सचिन भगवान नहीं -एक आदर्श इन्सान !
आगरा में गत २० मार्च २०१२ को एकलव्य स्टेडियम में मशहूर भजन गायक पंडित मनीष शर्मा ने एक संगीत कार्यक्रम में ''सचिन चालीसा '' का गायन किया .मतलब एक बार फिर एक आदर्श इन्सान को ''भगवान'' का दर्जा देने का प्रयास .मेरा मानना है कि यदि एक इन्सान को 'भगवान '' का दर्जा दे दिया जाये तो एक इन्सान के तौर पर की गयी उसकी मेहनत....उसके संघर्ष......उसके जज़्बे ....सब पर एक प्रश्न -चिन्ह लग जाता है .ऐसा कहना और इसे मान लेना उन सभी संघर्षशील इंसानों को भी कहीं न कहीं उनके लक्ष्यों कि पूर्ति में बाधा पहुंचता है जो किसी आदर्श इन्सान का अनुसरण कर उन्नति की ओर अग्रसर हैं .किसी इन्सान को भगवान कह देना ये भी साबित करता है कि जो बुलंदी इस '' इंसानी भगवान'' ने अर्जित की है वो हम साधारण इन्सान कभी अर्जित नहीं कर सकते हैं क्योकि हम तो केवल इन्सान हैं भगवान नहीं .मैं ऐसी सोच रखने वालो से ये पूछना चाहूंगी कि -''क्या एक इन्सान अपने सपनों को सच कर के नहीं दिखा सकता ?क्यों आप एक इन्सान को पचास से ज्यादा किलो के बोझ से दबा डालते हैं ?
हम खुशनसीब हैं जो हम सचिन तेंदुलकर जैसे जीवट जिजीविषा के इन्सान के समकालीन हैं बिल्कुल उसी तरह जैसे हमसे पहले की पीढियां-''महात्मा बुद्ध '',''महावीर स्वामी '' ''महात्मा गाँधी - जैसे महामानवों की समकालीन रही है .मेरे एक बुजुर्ग जो जैन समुदाय से थे उन्होंने अपनी एक राय मेरे समक्ष रखी थी -महावीर स्वामी ''महावीर ''क्यों है ?इसलिए क्योंकि वे कहते है की सभी दिव्य शक्तियाँ इन्सान अपने प्रयत्नों से अर्जित कर सकता है .''ये हमारी सोच है कि हम महामानवों को अवतार का दर्जा देकर स्वयं को दिव्य शक्तियों के अर्जन हेतु अक्षम घोषित कर देते हैं .हमने स्वयं देखा है -सचिन विपरीत परिस्थितियों में भी विनम्र बने रहे ,अपने लक्ष्य पर ही उनका ध्यान रहा ,वे विचलित नहीं हुए .सचिन को हमने संघर्ष करते देखा है .संघर्षों पर विजय पाते देखा है.सचिन उन सभी के प्रेरणास्रोत हैं जो अपने क्षेत्र में पहचान बनाने हेतु संघर्षशील हैं . सचिन से सीखिए.....उनका अनुसरण कीजिये पर उन्हें ''भगवान'' बनाकर पूजिए मत .इन्सान में क्या कर दिखाने की ताकत होती है सचिन इसका उदाहरण है ......भगवान नहीं !
शिखा कौशिक
[विचारों का चबूतरा ]
आगरा में गत २० मार्च २०१२ को एकलव्य स्टेडियम में मशहूर भजन गायक पंडित मनीष शर्मा ने एक संगीत कार्यक्रम में ''सचिन चालीसा '' का गायन किया .मतलब एक बार फिर एक आदर्श इन्सान को ''भगवान'' का दर्जा देने का प्रयास .मेरा मानना है कि यदि एक इन्सान को 'भगवान '' का दर्जा दे दिया जाये तो एक इन्सान के तौर पर की गयी उसकी मेहनत....उसके संघर्ष......उसके जज़्बे ....सब पर एक प्रश्न -चिन्ह लग जाता है .ऐसा कहना और इसे मान लेना उन सभी संघर्षशील इंसानों को भी कहीं न कहीं उनके लक्ष्यों कि पूर्ति में बाधा पहुंचता है जो किसी आदर्श इन्सान का अनुसरण कर उन्नति की ओर अग्रसर हैं .किसी इन्सान को भगवान कह देना ये भी साबित करता है कि जो बुलंदी इस '' इंसानी भगवान'' ने अर्जित की है वो हम साधारण इन्सान कभी अर्जित नहीं कर सकते हैं क्योकि हम तो केवल इन्सान हैं भगवान नहीं .मैं ऐसी सोच रखने वालो से ये पूछना चाहूंगी कि -''क्या एक इन्सान अपने सपनों को सच कर के नहीं दिखा सकता ?क्यों आप एक इन्सान को पचास से ज्यादा किलो के बोझ से दबा डालते हैं ?
हम खुशनसीब हैं जो हम सचिन तेंदुलकर जैसे जीवट जिजीविषा के इन्सान के समकालीन हैं बिल्कुल उसी तरह जैसे हमसे पहले की पीढियां-''महात्मा बुद्ध '',''महावीर स्वामी '' ''महात्मा गाँधी - जैसे महामानवों की समकालीन रही है .मेरे एक बुजुर्ग जो जैन समुदाय से थे उन्होंने अपनी एक राय मेरे समक्ष रखी थी -महावीर स्वामी ''महावीर ''क्यों है ?इसलिए क्योंकि वे कहते है की सभी दिव्य शक्तियाँ इन्सान अपने प्रयत्नों से अर्जित कर सकता है .''ये हमारी सोच है कि हम महामानवों को अवतार का दर्जा देकर स्वयं को दिव्य शक्तियों के अर्जन हेतु अक्षम घोषित कर देते हैं .हमने स्वयं देखा है -सचिन विपरीत परिस्थितियों में भी विनम्र बने रहे ,अपने लक्ष्य पर ही उनका ध्यान रहा ,वे विचलित नहीं हुए .सचिन को हमने संघर्ष करते देखा है .संघर्षों पर विजय पाते देखा है.सचिन उन सभी के प्रेरणास्रोत हैं जो अपने क्षेत्र में पहचान बनाने हेतु संघर्षशील हैं . सचिन से सीखिए.....उनका अनुसरण कीजिये पर उन्हें ''भगवान'' बनाकर पूजिए मत .इन्सान में क्या कर दिखाने की ताकत होती है सचिन इसका उदाहरण है ......भगवान नहीं !
शिखा कौशिक
[विचारों का चबूतरा ]
5 टिप्पणियां:
सच है ... बहुत कुछ सीख सकते हैं आज के युवा सचिन के जीवन से ...
सचिन एक अच्छे खिलाड़ी है बस।
bilkul sahi insan bhi sab kuchh kar sakta hai aur sachin ne ye sabit kiya hai.bahut sundar prastuti badhai.हे!माँ मेरे जिले के नेता को सी .एम् .बना दो.
युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत ....
आपके विचारों से सहमत।
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