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शनिवार, 31 मार्च 2012

अंतर्जाल बन गया धृतराष्ट्र का दरबार



अंतर्जाल  बन गया  धृतराष्ट्र  का   दरबार   ;

हो  रही  महिलाओं  की  अस्मित  तार  तार  ;
अभिव्यक्ति  की स्वतंत्रता या मानसिक बलात्कार  ;
ऐसी  कुत्सित अभिव्यक्ति को शत -शत बार  धिक्कार  !!
                                                 शिखा कौशिक 
                                                                          [विचारों का चबूतरा ]



                             ये  एक  विडंबना  ही  है कि आज  जहाँ  अंतर्जाल  को  महिलाएं  अपने  सशक्तिकरण  हेतु  एक  हथियार  बनाने  w_62jE0�� ओर  अग्रसर  हैं  वही कुछ  नीच  प्रवृति   के  लोग  इसका  दुरूपयोग  कर  ''महिला  '' की गरिमा  गिराने  का कुत्सित  प्रयास  कर  रहे  हैं  .आम  भारतीय  नारी  की बात  तो  छोडिये  आज  देश  की   प्रमुख   महिला  नेत्रियों   को  जिस तरह  निशाना  बनाया  जा  रहा  है  वो  अत्यत  ही  खेद  का विषय  है  .इस  तरह के फोटो फेसबुक पर रोज़  अपलोड  किये जा रहे हैं 

[फेसबुक ]


                   इस प्रकार की अभिव्यक्ति कितने गंदें दिमागों की उपज है ...क्या बताना शेष है ऐसे फोटो  देखकर !महंगाई,भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं के नाम पर बहुओं[सोनिया जी ] बेटी -बहनों [मायावती जी ]का इस तरह अश्लील चित्रण करना उन्ही  दुश्शासिनी दिमागों की उपज है जो एक स्त्री के गर्भ से जन्म  लेकर भी उसे मात्र एक देह मानते  हैं... जिसका उपभोग किया जा सकता है .......जिसका दरबारों में चीर हरण किया जा सकता है ..  ऐसे फोटोस पर आई हुई टिप्पणियां भी कम अशालीन नहीं होती .
                   यदि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर यही  सब  करना है  तो निश्चित रूप से इस पर प्रतिबन्ध लगना ही चाहिए .ऐसी अभिव्यक्तियों .....ऐसे अंतर्जाल उपयोगकर्ताओं को शत शत बार धिक्कार है 
                          इन लिंक्स को भी देखें कैसे हमारे महान नेताओं को ज़लील करने का माध्यम बन गया है यू ट्यूब -
                                             

Political Terrorist - Indira Gandhi khan 


( Memuna Begum)

''Indira Gandhi was a biggest political terrorist. She imposed Emergency on citizens of India when she was found guilty of election fraud. She also attacked Golden Temple in Bluestar Operation in pretext of Bhindranwale who was her own creation. She killed thousands of Sikhs in the name of killing Bhindranwala. She was the reason behind separatist khalistani movement .''by  on Aug 9, 2010



Dr. Subramanian Swamy who has been a Prof. in IIT Delhi, Harvard & a successful parliamentarian can not be ignored. The country must investigate abt these allegations, Do these (Pseudo) gandhies deserve the treatment Indians give them. I certainly have my doubts. Why can't there be somebody other then gandhies a congress leader. How long this sycophancy prevail. by  on Nov 24, 2010


jawaharlal nehru exposed -rajiv dixit




                                                         








बुधवार, 28 मार्च 2012

बाल- विवाह कु- प्रथा को जड़ से मिटा दिया जाये !

 बाल- विवाह  कु- प्रथा को जड़ से मिटा दिया जाये !

[google से sabhar ]


बाल- विवाह  भारतीय  समाज  के  माथे  पर  लगा  एक  कलंक  है  जिसमे एक  छोटी  सी  बच्ची  के  हाथ  से खिलौना छीन  कर  उसे   किसी  अन्य  के  हाथ  का    खिलौना  बना  दिया  जाता  है  .
बाल-विवाह का प्रचलित रूप -
बाल विवाह  जिस  रूप  में  हमारे  समाज  में  प्रचलित  रहा  है  उसमे  एक  बच्ची  [जो १५  वर्ष   से  भी   कम   आयु की होती   है ] का  विवाह  किसी  प्रौढ़   के  साथ   कर  दिया  जाता  है  .दूसरे  रूप  में माता  पिता  [बेटी  व्  बेटे  के  ]उनके लिए अपनी   इच्छा से एक  विवाह   आयोजित  करते  हैं  और  जब तक  लड़का  व् लड़की   विवाह की  आयु   प्राप्त   नहीं कर  लेते  हैं तब  तक एक  दूसरे से नहीं मिलते   .स्पष्ट है कि लड़का व् लड़की की इच्छा  इसमें सम्मिलित नहीं होती क्योकि   उनके लिए यह सब एक खेल जैसा होता  है .कानूनी रूप से विवाह के समय लड़की की आयु १८ वर्ष व् लड़के की आयु २१ वर्ष होना निर्धारित है .


बाल विवाह निषेध  अधिनियम  -सन 1929 में बाल विवाह पर इस  अधनियम  द्वारा  रोक  लगा दी  गयी  थी व् कड़ी सजा का प्रावधान किया गया था -

 


बाल विवाह से सम्बंधित तथ्य-समाज कल्याण वेबसाईट से साभार -

विभिन्न राज्यों में अठारह वर्ष से कम आयु में विवाहित हो रही लड़कियों का प्रतिशत खतरनाक है-  
  • मध्य प्रदेश – 73 प्रतिशत
  • राजस्थान – 68 प्रतिशत
  • उत्तर प्रदेश – 64 प्रतिशत
  • आन्ध्र प्रदेश – 71 प्रतिशत
  • बिहार – 67 प्रतिशत  
यूनीसेफ की  “विश्व के बच्चों की स्थिति-2009” रिपोर्ट के अनुसार 20-24 वर्ष आयु वर्ग की भारत की 47 प्रतिशत महिलाएं कानूनी रूप से मान्य आयु सीमा– 18 वर्ष से कम आयु में ब्याही गईं, जिसमें 56 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से थीं।  यूनीसेफ के अनुसार (‘विश्व के बच्चों की स्थिति-2009’) विश्व के बाल विवाहों में से 40 प्रतिशत भारत में होते हैं।



बाल-विवाह के दुष्परिणाम-
          जिन बालिकाओं का विवाह कम आयु में कर दिया जाता है उनका  स्वास्थ्य लगभग चौपट हो जाता है क्योंकि कम आयु में शारीरिक सम्बन्ध और संतानोंत्पदन उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं .उन्हें H .I .V . के साथ साथ OBSTETRIC  FISTULA  का भी खतरा रहता है .ऐसी छोटी लड़कियां मुख्यतः गरेलू हिंसा,मानसिक अक्षमता व् सामाजिक उपेक्षा -अकेलेपन  का शिकार भी बनती हैं .कम आयु में विवाह बच्ची के शिक्षा  ग्रहण करने  पर एक ग्रहण लगा देता है .वो अपने भीतर की प्रतिभा को निखार नहीं पाती और अवसाद का शिकार बन जाती है .शारीरिक व् मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार न होने के कारण बाल विवाह -माता  मृत्यु व् शिशु मृत्यु के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार .


बाल विवाह पर प्रभावी रोक हेतु राजस्थान सरकार द्वारा दिए गए निर्देश सराहनीय -
        राजस्थान सरकार ने अगले माह आने वाली अक्षय  तृतीय   पर बड़ी संख्या में किये जाने वाले बाल-विवावों पर रोक लगाने हेतु कई सार्थक कदम उठाएं हैं .ज्ञातव्य   है राजस्थान में बहुत बड़ी संख्या में इस तिथि पर बाल विवाह आयोजित करने की परम्परा रही है .ये सराहनीय प्रयास  इस प्रकार हैं -


*सभी जिलों में कलक्ट्रेट ,एस.पी.व् एस.DI.ओ कार्यालयों  को कंट्रोल रूम बनाने का आदेश दिया गया है तथा ये २४ घंटे खुले रहेंगे .


*सभी जिला कलक्टर और पुलिस  अधीक्षकों को निर्देश है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाये  और बाल-विवाह होने की स्थिति  में इन अधिकारियों के  खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं .


*सर्वाधिक  महत्वपूर्ण है -जन जागरूकता .इस सम्बन्ध में जिला स्तर से लेकर ब्लोक स्तर तक,स्वयं सहायता  समूहों ,स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं .विवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले -हलवाई,बैंड बाजा वाले,पंडित जी ,  ट्रांसपोर्ट वाले ,पंडाल वाले  व वैवाहिक निमंत्रण पत्र छापने वालों को पाबंद रखने के निर्देश दिए गए हैं .एक अन्य महत्वपूर्ण निर्देश यह दिया गया है की-वैवाहिक कार्ड छपने वालों को वर-वधू का आयु प्रमाण  -पत्र लेने हेतु बाध्य किया जाये .
                           
                        निश्चित रूप से ये कदम कारगर  साबित होंगे यदि जनता सहयोग करे .अब समय आ गया है कि इस कु- प्रथा को जड़ से मिटा दिया जाये .
                                                                         शिखा  कौशिक  






रविवार, 25 मार्च 2012

नन्ही देवियाँ ब्लॉग जगत की !


नन्ही  देवियाँ ब्लॉग जगत की !
       ब्लॉग  जगत में भी तो नौ देवियों का पूजन होना चाहियें ना !आइये आज इस बार के चैत्र नवरात्रों में हम इन देवियों के दर्शन कर सबसे से यही कहने का प्रयास करें कि-कन्याओं  को केवल नौ दिन मत पूजो....इन्हें जन्म लेने दो ...इनका पालन बिना किसी भेदभाव के कीजिये और  इन्हें एक अच्छा नागरिक बनाइये ....

 

रुनझुन -

और ये है रुनझुन का संसार. रुनझुन यानी प्रांजलि दीप, सबकी दुलारी, लाडली, चहेती, जिसे सब प्यार से तोषी भी बुलाते है लेकिन पापा के लिये तो वो बस रुनझुन है.. उनकी "जान" और "शान", और मम्मी... उनका क्या कहें..., वो तो रुनझुन में बस खुद को ही जीती हैं। रुनझुन में ही उनका अपना बचपन...अपने सपने जैसे फिर से वापस आ गए हैं। रुनझुन का बेस्ट फ़्रेण्ड है उसका प्यारा भाई...शाश्वत, जो उसके संसार को पूरा करता है और अपने नटखटपन से उस संसार में खुशियाँ भरता है। लेकिन रुकिये... बात यहीं खत्म नही हुई... रुनझुन के संसार में और भी कई लोग हैं जो उसकी खुशियों के साझीदार हैं और खुश होने की वजह भी। रुनझुन अब इस संसार में आपसब को भी जोड़ना चाहती है। तो चलिये इस ब्लॉग के माध्यम से हम सब भी बन जाते हैं रुनझुन के दोस्त!''


मेरा फोटो अक्षिता (पाखी)



पाखी की दुनिया 


मेरा नाम अक्षिता (पाखी) है. जन्म-25 मार्च, कानपुर. ममा-पापा : श्रीमती आकांक्षा-श्री कृष्ण कुमार यादव. छोटी बहन - अपूर्वा. पोर्टब्लेयर में LKG में पढ़ती हूँ. रुचियाँ - ड्राइंग बनाना, प्लेयिंग, डांसिंग, नई-नई जगहें घूमना, आइसक्रीम व चाकलेट.....''


नन्ही परी -    
मेरा फोटो   
व्यवसायMasti :)
स्थानmumbai, भारत
रुचिdance karna, gaane gana, ghumna-firna, cartoons dekhna, bahut sari baate karna,coloring, drawing{sply on wall:)}aur haan jo sabse jyada pasand hai wo hai mumma ko tang karna...list bahut lambi hai aap padhte padhte thak na jao isi liye bus itna hi likhti 

चुन चुन गाती चिड़िया मेरा फोटो  - पाखी


मेरा नाम पाखी, सारा समय शैतानी करती हुं ऎसा मेरी मां कहती है. बाकी जैसे जैसे मुझे पता चलता रहेगा आपको भी बताती रहुंगी. 




 


अक्षयांशी -- Akshayanshi 






chulbuli 

और यह है मेरा blog.....इसमे होंगी मेरी बातें..मेरे किस्से..मेरे सपने..मेरे गीत...और...दोस्तों की साझेदारी भी.. 







लविज़ा | Laviza 
एक स्पेशल पोस्ट - शुक्रिया आप सभी का



मेरा फोटो kritika choudhary

16 नवम्‍बर, 2009 को राजस्‍थान के चूरू शहर में मां कृष्‍णा जाखड़ एवं पिता दुलाराम सहारण के यहां जन्‍म। 




विभूति-अनिमेष 

मेरा फोटो Vibhuti:



Hum do pyaare pyaare bachche hain. 1.Vibhuti: sabki laadli Birthday- 27/06/2003. Place of birth: Jodhpur 2.Animesh:Bhola-bhaala, rajdulaara Birthday-20/05/2005 Place of birth- Jodhpur

                                                     कैसा  लगा  इन नन्ही देवियों  से  मिलकर  ? या पूजकर !



                                                                  shikha kaushik 

बुधवार, 21 मार्च 2012

सचिन भगवान नहीं -एक आदर्श इन्सान !

सचिन भगवान नहीं -एक आदर्श इन्सान !
 

आगरा में गत २० मार्च २०१२  को एकलव्य स्टेडियम में मशहूर भजन गायक पंडित मनीष शर्मा ने एक संगीत कार्यक्रम में ''सचिन चालीसा '' का गायन किया .मतलब एक बार फिर एक आदर्श  इन्सान को ''भगवान'' का दर्जा देने का प्रयास .मेरा मानना है कि यदि एक इन्सान को 'भगवान '' का दर्जा दे दिया जाये तो एक इन्सान के तौर पर की   गयी उसकी मेहनत....उसके संघर्ष......उसके जज़्बे  ....सब पर एक प्रश्न -चिन्ह लग जाता है .ऐसा कहना और इसे मान लेना उन सभी संघर्षशील इंसानों को भी कहीं न कहीं उनके लक्ष्यों कि पूर्ति में  बाधा पहुंचता है जो किसी आदर्श इन्सान का अनुसरण कर उन्नति की ओर अग्रसर हैं  .किसी इन्सान को भगवान कह देना ये भी साबित करता है कि जो  बुलंदी इस '' इंसानी भगवान'' ने अर्जित की है वो हम साधारण इन्सान कभी अर्जित नहीं कर सकते हैं क्योकि हम तो केवल इन्सान हैं भगवान नहीं .मैं  ऐसी सोच रखने वालो से ये पूछना चाहूंगी कि -''क्या एक इन्सान अपने सपनों को सच कर के नहीं दिखा सकता ?क्यों आप एक इन्सान को पचास से ज्यादा किलो के बोझ से दबा डालते हैं ?
                                                                हम खुशनसीब हैं  जो हम सचिन तेंदुलकर जैसे जीवट जिजीविषा  के इन्सान के समकालीन हैं बिल्कुल उसी तरह जैसे  हमसे पहले की पीढियां-''महात्मा बुद्ध '',''महावीर स्वामी '' ''महात्मा गाँधी  - जैसे महामानवों की समकालीन रही है .मेरे एक बुजुर्ग  जो जैन समुदाय से थे उन्होंने अपनी एक राय मेरे समक्ष रखी थी -महावीर स्वामी ''महावीर ''क्यों है ?इसलिए क्योंकि वे कहते है की सभी दिव्य शक्तियाँ इन्सान अपने प्रयत्नों से अर्जित कर सकता है .''ये हमारी सोच है कि हम महामानवों को अवतार का दर्जा देकर स्वयं को दिव्य शक्तियों के अर्जन हेतु  अक्षम घोषित कर देते हैं .हमने स्वयं देखा है -सचिन विपरीत परिस्थितियों   में भी विनम्र बने रहे ,अपने लक्ष्य पर ही उनका ध्यान रहा ,वे विचलित नहीं हुए .सचिन को हमने संघर्ष करते देखा है .संघर्षों पर विजय पाते देखा है.सचिन उन सभी के प्रेरणास्रोत हैं जो अपने क्षेत्र में पहचान बनाने हेतु संघर्षशील हैं . सचिन से सीखिए.....उनका अनुसरण कीजिये पर उन्हें ''भगवान'' बनाकर  पूजिए मत .इन्सान में क्या कर दिखाने की ताकत होती है सचिन इसका उदाहरण है ......भगवान नहीं !
                                                               शिखा कौशिक 
                                                 [विचारों का चबूतरा ]

शुक्रवार, 16 मार्च 2012

मिलिये राहुल गाँधी जी से !

मिलिये राहुल गाँधी  जी से  ! 
shri rahul gandhi
[facebook se sabhar ]





यूं तो  राहुल गाँधी जी का जीवन एक खुली किताब की तरह है .स्व .श्री राजीव गाँधी जी व्  सोनिया गाँधी जी के सुपुत्र  राहुल जी का जन्म  19 जून  १९७० को  नईदिल्ली में हुआ .राहुल जी ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज  यूनिवर्सिटी [  यूं..के. ]से डेवलपमेंट इकोनोमिक्स  में एम् .फिल  की डिग्री  हासिल की है .राहुल जी की - प्राथमिक शिक्षा के उन्नतिकरण ,समाज के दलित व् अन्य   शोषित वर्गों   के सशक्तिकरण  से सम्बंधित  मुद्दों में,अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों- आदि में विशेष  रुचि है .खेलों में राहुल जी को-Scuba  diving  , swimming  , cycling  , playing squash में विशेष दिलचस्पी है .इतिहास ,समाज शास्त्र,अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध ,विकास,प्रबंधन व् जीवनी आदि विषयों को पढना  उन्हें   भाता है  व् शतरंज व् flying  उनके प्रिय समय व्यतीत करने के साधन है . अब तक  वे  निम्न   पदों को सुशोभित कर चुके हैं  -



Positions Held
2004Elected, to 14th Lok Sabha
Member, Committee on Home Affairs
5 Aug. 2006Member, Committee on Home Affairs
5 Aug. 2007 onwardsMember, Committee on Human Resource Development
2009Re-elected to 15th Lok Sabha (2nd ter
31 Aug. 2009Member, Committee on Human Resource Development



एक लोकसभा सदस्य के रूप में राहुल जी का  परिचय  इस  प्रकार  है --'' Details of MemberParticularsDescriptionNameShri Rahul GandhiConstituency from which I am electedAmethiState from which I am electedUttar PradeshPolitical party nameIndian National CongressPresent Address12, Tughlak Lane,New Delhi - 110 011Tels. (011) 23795161 Fax. (011) 23012410Permanent Address12, Tughlak Lane,New Delhi - 110 011Tels. (011) 23795161 Fax. (011) 23012410''[india.gov.in से sabhar ]



                          ये तो हुई राहुल जी के विषय में वे जानकारियां  जो सबको दिखाई देती हैं पर आज  मैं  यहाँ उनकी उन  विशेषताओं  का उल्लेख भी करना चाहूंगी  जिन्हें  केवल हम तभी देख सकते हैं  जब हम राजनैतिक रूप से निष्पक्ष होकर देखें  .१४ वर्ष की किशोर आयु में अपनी दादी की नृशंस   हत्या का हादसा झेलने वाले राहुल जी के धैर्य  की कड़ी परीक्षा  लेने में क्रूर प्रकृति ने कोई दया नहीं की .२१ मई १९९१ की रात को जब उनके स्नेही पिता राजीव जी की एक बम विस्फोट में नृशंस हत्या की गयी तब वे भारत में नहीं थे .जिसने भी अपने किसी प्रिय परिवारीजन को हादसे में खोया होगा वह उस समय के उनके हालात...मानसिक अवस्था को सहज  ही  महसूस   कर सकता है .किस तरह २१ वर्षीय उस युवा राहुल ने झेला  होगा यह हादसा !........आज जब स्वामी सुब्रमण्यम  जैसे तथाकथित  ज्ञानी राहुल जी को ''बुद्धू'' कहकर  उनकी खिल्ली उड़ाने  का प्रयास करते हैं ..वे भूल जाते हैं हमारे राहुल जी चट्टानी- कड़ाई जैसी मानसिक सबलता रखते हैं .दादी व् पिता को हादसों में खो देने के बावजूद वे स्वयं जन सेवा  हेतु  राजनीति में आये और सन 2004 से निरंतर जनसेवा में लगे  हुए हैं .....बिना किसी पद के लालच के .
                               राहुल जी द्वारा किये जाने वाले जनसंपर्क को ''नाटक ''का नाम   देने वाले ये भूल जाते हैं कि-राहुल जी इन आक्षेपों से घबराते नहीं है .वे ऐसे कुत्सित बयां देने वालों को चुनौती देते हुए ठीक ही तो कहते हैं-''यदि ये नाटक है तो ये चलता  रहेगा ''.उत्तर  प्रदेश में मिले जनादेश को भी उन्होंने बड़ी शालीनता के साथ स्वीकार किया  पर मीडिया ने  राहुल जी की आलोचना को ही स्थान दिया ...उनकी मेहनत को नहीं.

                                            गरिमामयी   व् आकर्षक व्यक्तित्व  के स्वामी राहुल जी से यदि आप कभी मिले तो ये अवश्य पूछियेगा कि ''आखिर वे इतने अनर्गल आक्षेपों को ..........कटु आलोचनाओं को .... को कैसे सह जाते हैं? .विपरीत परिस्थितियों  में इतने शालीन  कैसे रह पाते हैं ?

                                                                              शिखा कौशिक 
                                                                    

कुम्भकर्णी नींद में सोयी सरकार जागो !

        कुम्भकर्णी नींद में सोयी सरकार जागो !



ये  कैसा  लोकतंत्र  है   जिसमे   जनता   द्वारा   चुनी   गयी   सरकार   न तो  खुद  पर्यावरण से  जुड़े  मुद्दे  पर  ध्यान  देती  है  और  न ही  पर्यावरणविदद   जब   उनका   ध्यान इस  ओर  आकर्षित  करते  हैं  तब . प्रो. जी.डी अग्रवाल जी  द्वारा गंगा की अविरलता और नरोरा से प्रयाग तक न्यूनतम प्रवाह की मांग को लेकर मकर संक्रांति से   किये   जा  रहे  आमरण  अनशन की  सरकार द्वारा  अनदेखी  करना सरकार  की  संवेदनहीनता को उजागर करता है .इसी मुद्दे पर मेल पर सिराज केसर जी द्वारा यह जानकारी साझा की गयी है जो  किसी भी भारत वासी को यह अहसास कराने के लिए काफी है कि एक प्रबुद्ध पर्यावरणशास्त्री   के प्राणों तक की सरकार को परवाह नहीं है -


                    मित्रों! क्या किसी की मृत्यु पर शोक जताने की रस्म अदायगी मात्र से हमारा दायित्व पूरा हो जाता है? गंगा के लिए प्राण देने वाले युवा संत स्व. स्वामी निगमानंद उनके बलिदान पर शोक जताने वालों की बाढ़ सी आ गई थी। समाचार पत्रों ने संपादकीय लिखे। चैनलों ने विशेष रिपोर्ट दिखाई। स्वयंसेवी जगत ने भी बाद में बहुत हाय-तौबा मचाई। गंगा एक्सप्रेसवे भूमि अधिग्रहण के विरोध में रायबरेली और प्रतापगढ़ में मौतें हुईं। मिर्जापुर में किसानों पर लाठियां बरसी। मंदाकिनी के लिए गंगापुत्री बहन सुशीला भंडारी जेल में ठूंस दी गईं। राजेंद्र सिंह जी के उत्तराखंड प्रवेश पर उत्तराखंड क्रांति दल ने उत्पात मचाया। हम तब भी चुप्पी मारे बैठे रहे। क्या यह जरूरी नहीं हैं कि राष्ट्र के लिए.. हमारी साझी विरासत को जिंदा बनाये रखने के लिए अपना जीवन दांव पर लगाने वालों के जीते - जी हम उनके साथ खड़े दिखाई दें?

मित्रों! संत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के नये नामकरण वाले प्रो. जीडी अग्रवाल का जीवन एक बार फिर संकट में है। गंगा की अविरलता और नरोरा से प्रयाग तक न्यूनतम प्रवाह की मांग को लेकर  वह मकर संक्रान्ति से अनशन पर हैं। माघ मेला, प्रयाग में एक महीने के अन्न त्याग, मातृ सदन- हरिद्वार में पूरे फागुन फल त्याग के बाद अब चैत्र के माह का प्रारंभ होते ही 9 मार्च से उन्होंने जल भी त्याग दिया है। उनकी सेहत लगातार नाजुक हो रही है। चुनावी शोर में मीडिया ने भी उनकी महा-तपस्या की आवाज को नहीं सुनी। बीते दो माह के दौरान शासन ने भी जाकर कभी उनकी व्यथा जानने की कोशिश नहीं की। शासन तो अब भी नहीं चेता है। प्रशासन ने जरूर तपस्वी की आवाज बंद करने के लिए 10 मार्च की रात उन्हें जबरन उठाकर कबीर चौरा अस्पताल, वाराणसी पहुंचा दिया गया है। हालांकि स्वामी ज्ञानस्वरूप जी को गंगा के लिए प्राण देने में तनिक भी हिचक नहीं है। उनकी प्रतिज्ञा दृढ़ है। लेकिन क्या हम उनके प्राण यूं ही जाने दें? 


http://hindi.indiawaterportal.org/node/37295 


                                     कुम्भकर्णी नींद में सोयी सरकार को जगाने के लिए हम सभी को अपने स्तर से प्रयास करने चाहिए  क्योंकि अग्रवाल जी द्वारा किया जा रहा अनशन पूरी मानवजाति  के हितार्थ में ही है .


                                                                     शिखा कौशिक 

सोमवार, 12 मार्च 2012

'अब हॉकी की जय बोल ''

NO CRICKET 
                       NO FOOTBALL 
LET'S WRITE ON YOUR 
                             FACEBOOK WALL 
''अब  हॉकी   की  जय  बोल  ''


                                    SHIKHA KAUSHIK