टीम अन्ना दिल साफ करो तब कॉग्रेस का इंसाफ करो !
पिछले वर्ष एक काम के सिलसिले में २० अगस्त २०११ को मेरठ जाना हुआ .यही वह समय था जब दिल्ली में जनलोकपाल बिल को लेकर अन्ना का आन्दोलन पूरे शबाब पर था .एक सरकारी कार्यालय में बैठे हुए बार बार ''भारत माता की जय '' और ''वन्देमातरम '' का उद्घोष कानों में अमृत घोल रहा था .वहां से बाहर आये तो देखा कई वाहनों पर प्यारा तिरंगा लगाया गया था .मन उमंगित हो उठा .ये सब अन्ना आन्दोलन का समर्थन कर रहे थे .ह्रदय में एक आस बंधी कि ''भारत में भी भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर पूरा भारत एक साथ खड़ा हो सकता है ......पर यह ख़ुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई क्योंकि हम जैसे ही व्यस्त सड़क पर पहुंचे इस अन्ना समर्थित रैली के कारण जाम में फँस गए . दुःख जाम में फँसने का नहीं था दुःख इस बात का था कि अब 'भारत माता की जय' और 'वन्देमातरम' के उद्घोष का स्थान राजनैतिक रंग में रंगे नारों ने ले लिया था .उत्साही युवा चिल्ला रहे थे -''सोनिया जिसकी मम्मी है ...वो सरकार निकम्मी है .''मन में आया क्यों लक्ष्य से भटक जाते हैं हम .ये आन्दोलन क्यों दिशाहीन हो रहा है ?सोनिया जी ही को क्यों निशाना बनाया जा रहा है .''मायावती जी जिस सरकार की मम्मी हैं ''या ''जयललिता जी जिस सरकार की मम्मी हैं ''क्या वो सरकार निक्कमी नहीं ?मम्मी को छोडो ये ''पापा लोग ''की सरकार ''कर्नाटक ''में क्या कर रही है ?
इस तमाशे को देखकर यह समझने में मुझे देर न लगी कि यह आन्दोलन कुछ अति बुद्धिशाली व् स्वार्थी व्यक्तियों की भेंट चढ़ने वाला है . जिस आन्दोलन के कर्ता-धर्ता स्वयं आन्दोलन के मुख्य लक्ष्य से भटक गए हो उस आन्दोलन को दिशाहीन होने से कोई नहीं रोक सकता .भ्रष्टाचार की समस्या सभी राजनैतिक दलों से लेकर नौकरशाही ,प्रशासनिक संस्थाओं और जनता से भी जुडी है .कोई भी ईमानदार कहलाने लायक नहीं है .हम स्वयं अपने काम को शीघ्र अति शीघ्र करवाने हेतु भ्रष्टाचार को पाल-पोस रहे हैं . भ्रष्टाचार का ठीकरा केवल एक राजनैतिक पार्टी ''कौंग्रेस'' पर फोड़ने का प्रयास कर अन्ना टीम आन्दोलन ने समस्त आन्दोलन को राजनैतिक रंग में रंग दिया .बात बात पर जनता द्वारा चुनी हुई कॉग्रेस की सरकार पर हमला बोलकर अन्ना टीम अपनी विश्वसनीयता को खो दिया .आज ये केवल लकीर पीटने का काम कर रहे हैं . टीम अन्ना ने पूरे भारत में केवल एक कुत्सित सन्देश प्रसारित करने का का विफल प्रयास किया कि-''भ्रष्टाचार के लिए केवल कॉंग्रेस दोषी है और वह जनलोकपाल बिल पास नहीं होने देती . ''इस दौरान होने वाले कई राज्यों के चुनाव में भी अन्ना टीम केवल कॉग्रेस के उम्मीदवारों की खिलाफत करती रही .उसने अन्य दलों के खिलाफ क्यों नहीं कुछ कहा ? यह आन्दोलन ''जन लोकपाल बिल को पास कराने के स्थान पर ''कॉग्रेस को हटाओ आन्दोलन ''बन कर रह गया .अपने अति स्वार्थवाद में अन्ना टीम यह भी भूल गयी ''कि कॉग्रेस को जनता ने ही चुनकर भेजा है सरकार बनाने हेतु .''यह आन्दोलन ''जन लोकपाल बिल को पास कराने के स्थान पर ''कॉग्रेस को हटाओ आन्दोलन ''बन कर रह गया .अपने अति स्वार्थवाद में अन्ना टीम यह भी भूल गयी ''कि कॉग्रेस को जनता ने ही चुनकर भेजा है सरकार बनाने हेतु .''
इस तमाशे को देखकर यह समझने में मुझे देर न लगी कि यह आन्दोलन कुछ अति बुद्धिशाली व् स्वार्थी व्यक्तियों की भेंट चढ़ने वाला है . जिस आन्दोलन के कर्ता-धर्ता स्वयं आन्दोलन के मुख्य लक्ष्य से भटक गए हो उस आन्दोलन को दिशाहीन होने से कोई नहीं रोक सकता .भ्रष्टाचार की समस्या सभी राजनैतिक दलों से लेकर नौकरशाही ,प्रशासनिक संस्थाओं और जनता से भी जुडी है .कोई भी ईमानदार कहलाने लायक नहीं है .हम स्वयं अपने काम को शीघ्र अति शीघ्र करवाने हेतु भ्रष्टाचार को पाल-पोस रहे हैं . भ्रष्टाचार का ठीकरा केवल एक राजनैतिक पार्टी ''कौंग्रेस'' पर फोड़ने का प्रयास कर अन्ना टीम आन्दोलन ने समस्त आन्दोलन को राजनैतिक रंग में रंग दिया .बात बात पर जनता द्वारा चुनी हुई कॉग्रेस की सरकार पर हमला बोलकर अन्ना टीम अपनी विश्वसनीयता को खो दिया .आज ये केवल लकीर पीटने का काम कर रहे हैं . टीम अन्ना ने पूरे भारत में केवल एक कुत्सित सन्देश प्रसारित करने का का विफल प्रयास किया कि-''भ्रष्टाचार के लिए केवल कॉंग्रेस दोषी है और वह जनलोकपाल बिल पास नहीं होने देती . ''इस दौरान होने वाले कई राज्यों के चुनाव में भी अन्ना टीम केवल कॉग्रेस के उम्मीदवारों की खिलाफत करती रही .उसने अन्य दलों के खिलाफ क्यों नहीं कुछ कहा ? यह आन्दोलन ''जन लोकपाल बिल को पास कराने के स्थान पर ''कॉग्रेस को हटाओ आन्दोलन ''बन कर रह गया .अपने अति स्वार्थवाद में अन्ना टीम यह भी भूल गयी ''कि कॉग्रेस को जनता ने ही चुनकर भेजा है सरकार बनाने हेतु .''यह आन्दोलन ''जन लोकपाल बिल को पास कराने के स्थान पर ''कॉग्रेस को हटाओ आन्दोलन ''बन कर रह गया .अपने अति स्वार्थवाद में अन्ना टीम यह भी भूल गयी ''कि कॉग्रेस को जनता ने ही चुनकर भेजा है सरकार बनाने हेतु .''
जनता ने भी महसूस किया ''कि -अन्ना टीम तो लोकपाल के बहाने वही काम कर रही है जो कॉग्रेस की विपक्षी पार्टियाँ कॉग्रेस को बदनाम करने के लिए करती रहती हैं .''इस तथ्य के उजागर होते ही अन्ना आन्दोलन की रीढ़ टूट गयी अर्थात आम जनता ने इस आन्दोलन से दूरी बना ली .आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे अन्ना ने अपने कई बयानों द्वारा यह साबित कर दिया कि वे संघी मानसिकता के हैं और श्री शरद पंवार के एक युवक द्वारा तमाचा मारे जाने पर अन्ना के बयान ''बस एक ही ''ने उनके गाँधीवादी होने पर भी बड़ा सा प्रश्न चिह्न लगा दिया .यदि अन्ना टीम अपनी निजी भावनाओं को इस आन्दोलन से दूर रखती तो आज यह आन्दोलन इस तरह भीड़ के लिए न तरसता .अन्ना टीम को अब पहले अपना दिल साफ़ कर लेना चाहिए तब देश सेवा को समर्पित कॉग्रेस पार्टी पर कोई आरोप लगाने की हिम्मत करनी चाहिए .
जय हिंद ! जय भारत !
शिखा कौशिक