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रविवार, 26 अगस्त 2012

''विद्रोही सीता की जय'' लिख परतें इतिहास की खोलूँगी !


''विद्रोही सीता की जय'' लिख परतें इतिहास की खोलूँगी !
Hindu Goddess Sita

त्रेता में राम दरबार सजा ; थी आज परीक्षा सीता की ,
तुम  करो  प्रमाणित  निज  शुचिता थी राजाज्ञा रघुवर की ,
वाल्मीकि  संग खड़ी सिया के मुख पर क्षोभ के भाव दिखे ,
सभा उपस्थित जन जन संग श्री राम लखें ज्यों चित्रलिखे . 
बोली सीता -श्री राम  सुनो  अब और परीक्षा ना दूँगी  नारी जाति सम्मान हित अपवाद सभी  मैं  सह लूंगी !  प्रभु आप  निभाएं राजधर्म मैं नारी धर्म निभाऊंगी ; आज आपकी आज्ञा  का पालन न � �गी , स्वाभिमानी  नारी बन सब राजदंड मैं भोगूंगी  नारी जाति सम्मान हित .... जो अग्नि परीक्षा पहले दी उसका भी मुझको खेद है , ये कुटिल आयोजन  बढ़वाते  नर-नारी में भेद हैं , नारी विरूद्ध अन्याय पर विद्रोह की भाषा बोलूंगी  नारी जाति सम्मान हित ....... था नीच अधम पापी रावण जिसने था मेरा हरण किया , पर अग्नि परीक्षा ली राजन क्यों आपने ये अपराध किया ? हर  नारी मुख से  हर युग में ये प्रश्न आपसे पूछूंगी , नारी जाति सम्मान हित .....
नारी का यूं अपमान न हो इसलिए त्यागा रानीपद ;
मैने छोड़ा साकेत यूं ही ना घटे कभी नारी का कद ,
नारी का मान बढ़ाने को सब मौन मैं अपने तोडूंगी ,
नारी जाति सम्मान हित ....

अग्नि परीक्षा शस्त्र लगा पुरुषों के हाथ मेरे कारण ;
भावुकता में ये भूल हुई पाप हुआ मुझसे दारुण ,
मत झुकना तुम अन्याय समक्ष सन्देश सभी को ये दूँगी .
नारी जाति सम्मान  हित ....


इस महाभयंकर भूल की मैं दूँगी  खुद को अब यही सज़ा ;
ये भूतल फटे अभी इस क्षण जाऊं इसमें अविलम्ब समा ,
अपराध किया जो मैंने ही दंड मैं उसका झेलूंगी ,
नारी जाति सम्मान हित .....
पुत्री सीता की व्यथा देख फट गयी धरा माँ की छाती ; बोली ये जग है पुरुषों का नारी उनको कब है भाती  ? आ पुत्री मेरी गोद में तू तेरे सब कष्ट मिटा  दूँगी . नारी जाति सम्मान हित ..... सीता के नयनों में उस  क्षण अश्रु नहीं अंगारे  थे ; विद्रोही सीता रूप देख उर काँप रहे वहाँ सारे थे , फिर समा गयी सीता कहकर ये अत्याचार न भूलूंगी . नारी जाति सम्मान हित ....
नारी धीरज को मत परखो सीता ने ये सन्देश दिया ;
सन्देश यही एक देने को निज प्राणों का उत्सर्ग किया ,
'विद्रोही सीता की जय ''लिख परतें इतिहास की खोलूँगी 
जय सीता माँ की बोलूंगी ..जय सीता माँ की बोलूंगी !

                               शिखा कौशिक 'नूतन'
                              [नूतन रामायण ]
                              

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

'' राहुल को लाना होगा अपनी कार्यशैली में बड़ा अंतर ''


यह  स्वागत  योग्य  है  कि श्री  राहुल गाँधी भारतीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका के लिए तैयार हैं किन्तु बड़ी भूमिका के साथ  साथ उन्हें  अपनी  कार्य  शैली  में भी  बड़ा  अंतर  लाना  होगा  .पिछले  दिनों  श्री सलमान  खुर्शीद  द्वारा की गयी टिप्पणी को भी सकारात्मक  नज़रिए  से देखा जाना चाहिए .राहुल को अब जुगनू की भांति नहीं सूर्य की भांति चमकना होगा .उन्हें जनता के समक्ष निरंतर उपस्थित रहना होगा .यूं.पी. के चुनाव के बाद एक माह तक गायब रहना जनता में यह सन्देश प्रेषित करता है कि-'हमारा नेता गंभीरता के साथ हमारी समस्याओं के प्रति जागरूक नहीं है' -


'जुगनू नहीं तू आफ़ताब बन चमकना सीख 
करनी है सियासत तो कुछ दांव-पेंच सीख '

                                         राहुल जी को अपने व् अपने परिवार के खिलाफ लगाये जाने वाले आरोपों का भी खुलकर विरोध करना होगा क्योंकि उनकी चुप्पी को इस रूप में प्रसारित किया जाता है कि 'यदि ये आरोप निराधार हैं तो राहुल व् गाँधी परिवार इनका विरोध क्यों नहीं करता '-

       दुश्मन  लगाना चाह रहा दामन पर तेरे दाग 
          मायूस हो यूं चुप न बैठ पुरजोर आज चीख '

                                                      देश कि सभी प्रधान  समस्याओं पर अपने नज़रिए से राहुल जी को चाहिए कि वे जनता को अवगत कराते रहे  .ये न हो कि --भट्टा परसौल पर तो आप अपना विरोध दर्ज कराये पर दिल्ली पुलिस द्वारा रामलीला मैदान में आम जनता पर मध्य रात्रि में किये गए अत्याचार पर कुछ न कहें .आपको महगाई जैसे मुदों पर अपनी राय से जनता को अवगत कराना चाहिए ताकि जनता में यह सन्देश जाये कि 'हमारा प्रिय नेता हमारी समस्याओं के प्रति संवेदनशील है '-


'तू वतनपरस्त है  कर मुल्क़ की ख़िदमत 
मुफ़लिसी पर चोट कर ना मांगें कोई भीख '

                

   राहुल जी को यह भी ध्यान रखना होगा कि 'वे एक राष्ट्रीय नेता हैं '.किसी भी प्रदेश के चुनावों में उन्हें स्वयं को झोंक देने की जरूरत  नहीं है .उनका काम है राज्य के पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करना ,अनुशासित करना .उत्तर प्रदेश के हाल में हुए चुनावों में राहुल जी ने तो अपनी सारी ताकत झोक दी और प्रदेश के पार्टी नेता हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे जिसके कारण राहुल जी की छवि को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया गया -

              '  मासूम  रियाई की मक्कारियों से बच 
                   कई खा  चुके हैं धोखा इसकी गवाह तारीख़ '

                                     राहुल जी को अपने आस पास चापलूसों,चाटुखोरों के जमावडे को भी रोकना होगा .उन्हें जनता के सीधे संपर्क में रहना होगा तभी आने वाले कल में वे पूरे भारत को कुशल नेतृत्व देने में सक्षम हो पायेंगें -
'अपने में ला सिफत सिफलों  को दूर रख 
तेरी फ़िरासत देखकर दुश्मन भी जाये रीझ '
                                               शिखा कौशिक 


सोमवार, 20 अगस्त 2012

जन्मदिन मुबारक हो मेरे प्रिय ...मेरे पिता - आपका राहुल


जन्मदिन मुबारक हो  मेरे प्रिय   ...मेरे पिता  -       आपका राहुल 
    

 [निम्न  पंक्तियों  में एक  पुत्र  के ह्रदय की पीड़ा  को  उकेरने   का प्रयास  किया   है जिसने अपने पिता को 21 वर्ष   की आयु   में अकस्मात   ही खो   दिया  था  .वह अपने स्वर्गीय पिता के जन्मदिन पर कैसा अनुभव करता है ....बस यही लिखा है -

                                

मेरे प्रिय   ...मेरे पिता  
जन्मदिन  मुबारक  हो  आपको  
आपकी तस्वीर ह्रदय  के  समीप  लाकर  
फिर से कहता हूँ  
आप  बहुत  याद  आते  हो ..

रातभर करवटे  बदलता  रहा   
सुबह उठते   ही मन   में 
एक  हूक उठी    
पूछूं  भगवान्  से चीखकर 
क्यों छीन  लिया स्नेही पिता  को   
पर  चीख  न पाया लगा 
आप खड़े हैं पास में ही 
हमेशा  की तरह मुस्कुराते  हुए 

हर वर्ष  आपके   जन्मदिन   पर 
एक अजीब सा  खालीपन     
घेर लेता है मेरे ह्रदय को ;
महसूस करता हूँ  कई  दिन  पहले  से  
उदासी  और   एक शून्यता  ,

नहीं चाहता जाऊं कहीं इस  दिन 
दिखाने ज़माने   को 
कि  मैं अपने पिता को 
श्रद्धा  सुमन  समर्पित   
कर रहा हूँ क्योंकि 
मेरे ह्रदय में तो हर पल     
आप  और आपकी यादें  
बसी रहती हैं  
आप मुझसे दूर हो  ही  
कहाँ  ? 

मैं चाहता हूँ  एकांत इस दिन  
जहाँ  बस  मैं और  आप हो ,
मैं सारे  अनुभव  आपसे  साझा  करूँ  
जो आपके  जाने के बाद मुझे 
हुए हैं ,

मैं आज  के दिन 
माँ का  सामना भी नहीं कर सकता 
जानता  हूँ वे  रोयी  हैं 
रात भर आपको  याद  कर 
पर  मुस्कुराकर  मुझे बहलाने   की
नाकामयाब  कोशिश जरूर करेंगी  ,

सारा देश मनाता है आपका जन्मदिन 
माँ दिल पर पत्थर रखकर शामिल हो लेती 
हैं इन सब समारोहों में ;
पर मैं तो भावुक हो जाता हूँ आप� �� देखकर    
जिसमे आप मुस्कुरा रहे हैं ,
मैं नहीं रोक   पाता अपने आंसू 
बस असफल कोशिश करता  हूँ 
सब के बीच कितना अकेला 
महसूस करता   हूँ ,

मैं फिर से कहता हूँ 
आपकी तस्वीर ह्रदय के पास लाकर 
आप बहुत याद  आते  हैं 
मेरे A4�ेरे पिता  
जन्मदिन मुबारक हो आपको .

                                 आपका राहुल 



शनिवार, 18 अगस्त 2012

मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाये गोपाल कांडा को !

मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाये गोपाल कांडा को !
geetika.jpg 
[मरते दम तक गीतिका के साथ हुई दरिंदगी]
'कांडा सिलेक्ट करता था लड़कियों की ड्रेस व शूज'

नन्ही सी चिड़िया  और  हैवान बाज़  !

नन्ही सी चिड़िया  उड़  रही  थी  ;
नन्हे  से  दिल   को  थाम    ,
पीछे  से  आया  दुष्ट  
बाज़  एक  शैतान  ,
बोला  सिखाऊंगा  तुझे  
ऊँची  मैं  उडान  ,
तुझको  दिखाऊंगा  
शोहरत   के  आसमान  ,
उड़ने  लगी  भोली  सी   वो   
उसको   न  था  गुमान  ,
ऊँचें  पहुचकर  नोंचने  
लगा  उसे हैवान ,
जख्म इतने  दे  दिए 
वो हो गयी निढाल ;
गिर पड़ी ज़मीन पर 
त्याग  दिए प्राण ,
चिड़िया थी प्यारी ''गीतिका '' 
और बाज़ है ''गोपाल ''
ऐसी  मिले सजा इसे कि 
काँप जाये काल !!!

गीतिका को वापस न ला पायेंगें !

नन्ही सी गीतिका के संवार कर बाल ;
माँ ने किया होगा लाडो से ये सवाल 
क्या बनेगी नन्ही सी मेरी परी बड़ी होकर ?
फैलाकर नन्ही बांहें वो बोले होगी हंसकर 
माँ मैं उड़नपरी बनकर आसमान में उडूँगी
ला तारे तोड़कर तेरी गोद में भरूँगी ,
चूमा होगा माँ ने माथा अपनी इस कली का 
पर क्या पता था दोनों को होनी के खेल का ?
एक हैवान ''गोपाल'' उनके जीवन में आएगा ,
सपने दिखाकर कली को हो नोंच जायेगा ,
उसने खरोंच  डाला गीतिका का तन मन 
और माँ से उसकी उडान परी को दूर ले गया 
इतनी दूर कि चाहकर भी कोई 
गीतिका को वापस नहीं ला सकता !!!

[    इस हैवान के लिए बस एक ही सजा है ''मौत की सजा '']

                                          शिखा कौशिक 
                             [विचारों का चबूतरा ]



मंगलवार, 14 अगस्त 2012

शुक्रिया नवभारत टाइम्स -एक गलत परम्परा रोकने हेतु ''


शुक्रिया नवभारत  टाइम्स -एक  गलत परम्परा रोकने हेतु ''


कल  मैंने अपने पर श्री मलखान सिंह जी [दुनाली ]  द्वारा  प्रस्तुत  पोस्ट  -''  शिखा कौशिक का ब्लॉग साफ, शक RSS पर-मलखान सिंह''  
पर  'नवभारत  टाइम्स'  को  शिकायत  भेजी  थी  पर आज दिन  तक  जब  कुछ  नहीं हुआ तो मैंने मेल  किया  जिसका  जवाब इस प्रकार प्राप्त हुआ है -

''नमस्ते,
मेल भेजने के लिए शुक्रिया। हमने पाया है कि आपने ब्लॉग को दो बार आपत्तिजनक भी मार्क किया था लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं हुई। मुझे इसके लिए अफसोस है। अब यह पोस्ट हटा दी गई है। हमने मलखान सिंह का ऑटो-पब्लिश का राइट भी वापस ले लिया है ताकि वे भविष्य में ऐसी पर्सनल पोस्ट न डाल सकें।

आगे से कभी ऐसा हो तो सीधे nbtonline@indiatimes.co.in पर लिखें।

संपादक, नवभारत टाइम्स ब्लॉग
--------------------------------------------------------------------------------
From: nutan sharma [mailto:nutansharma06@hotmail.com]

Sent: 14 August 2012 13:48

To: Nirendra Nagar

Subject:

शिखा कौशिक का ब्लॉग साफ, शक RSS पर-मलखान सिंह

mahody

upar varnit post dwara mere bare me galat prachar kiya jaa raha hai ise turant hatayen v lekhak ko dandit karen .yadi aap sheeghr karyvahi nahi karte hain tab mujhe kanooi karyvahi ke liye badhy hona hoga .

शिखा कौशिक''

.मलखान जी कोई  नए  ब्लोगर  नहीं हैं   .उनका  ब्लॉग  शालिनी  कौशिक जी ने  हमारे  ब्लॉग ''ये  ब्लॉग अच्छा  लगा ''पर 

रविवार, 31 जुलाई 2011

  लिया था .मैं और शालिनी जी उनके  ब्लॉग ''दुनाली ''के समर्थक  भी  थे  पर अब  ब्लॉग पर क्लिक  पर यह आता  है -
''लगता है आपको इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. अगर आपको लगता है कि कोई गलती हुई है, तो आप ब्लॉग के लेखक से संपर्क कर एक आमंत्रण के लिए अनुरोध कर सकते हैं.आपने shikhakaushik666@hotmail.com के रूप में साइन इन किया है- किसी और खाते के साथ साइन इन करें''

 वे  हमें  हटा  दें  पर अब उन्हें और उनकी  मनोवर्ती  के प्रत्येक  ब्लोगर को समझ  लेना  चाहिए  की हर बात की   एक हद होती है .आशा  है मलखान भाई यह  समझ  जायेंगें  .उन्हें बधुत्व   का परिचय देते हुए अपने इस कृत्य के लिए अपने अंतर्मन  की  गहराई में उतरकर यह प्रश्न  स्वयं  से  पूछना  चाहिए की -''मैंने जो  किया था क्या वो सही था ?यदि  नहीं तो मुझे क्या हक़  था किसी  अन्य  ब्लोगर को मानसिक  कष्ट  देने का ? मेरी ओर  से उन्हें पूर्ण माफ़ी है क्योंकि  मैं मानती  हूँ कि गलती  इन्सान  से ही  होती  है .पर बंधु  आगे से ऐसा किसी के साथ मत करना .  आपकी   खोजी -खिल्ली उड़ाने वाली पत्रकारिता  किसी को अवसाद में ले  जा सकती  है .सही कदम  उठाने  हेतु ''नवभारत टाइम्स '' का फिर  से शुक्रिया  .
                                                                                             शिखा  कौशिक 

सोमवार, 13 अगस्त 2012

शायद मैं सही थी -इन बुद्धिवादी शैतानों से कौन भिड़ सकता है ?


शायद मैं सही थी -इन बुद्धिवादी शैतानों से कौन भिड़ सकता है ?


ये देखिये किस तरह खिल्ली उड़ाई जाती  है !ये हैं बड़े  होशियार  ब्लोगर .इन्होने  कितना  सटीक  विश्लेषण  किया है मेरे अपने ब्लॉग से पोस्ट हटाने का !!!.उस नरक [नवभारत टाइम्स के ब्लॉग जगत ]से निकल आने की मुझे ख़ुशी है .धन्यवाद मलखान जी जैसे सभी प्रबद्ध ब्लोगर्स का जो साथी  ब्लोगर्स की इतनी विवेकपूर्ण ढंग से खिल्ली उड़ाते हैं .साथ में ये कमेन्ट भी पढ़ें जो दर्शाते हैं की वहां कितनी  गंभीरता से किसी अन्य ब्लोगर को ज़लील किया जाता है -


शिखा कौशिक का ब्लॉग साफ, शक RSS पर-मलखान सिंह  


सच बोलना चाहिए वाली शिखा कौशिक जी कहां गईं?
उनकी एक पोस्ट पर किसी ने अपशब्द लिखते हुए टिप्पणी कर दी थी. इसके बाद उन्होंने बहुत दमदार आवाज़ में एक पोस्ट लिखी और उस टिप्पणीकार को हड़काया भी. इस दमदार पोस्ट पर अन्य ब्लॉगर्स ने शिखा जी की ताजा पोस्ट पर कुछ टिप्पणियां की. मैंने भी एक कमेंट किया. यहां तक तो सब ठीक था. पर मैंने अब देखना चाहा कि मेरे कमेंट का कोई रिप्लाई आया या नहीं तो अचंभित हूं. उनकी कोई भी पोस्ट शो नहीं हो रही. समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों???

क्या मैं इसके पीछे आरएसएस (RSS) का हाथ समझूं, कि उनकी आईडी हैक करके सारी पोस्ट डिलीट कर दी गईं????
आरएसएस पर शक इसलिए जा रहा है, क्योंकि वे अक्सर कांग्रेस के समर्थन में और कांग्रेस के विरोधियों के विरोध में लिखती रही हैं. आरएसएस पर शक जाने का एक कारण और भी बनता है. वह यह है कि यदि एनबीटी के सिस्टम में तकनीकी ख़राबी होती तो सबके ब्लॉग से पोस्ट गायब हो जातीं, पर ऐसा नहीं है.

रंजन माहेश्वरी जी की शैली का इस्तेमाल करते हुए एक वाक्य लिखना चाहूंगा -यह पोस्ट अति गंभीर है और व्यंग्य तो कतई नहीं है.}
1-sharad on nbt का कहना है:
August 13,2012 at 07:53 PM IST
मालखान जी पिछले कुछ समय से हिन्दी फ़िल्मो
 का एक पुराना नगमा बार-2 ज़ुबान पर खुद-ब-खुद आ जाता है .."तू जहा जहा चलेगा , मेरा साया साथ होगा, मेरा साया हो मेरा साया....."
सचिन मास्साब मेरा नाम एकर "इस ब्लॉग पर भी" आ गये क्या :))

2-kanta ujjain का कहना है:
August 13,2012 at 06:00 PM IST
मलखान जी
मुझे तो ऐसा लगता है की ये शिखा जो भी लिखती है इसमे भी आर एस एस का हाथ है क्योंकि ये लेखिका कम और चापलुस ज़्यादा लगती है
3-hukam का कहना है:
August 13,2012 at 05:40 PM IST
लगता है मेडम को समझ आ गया है की राहुल उनकी पहुच से बाहर है, इसलिए खुद ही पोस्ट हटा ली/ एक बात से तो म सहमत हू की चीखा पोशिक जी मे क़ाबलियत तो है, लेकिन कट्टरता की वजाहा से सही इस्तेमाल नही कर पा रही थी/
4-(Sachin Soni को जवाब )- 
मलखान सिंह का कहना है:
August 13,2012 at 05:25 PM IST
आपका कमेंट पढ़कर हंसी से लोट पोट हो गया हूं.}

                                         आज मुझे लग रहा है मैं वास्तव में गलत जगह चली गयी थी .भगवान की कृपा से मैं जल्दी ही उस नरक से बाहर आ गयी -


आप कहते हैं लड़ो जब तक रहे जिस्म में जान ;
लडूँ किससे  मगर जो सामने है इन्सान नहीं ?

जहाँ होती  हो  बातें  मसखरी  की तफरी  की ;
टिके  रहना वहां मेरे लिए आसान  नहीं   .


मिला सुकून मुझे उस दोजख से निकलकर ;
जहाँ थे शख्स ऐसे जिनका कोई ईमान नहीं .


उन्हें आता है मजा मुझको ज़लील करने में ;
ऐसा लगता है उन्हें और  कोई काम नहीं .

थे वहां ऐसे पडोसी जो जख्म देकर हँसते थे ;
है ख़ुशी उस गली में अब मेरा  मकान नहीं .

[ऊपर वर्णित पोस्ट पर आपत्ति कर रही हूँ .देखते हैं क्या होता  है ?वैसे मलखान जी की ये पोस्ट सुपरहिट हो चुकी है .उन्हें बधाई दूं या बुराई जिन्होंने ब्लॉग जगत की गरिमा को इस स्टर पर लाकर रख दिया है -
                                                                                      

                                                                                       shikha kaushik 

शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

टिप्पणी है या धमकी -संभल जा ओ सनकी !


टिप्पणी  है या धमकी -संभल जा ओ सनकी !



मेरी पिछली एक पोस्ट [बाबा भाग न जाना  (नवभारत टाइम्स पर )]पर आई एक टिप्पणी ने इस पोस्ट को लिखने के लिए मजबूर कर दिया . .एक  महिला  ब्लोगर  की पोस्ट पर ऐसी टिप्पणी करना शर्मनाक तो  है ही आपराधिक गतिविधि भी  है.  टिप्पणी के रूप में ऐसी धमकी कोई गुंडा या लड़कियों का दलाल ही दे सकता है .टिप्पणीकार ने लिखा  -'कुतिया लिखना बंद कर वरना बाज़ार में जाकर बेच दूंगा .''इस टिप्पणीकार का IP ADD मैंने नोट कर लिया है .आवश्यक कार्यवाही हेतु  .जिसको मेरी पोस्ट पर एतराज हो वो सभ्यता की सीमा में रहकर टिप्पणी कर सकता है पर ऐसी टिप्पणी को एक स्त्री होकर यदि मैं बर्दाश्त करती हूँ तो समस्त स्त्री-जाति को अपमानित करती हूँ .''बाज़ार में बेच दूंगा '' -किस प्रकार  की मनोवृति का व्यक्ति  धमकी दे रहा  है .यदि ये बाबा रामदेव का समर्थक है तो असहमति प्रकट करे  पर इस टिप्पणीकार ने तो भारतीय  दंड  संहिता  की निम्न   धारा में ये अपराध कर डाला है -
''अनुराधा  बनाम महाराष्ट्र राज्य १९९१ क्रि.ला. j.410 [महाराष्ट्र ]में यह विनिश्चित किया गया की किसी महिला के प्रति धमकी भरी गलियां व् अपशब्दों का इस्तेमाल धारा ५०३ के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा जिसके  लिए धारा ५०६ में  २ साल के कारावास की सजा व् जुर्माने या दोनों  का प्रावधान है.''

                                                 कानूनी रूप से तो मैं इस व्यक्ति के खिलाफ  कड़ी  कार्यवाही  कर ही सकती हूँ साथ ही यदि किसी ने ''श्री दुर्गा सप्तशती ''का पाठ कभी किया हो तो वो जानता ही होगा कि संसार में जितनी भी स्त्रियाँ  हैं देवी का ही रूप हैं .इस टिप्पणी ने मेरे प्राणों  में आग लगा दी है .एक स्त्री को बेचने की धमकी देना इंसानियत को शर्मसार करना है पर ऐसा व्यक्ति ये क्यों भूल जाता है कि-स्त्री शक्ति रूपा भी है .ओ दुष्ट तेरी टिप्पणी का जवाब ये है -

ओ दुष्ट संभल और जान ले  ये 'मैं भारत  की नारी हूँ '
मैं आदि शक्ति सृष्टि की  सम्मान की मैं अधिकारी हूँ .

अपशब्द मुझे कहकर  तूने सब पुण्य नष्ट अपने  ;
तू चला गिराने मान मेरा क्यूँ दिन में देख रहा सपने .

मुझ शक्ति रूपा स्त्री को ''अपशब्द''कहे  तूने ऐसे ;
हो खंड खंड मस्तक तेरा ये श्राप ना दूं तुझको कैसे ?


तू चंड-मुंड का  वंशज है मैं पुत्री  हूँ चामुंडा की ;
कर दूं धड से तेरा शीश अलग है यही सजा दुर्वचनों की .


ओ रक्तबीज के दूत दुष्ट तू नहीं जानता मुझको है ;
तू बेचेगा जगजननी को धिक्कार तेरी माता को है !

कुत्सित भावों की खड़क से ये भीषण प्रहार किया तूने ;
मत भूल रूप धर चंडी का दानव संहार किया मैंने .


मेरे  प्राणों में आग लगी ये भस्म तुझे अब कर देगी  ;
ले दुर्वचनों का बोझ तेरी रूह जन्मों जन्मों तक भटकेगी .

तू देख जरा ऊपर नीचे दायें बाएं और यहाँ वहां 
हर ओर खडी मैं ही मैं हूँ ; मैं काली गौरी जगदम्बा .

जग  की सारी नारी देवी तू उसको गाली देता है ,
है कोख अभागिन बहुत बड़ी जिसने जन्मा ये बेटा है .

तू हाथ बढ़ा नारी की तरफ  मैं हाथ काट कर रख दूँगी ,
अगली पिछली तेरी पीढ़ी का सर्वनाश मैं कर दूँगी .

 [ अंत मे  -'नवभारत  टाइम्स' को भी चाहिए  की  वो   अपनी   महिला   ब्लोगर्स के ब्लॉग पर   टिप्पणी   करने   वालों  के लिए   कड़े नियम  बनायें  .]

                                 शिखा कौशिक 




गुरुवार, 9 अगस्त 2012

पिता के साथ धोखा मत कीजिये !


पिता के साथ धोखा मत कीजिये !

परसों  ''बागपत'' जिले  में  अदालत द्वारा  एक  पिता  व्  भाई  को  ऑनर  किलिंग  के अपराध  में  फांसी की सजा  सुनाई   गयी  .अख़बार  में आये  फोटो  को देखिये  पिता इतना कमजोर दिखाई  दे  रहा व्  आँखों  में इतनी  तड़प  है  कि जैसे  पूछ  रहा हो  कि-अब  और कितनी फांसी पर चढूँगा ?
पिछले वर्ष भी हमारे जिले में एक प्रेमी युगल घर से फरार हो गए थे .पुलिस ने दो लाशों की शिनाख्त उन दोनों के रूप में कर भी दी थी .क़त्ल के आरोप में लड़की के पिता-भाई  को पुलिस ने  गिरफ्तार कर लिया  और १४-१५ वर्षीय भाई ने पुलिस के समक्ष यह स्वीकार कर लिया कि उसने ही ये क़त्ल किये हैं .कहानी में मोड़ तब आया जब फरार प्रेमी युगल जिन्दा वापस लौट आये .पुलिस के पास इस बात का जवाब नहीं था कि यदि ये दोनों जिन्दा हैं तो वे लाशें किसकी थी ?बाद में लड़के के घर वालों ने लड़की को स्वीकार कर लिया और उसके गर्भ में पल रहे शिशु को भी .ये तो इस कहानी का सुखद अंत हो गया पर उस लड़की ने पिता के विश्वास को जिस तरह तोडा है कम से कम मैं तो उससे कभी सहमत नहीं हो सकती .वह लड़की घर से बाहर अपनी मौसी के यहाँ रहकर कोई प्रिओफैनल कोर्स कर रही थी .जब हमारे माता-पिता इस पुरुष प्रधान समाज में भी हमें यह मौका देते है कि हम  आर्थिक रूप से सक्षम बन सकें  तब हमारा भी यह कर्तव्य है कि हम घर से बाहर रहकर  भी अपने माता पिता की इच्छाओं का ध्यान  रक्खे .मेरी जानकारी की एक अति विदुषी  महिला प्रवक्ता हैं .वे बताती हैं कि उनकी रुचि विज्ञानं विषय में थी किन्तु इसके लिए को .एड  .कॉलिज में प्रवेश लेना पड़ता .जिस समय उनके प्रवेश लेने की बात थी तभी एक लड़की किसी कॉलिज के  लड़के के साथ घर से भाग गयी और उनके पिता ने इस डर से कि कंही हमारे साथ भी ये हादसा न हो जाये उनका उस कॉलिज में प्रवेश नहीं कराया .असंयमित  ऐसी लडकिया यह नहीं सोच पाती कि उनके एक गलत कदम से कितनी लड़कियों का भविष्य फिर से चौखट के भीतर धकेल दिया जाता है .ऊपर जिस घटना का जिक्र मैंने किया है उसमे बाद में यह बात भी सामने आई कि लड़की के पिता ने उसके इस कदम से शर्मिंदा होकर जहर खा लिया था इसी कारण छोटे भाई ने क़त्ल का आरोप अपने पर लेकर अपने पिता को पुलिस के उत्पीडन से बचाने का प्रयास किया था .मैं केवल इतना कहना चाहूंगी ऐसी लड़कियों से कि जब आप ऐसे कदम उठाती हैं तब एक बार अपने पिता के बारे में सोचिये जिसने आपको सब कुछ दिया पर आप केवल अपने स्वार्थ में अंधी होकर उनकी भावनाओं  से धोखा कर जाती है .
                                           शिखा कौशिक 

मंगलवार, 7 अगस्त 2012

कृष्ण जन्म अष्टमी पर शुभकामनाएं |


कृष्ण जन्म अष्टमी पर शुभकामनाएं | 

जसोदा तेरा लल्ला कितना सलोना है ,
पालने में झूलता चंदा सा खिलौना .
कान्हा को बाँहों का झूला झुलाएंगे ,
मीठी मीठी लोरी सुनाकर सुलायेंगें ,
ममता की बरखा से उसको भिगोना है .
जसोदा तेरा लल्ला ....
ले गोद  कान्हा को गोकुल घुमाएंगे ,
गैय्या दिखाएंगें उपवन घुमायेंगें ,
मखमल सा कोमल ये गोकुल का छौना है .
जसोदा तेरा लल्ला .....

कहते हैं सब ये जग का खिवैय्या है ,
हमारे लिए तो बस ये कन्हैय्या है ,
ये ही हमारा रत्न-धन-सोना है .
जसोदा तेरा लल्ला ....
                         शिखा कौशिक 
                    [भक्ति अर्णव ]

शनिवार, 4 अगस्त 2012

गाँधी परिवार की आलोचना संभलकर करें !


 नेहरू-गाँधी परिवार की आलोचना  संभलकर  करें !



ये एक सर्वमान्य तथ्य है कि जब  आप किसी  अन्य की गरिमा गिराने  का  अथवा  उसकी  अस्मिता  से  खेलने  का  प्रयास करते हैं तब आप उसका कुछ बिगाड़ पायें या  नहीं पर  आप स्वयं को  सबकी नज़रों में गिरा लेते  हैं .आज  ऐसे  कथित विद्वानों -लेखकों  की  कमी  नहीं जो  मात्र  'की -बोर्ड'  पर उँगलियाँ  चलाकर  किसी  सम्मानित  व्यक्ति  अथवा  परिवार  की गरिमा  की धज्जियाँ उड़ा देते हैं .ये स्वयं चर्चित  होने  के  लिए   शालीनता  की सारी  सीमायें लाँघ  जाते  हैं .ऐसे ही  कुछ कथित विद्वान व्  लेखक  अपनी  योग्यता का  दुरूपयोग  करते हुए भारत  में सर्वाधिक   सम्मानित परिवार नेहरू -गाँधी  परिवार  [जिसने देश  को तीन  योग्य  प्रधानमंत्री दिए .जिस  परिवार  ने  आतंकवाद  से  बिना  डरे  देश सेवा  में अपने  परिवारीजन  को खोया ] को लांछित  कर्मे  में लगा  हुआ  है  .इनके  द्वारा  लगाये  गए  आरोपों  का  कोई  आधार  नहीं ...पर ये लगे हुए हैं .इनके  द्वारा  लगाये गए कुत्सित व्  निराधार  आरोपों  में प्रमुख  हैं -
1-नेहरू जी एक छद्म  देशभक्त  व् ऐय्याश  व्यक्ति थे .
[मेरी  राय  -स्वाधीनता  संग्राम का इतिहास पढना चाहिए इन कथित विद्वानों को ]
2-श्रीमती  इंदिरा  गाँधी  ने एक मुस्लिम  से विवाह  किया  था  .इसलिए  गाँधी परिवार अब   इस्लाम  धर्म  का अनुयायी है .
[मेरा  प्रश्न  -यदि  है तो  भी  देश को इससे  क्या  नुकसान  हो रहा है ?बताएं   ]

३-श्रीमती सोनिया गाँधी का असली नाम कुछ और है .
[मेरा प्रश्न-जिस नाम से वे पूरे विश्व  में जानी जाती हैं उससे अलग असली  नाम रखकर  वे क्या करेंगी ?]

४-श्री राहुल गाँधी की एम्.फिल की डिग्री फर्जी है  .
[मेरा प्रश्न-राहुल जी ऐसा क्यों करेंगें  नेता बनने के लिए तो किसी डिग्री की जरूरत नहीं  ]
५-श्री राहुल गाँधी ने अपने विदेशी  मित्रो के साथ किसी सुकन्या नाम की लड़की  से बलात्कार किया .
[मेरा प्रश्न-यदि यह सच है तो अदालत का निर्णय आने दें स्वयं  क्यों न्यायाधीश बन रहे हैं ?]
                           
                                              उपर्युक्त द्वेषपूर्ण व् निराधार आरोपों द्वारा बार बार जनता पार्टी अध्यक्ष श्री सुब्रह्मण्यम स्वामी व् उनके कथित चेले गाँधी परिवार की गरिमा से खेलने का अशोभनीय प्रयास करते हैं  और गाँधी परिवार के प्रशंसकों को ''चाटुकार'' की उपाधि से नवाज़ते हैं .ठीक है आप गाँधी परिवार को पसंद नहीं करते ,आप कॉंग्रेस के आलोचक हैं -तब आप शालीनता की सीमा में रहकर आलोचना करें .चरित्र पर वार बहुत आसान है पर ये भी समझ लीजिये इसप्रकार का आरोपण आप के चरित्र पर भी दस उँगलियाँ उठा देता   है .भारतीय  जनता पार्टी के दो बड़े नेताओं का उदाहरण यहाँ प्रासांगिक होगा .सोनिया जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी के किसी बयान पर रोष में भरकर यह कह  डाला  कि-''बाजपेयी जी झूठ  बोलते हैं .''बाजपेयी जी ने शालीन अंदाज़ में अपना विरोध दर्ज किया और एक सद्भावनापूर्ण माहौल  में मामला  निपट  गया .दूसरी ओर  दिवंगत तेजतर्रार नेता श्री प्रमोद महाजन ने भारतीय संस्कृति की धज्जियाँ उड़ाते हुए अपने एक भाषण में यह कह डाला कि -सोनिया व् प्रियंका का हाथ ही नहीं हिलता और भी बहुत कुछ हिलता है .''अंतर साफ़ है -हम किसी से असहमत हैं ,हम किसी को पसंद नहीं करते -तब भी हमारे द्वारा विरोध सभ्यता में रहकर किया जाये  क्योंकि  यह हमारे संस्कारों  को ही प्रदर्शित करता है .हम  राहुल जी  को  यदि भावी  प्रधानमंत्री के  रूप  में देखते हैं तो  उनकी नेतृत्व क्षमता  के  कारण,जन सेवा  को समर्पित उनके आचरण के कारण    न की वे  विवाहित  हैं  या नहीं  .पूर्व प्रधानमंत्री  इंदिरा जी  -गाँधी   थी  ..खान  थी  ?इस  पर  बहस  कर  क्यों  देश अपना समय बर्बाद करे  .धर्म -एक  निजी  मामला  है .कोई नेता निजी जीवन में किस धर्म को मान्यता देता है इससे देश पर क्या फर्क पड़ता है .फर्क तो तब पड़ता है जब राष्ट्रीय नेता में धार्मिक सदभाव न हो .इंदिरा जी के आचरण में सर्वधर्म सदभाव  स्पष्ट झलकता था .राहुल जी ने साफ कहा है -''मेरा धर्म तिरंगा है .''बस ऐसी  ही  सोच  का  राष्ट्रीय नेता हमारा  नेतृत्व कर सकता है फिर उनकी आलोचना इस आधार पर करना कि-''वे गाँधी नहीं मुस्लमान हैं '' कहाँ तक उचित हैं .यदि वे इस्लाम को मान्यता देते हैं तब भी कोई गुनाह तो नहीं करते .इस देश में दोनों ही धर्म के लोग रहते आये हैं और सब मिलकर ही तरक्की की राह पर आगे बढ़ सकते हैं .
                                   एक विद्वान ने तो 'नेहरू  डायनेसटी'' को मुस्लमान साबित करने के लिए गहरा शोध कर डाला .क्यों किया उन्होंने यह शोध ?क्या नेहरू जी को मुस्लमान साबित कर देश वासियों के दिलों से उनका सम्मान कम किया जा सकता है ?कभी नहीं .नेहरू जी को भारतीय जनता की नजरो में गिराने का प्रयास करने वाले स्वयं धुल में मिलकर राह जायेंगें क्योंकि नेहरू जी ने यह सम्मान इस लिए नहीं पाया कि ''वे एक हिन्दू थे या एक पंडित थे बल्कि उन्होंने यह सम्मान स्वाधीनता संग्राम में अपने संघर्षों से पाया .भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनकर देश को सफल लोकतान्त्रिक सरकार देने के लिए पाया .ऐसे व्यर्थ के शोध कथित विद्वान स्वयं को चर्चित करने के लिए करते हैं वर्ना अपने वंशबेल तक का पूरा ज्ञान भी किसी आम आदमी को नहीं होता तब सम्मानित नेहरू-गाँधी परिवार की वंशावली पर शोध कर क्यों समय बर्बाद करते हैं ऐसे विद्वान .
                                               नवभारत टाइम्स के एक ब्लोगर महोदय ने तो राहुल जी की आलोचना में लिखे आलेख में मर्यादित लेखन की सारी सीमायें ही तोड़ डाली .राहुल जी की बहन सुश्री प्रियंका गाँधी के लिए ''सेक्सी''जैसे सस्ते शब्द का प्रयोग  कर उन्होंने अपने संस्कारों उड़ाया है.हम भारतीय बहनों को कितना सम्मान देते हैं यह  कहने या लिखने का विषय नहीं .यह हर भाई के दिल में संस्कार रूप में बसा है और हमारी सगी बहन हो या किसी अन्य की बहन यह स्नेह व् सम्मान समान भाव से हिलोरे लेता है .यहाँ यह कहना भी अप्रासंगिक नहीं होगा कि-प्रियका जी के लिए तो कथित ब्लोगर ने ऐसा सस्ता शब्द प्रयोग करने की हिम्मत कर ली है पर अन्य किसी पार्टी से सम्बंधित महिला के विषय में ऐसे शब्दों का प्रयोग करने की वे हिम्मत तक नहीं कर सकते क्योंकि वे बखूबी जानते हैं कि ऐसे शब्दों की आग उनके घर तक पहुँच सकती है .
                    नेहरू-गाँधी परिवार भारत के  सर्वाधिक सम्मानीय परिवारों में से एक है .यह परिवार किसी भी निराधार व् कुत्सित आरोपों को तवज्जो नहीं देता पर लिखने -बोलने वालों को चाहिए कि -''वे शालीनता व् सभ्यता की सीमा में रहकर  ही आलोचना करें .'' ऐसे कथित विद्वानों व् लेखकों को तो  यह याद रखना ही  चाहिए -
                  ''पत्थर ही मारना है तो देख ले पहले 
                     जो सामने खड़ा है वो शख्स कौन है ''
                                                                            शिखा कौशिक