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बुधवार, 30 जनवरी 2013

मुझे कॉंग्रेस पसंद है पर मैं हिन्दू भी हूँ!

 


 मुझे  कॉंग्रेस पसंद है पर मैं हिन्दू भी हूँ!


किसी ने टिप्पणी की -''पिछली कुछ प्रस्तुतियों से सर्वथा भिन्न प्रस्तुति देख कर कुछ आश्चर्य लगा ,आपके कई आलेख कांग्रेस के और राहुल गाँधी की प्रशंसा में समर्पित थे और अब ! खैर रचना अच्छी लगी'' कोई विचित्र टिप्पणी  तो नहीं है ये .मैं इस विचित्रता  में ही आनंद का अनुभव करती हूँ .शायद सारे हिंदुस्तानी भीइसी  विचित्रता  में आनंद का अनुभव करते  हैं  अन्यथा  आज़ादी के बाद से लोकतंत्र  के मंदिर में चुनकर जाने वाले हमारे प्रतिनधि एक ही पार्टी के होते .मैं पूर्ण  प्रभुत्तासम्पन्न भारतीय गणतंत्र की नागरिक हूँ .मैं देश को स्थिर सरकार  देने वाली  कॉंग्रेस  पार्टी की प्रशंसा  भी लिखती  हूँ तो भाजपा में नरेन्द्र मोदी की तुलना  में सुषमा जी को  प्रधानमंत्री  बनाने  के पक्ष  में भी लिखती  हूँ .श्री राहुल गाँधी की प्रशंसा का मतलब यह नहीं कि मेरी कलम में कॉंग्रेस पार्टी ने स्याही भरवा दी है .देश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए उत्सुक हर नेता मेरी पसंद है और देश को धर्म के नाम पर बांटने की कोशिश करने वाला हर नेता नापसंद .कांग्रेस ने भी जब भगवा आतंकवाद के नाम पर हिन्दुओं का अपमान किया तब मैंने अपने स्तर से इसका  विरोध किया है .सभी पार्टियों को हमने देश की सत्ता व् विपक्ष में इसलिए बैठाया है कि वे देश हित को सर्वोपरि रखकर नीतियों का निर्धारण करे .वे जन सेवक हैं और हम स्वामी .हमको अधिकार है उनको टोकने का -पुचकारने का .हम  तो आम जनता हैं जो  जिस पार्टी को देश हित में कार्य करने को तत्पर देखते हैं उसे ही वोट देकर विजयी बना देते हैं .वो चाहे कौंग्रेस हो ,भाजपा हो अथवा अन्य कोई दल .हम  ही  हैं जो किसी भी पार्टी को  गलत  राजनीती  करते  देखकर  उसे  आइना  दिखा  देते  हैं क्योंकि  -


 मुझे  कॉंग्रेस पसंद है
पर मैं हिन्दू भी हूँ!

मैं हिन्दू हूँ
लेकिन भाजपाई या स्वयं सेवक नहीं!

 मुझे गर्व है अपने धर्म पर
लेकिन गैर-धर्मियों से नफरत नहीं !

मैं रखती हूँ आस्था निज ध्रम में ,
लेकिन करती अन्य धर्मों का अपमान नहीं !

मेरी  कामना फहरती  रहे पताका मेरे धर्म की ,
लेकिन मिटाकर अस्तित्व अन्य धर्मों का नहीं !


 मैं सजग हूँ अपने धर्म के सम्मान के प्रति ,
लेकिन करती कोई दुष्प्रचार नहीं !

मैं हिन्दू हूँ
लेकिन मैं भारतीय भी हूँ !


मैं सजग नागरिक हूँ
समझ पाए आप ये बात नहीं !


                 शिखा कौशिक 'नूतन'

3 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ? आप भी जाने इच्छा मृत्यु व् आत्महत्या :नियति व् मजबूरी

Arshad Ali ने कहा…

अच्छी पोस्ट ....
पता नहीं क्या हो गया है ब्लॉग की दुनिया में ...
कल एक पोस्ट पढ़ा (नाम नहीं लूँगा)..पढ़ कर थोड़ी चिंता हुई ...यदि हम सभी कलम चलाने वाले लोग धर्म - राजनीती का कॉकटेल बनाते रहेंगे तो जाने हमारे देश का क्या होगा ?

आपका पोस्ट एक जवाब है उनके लिए ...जो धर्म और राजनीती को पता नहीं किस लाभ से जोड़ कर देखते हैं।

कोई चिन्तक बने तो समाज में फैले कुरूतियों को दूर करे ...इतिहास गवाह है ...लोग उन्हें याद करते हैं जो भारत की गरिमा को केंद्र में रख कर अपनी बिचार रखता हो।

Arshad Ali ने कहा…

अच्छी पोस्ट ....
पता नहीं क्या हो गया है ब्लॉग की दुनिया में ...
कल एक पोस्ट पढ़ा (नाम नहीं लूँगा)..पढ़ कर थोड़ी चिंता हुई ...यदि हम सभी कलम चलाने वाले लोग धर्म - राजनीती का कॉकटेल बनाते रहेंगे तो जाने हमारे देश का क्या होगा ?

आपका पोस्ट एक जवाब है उनके लिए ...जो धर्म और राजनीती को पता नहीं किस लाभ से जोड़ कर देखते हैं।

कोई चिन्तक बने तो समाज में फैले कुरूतियों को दूर करे ...इतिहास गवाह है ...लोग उन्हें याद करते हैं जो भारत की गरिमा को केंद्र में रख कर अपनी बिचार रखता हो।