पिछले सात दिनों से चल रही NCP की राजनैतिक गुंडागर्दी पर कल विराम लग गया .जब उसकी मांग को मान लिया गया .सन 2009 से UPA का मुखिया होने के कारण कॉग्रेस को सहयोगी दलों की इसी राजनैतिक गुंडागर्दी का बार बार शिकार बनना पड़ रहा है . क्या सरकार बचाए रखने की जिम्मेदारी मात्र कॉग्रेस की है ?एक अरब से भी ज्यादा जनसँख्या वाले हमारे देश को मध्यावधि चुनाव की आग में झोंक देने को तैयार UPA के सहयोगी दलों की नैतिकता देखने लायक है .
कभी महंगाई ;कभी 'ऍफ़.डी.आई.';कभी लोकपाल बिल को लेकर ;कभी अपनी ही पार्टी के रेलमंत्री को हटाने ..तो कभी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर बंगाल की शेरनी सुश्री ममता बनर्जी ने जिस तरह केंद्र सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया क्या वह शोभनीय है ? यदि ममता दी के पास मंहगाई घटने का कोई नायब नुस्ख़ा है तो वे केंद्र की सरकार को क्यों नहीं बता देती हैं ?पेट्रोल की कीमत बढ़ते ही वे जिस तरह सरकार से हटने का ऐलान कर देती हैं उससे से तो जनता में ये ही सन्देश प्रसारित होता है जैसे केवल कॉँग्रेस ही बढती मंहगाई के लिए जिम्मेदार है और उसे गरीबों की कोई चिंता नहीं .
सात दिन तक कृषि मंत्री श्री शरद पंवार अपने मंत्रालय से विरक्त रहे अपना मनचाहा करवाने हेतु .सात दिन तक उन्हें ख़राब मानसून की मार झेल रहे किसानों की तनिक भी चिंता न हुई .उन्हें चिंता थी तो केवल महाराष्ट्र में अपने दागी NCP नेताओं की और उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाये वहां के मुख्यमंत्री श्री पृथ्वी राज चौहान के तेवरों में कमी लाने की .
&nbs , Helvetica, sans-serif; line-height: 1.8;">जनता को चाहिए कि जैसे वो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एकमत होकर भ्रष्टाचार का विरोध करती है उसी प्रका� bsp; की ''राजनैतिक गुंडागर्दी'' का पुरजोर विरोध करे जिससे ऐसे सहयोगी दल ''सरकार को अस्थिर करने की'' रोज़ की धमकी देने से बाज आये .
जय हिंद !जय भारत !
शिखा कौशिक
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