
बाल विवाह जिस रूप में हमारे समाज में प्रचलित रहा है उसमे एक बच्ची [जो १५ वर्ष से भी कम आयु की होती है ] का विवाह किसी प्रौढ़ के साथ कर दिया जाता है .दूसरे रूप में माता पिता [बेटी व् बेटे के ]उनके लिए अपनी इच्छा से एक विवाह आयोजित करते हैं और जब तक लड़का व् लड़की विवाह की आयु प्राप्त नहीं कर लेते हैं तब तक एक दूसरे से नहीं मिलते .स्पष्ट है कि लड़का व् लड़की की इच्छा इसमें सम्मिलित नहीं होती क्योकि उनके लिए यह सब एक खेल जैसा होता है .कानूनी रूप से विवाह के समय लड़की की आयु १८ वर्ष व् लड़के की आयु २१ वर्ष होना निर्धारित है .
बाल विवाह निषेध अधिनियम -सन 1929 में बाल विवाह पर इस अधनियम द्वारा रोक लगा दी गयी थी व् कड़ी सजा का प्रावधान किया गया था -
बाल विवाह से सम्बंधित तथ्य-समाज कल्याण वेबसाईट से साभार -
विभिन्न राज्यों में अठारह वर्ष से कम आयु में विवाहित हो रही लड़कियों का प्रतिशत खतरनाक है-
- मध्य प्रदेश – 73 प्रतिशत
- राजस्थान – 68 प्रतिशत
- उत्तर प्रदेश – 64 प्रतिशत
- आन्ध्र प्रदेश – 71 प्रतिशत
- बिहार – 67 प्रतिशत
यूनीसेफ की “विश्व के बच्चों की स्थिति-2009” रिपोर्ट के अनुसार 20-24 वर्ष आयु वर्ग की भारत की 47 प्रतिशत महिलाएं कानूनी रूप से मान्य आयु सीमा– 18 वर्ष से कम आयु में ब्याही गईं, जिसमें 56 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से थीं। यूनीसेफ के अनुसार (‘विश्व के बच्चों की स्थिति-2009’) विश्व के बाल विवाहों में से 40 प्रतिशत भारत में होते हैं।
बाल-विवाह के दुष्परिणाम-
जिन बालिकाओं का विवाह कम आयु में कर दिया जाता है उनका स्वास्थ्य लगभग चौपट हो जाता है क्योंकि कम आयु में शारीरिक सम्बन्ध और संतानोंत्पदन उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं .उन्हें H .I .V . के साथ साथ OBSTETRIC FISTULA का भी खतरा रहता है .ऐसी छोटी लड़कियां मुख्यतः गरेलू हिंसा,मानसिक अक्षमता व् सामाजिक उपेक्षा -अकेलेपन का शिकार भी बनती हैं .कम आयु में विवाह बच्ची के शिक्षा ग्रहण करने पर एक ग्रहण लगा देता है .वो अपने भीतर की प्रतिभा को निखार नहीं पाती और अवसाद का शिकार बन जाती है .शारीरिक व् मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार न होने के कारण बाल विवाह -माता मृत्यु व् शिशु मृत्यु के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार .
बाल विवाह पर प्रभावी रोक हेतु राजस्थान सरकार द्वारा दिए गए निर्देश सराहनीय -
राजस्थान सरकार ने अगले माह आने वाली अक्षय तृतीय पर बड़ी संख्या में किये जाने वाले बाल-विवावों पर रोक लगाने हेतु कई सार्थक कदम उठाएं हैं .ज्ञातव्य है राजस्थान में बहुत बड़ी संख्या में इस तिथि पर बाल विवाह आयोजित करने की परम्परा रही है .ये सराहनीय प्रयास इस प्रकार हैं -
*सभी जिलों में कलक्ट्रेट ,एस.पी.व् एस.DI.ओ कार्यालयों को कंट्रोल रूम बनाने का आदेश दिया गया है तथा ये २४ घंटे खुले रहेंगे .
*सभी जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाये और बाल-विवाह होने की स्थिति में इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं .
*सर्वाधिक महत्वपूर्ण है -जन जागरूकता .इस सम्बन्ध में जिला स्तर से लेकर ब्लोक स्तर तक,स्वयं सहायता समूहों ,स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं .विवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले -हलवाई,बैंड बाजा वाले,पंडित जी , ट्रांसपोर्ट वाले ,पंडाल वाले व वैवाहिक निमंत्रण पत्र छापने वालों को पाबंद रखने के निर्देश दिए गए हैं .एक अन्य महत्वपूर्ण निर्देश यह दिया गया है की-वैवाहिक कार्ड छपने वालों को वर-वधू का आयु प्रमाण -पत्र लेने हेतु बाध्य किया जाये .
निश्चित रूप से ये कदम कारगर साबित होंगे यदि जनता सहयोग करे .अब समय आ गया है कि इस कु- प्रथा को जड़ से मिटा दिया जाये .
शिखा कौशिक
6 टिप्पणियां:
बहुत सही कहा शिखा जी
बाल विवाह अपराध है फिर भी इतना ज्यादा होता है कि सच में ये चिंता का विषय है. कानून तो बने हैं साथ ही ये भी आवश्यक है कि समाज की मानसिकता बदली जाए. अच्छी रिपोर्ट, बधाई.
Sahmat hun....
ये एक कलंक है आज के दौर में ... समाज उन्नति कर रहा है पर पा नहीं ये कुप्रथाएं क्यों नहीं हट रहीं ...
२१वीं सदी में ये आंकड़े दुर्भाग्यपूर्ण हैं..तर्कसंगत एवं सार्थक लेख..!!
बहुत सही कहा...
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