नेहरू-गाँधी परिवार की आलोचना संभलकर करें !
ये एक सर्वमान्य तथ्य है कि जब आप किसी अन्य की गरिमा गिराने का अथवा उसकी अस्मिता से खेलने का प्रयास करते हैं तब आप उसका कुछ बिगाड़ पायें या नहीं पर आप स्वयं को सबकी नज़रों में गिरा लेते हैं .आज ऐसे कथित विद्वानों -लेखकों की कमी नहीं जो मात्र 'की -बोर्ड' पर उँगलियाँ चलाकर किसी सम्मानित व्यक्ति अथवा परिवार की गरिमा की धज्जियाँ उड़ा देते हैं .ये स्वयं चर्चित होने के लिए शालीनता की सारी सीमायें लाँघ जाते हैं .ऐसे ही कुछ कथित विद्वान व् लेखक अपनी योग्यता का दुरूपयोग करते हुए भारत में सर्वाधिक सम्मानित परिवार नेहरू -गाँधी परिवार [जिसने देश को तीन योग्य प्रधानमंत्री दिए .जिस परिवार ने आतंकवाद से बिना डरे देश सेवा में अपने परिवारीजन को खोया ] को लांछित कर्मे में लगा हुआ है .इनके द्वारा लगाये गए आरोपों का कोई आधार नहीं ...पर ये लगे हुए हैं .इनके द्वारा लगाये गए कुत्सित व् निराधार आरोपों में प्रमुख हैं -
1-नेहरू जी एक छद्म देशभक्त व् ऐय्याश व्यक्ति थे .
[मेरी राय -स्वाधीनता संग्राम का इतिहास पढना चाहिए इन कथित विद्वानों को ]
2-श्रीमती इंदिरा गाँधी ने एक मुस्लिम से विवाह किया था .इसलिए गाँधी परिवार अब इस्लाम धर्म का अनुयायी है .
[मेरा प्रश्न -यदि है तो भी देश को इससे क्या नुकसान हो रहा है ?बताएं ]
४-श्री राहुल गाँधी की एम्.फिल की डिग्री फर्जी है .
३-श्रीमती सोनिया गाँधी का असली नाम कुछ और है .
[मेरा प्रश्न-जिस नाम से वे पूरे विश्व में जानी जाती हैं उससे अलग असली नाम रखकर वे क्या करेंगी ?]
४-श्री राहुल गाँधी की एम्.फिल की डिग्री फर्जी है .
[मेरा प्रश्न-राहुल जी ऐसा क्यों करेंगें नेता बनने के लिए तो किसी डिग्री की जरूरत नहीं ]
५-श्री राहुल गाँधी ने अपने विदेशी मित्रो के साथ किसी सुकन्या नाम की लड़की से बलात्कार किया .
[मेरा प्रश्न-यदि यह सच है तो अदालत का निर्णय आने दें स्वयं क्यों न्यायाधीश बन रहे हैं ?]
उपर्युक्त द्वेषपूर्ण व् निराधार आरोपों द्वारा बार बार जनता पार्टी अध्यक्ष श्री सुब्रह्मण्यम स्वामी व् उनके कथित चेले गाँधी परिवार की गरिमा से खेलने का अशोभनीय प्रयास करते हैं और गाँधी परिवार के प्रशंसकों को ''चाटुकार'' की उपाधि से नवाज़ते हैं .ठीक है आप गाँधी परिवार को पसंद नहीं करते ,आप कॉंग्रेस के आलोचक हैं -तब आप शालीनता की सीमा में रहकर आलोचना करें .चरित्र पर वार बहुत आसान है पर ये भी समझ लीजिये इसप्रकार का आरोपण आप के चरित्र पर भी दस उँगलियाँ उठा देता है .भारतीय जनता पार्टी के दो बड़े नेताओं का उदाहरण यहाँ प्रासांगिक होगा .सोनिया जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी के किसी बयान पर रोष में भरकर यह कह डाला कि-''बाजपेयी जी झूठ बोलते हैं .''बाजपेयी जी ने शालीन अंदाज़ में अपना विरोध दर्ज किया और एक सद्भावनापूर्ण माहौल में मामला निपट गया .दूसरी ओर दिवंगत तेजतर्रार नेता श्री प्रमोद महाजन ने भारतीय संस्कृति की धज्जियाँ उड़ाते हुए अपने एक भाषण में यह कह डाला कि -सोनिया व् प्रियंका का हाथ ही नहीं हिलता और भी बहुत कुछ हिलता है .''अंतर साफ़ है -हम किसी से असहमत हैं ,हम किसी को पसंद नहीं करते -तब भी हमारे द्वारा विरोध सभ्यता में रहकर किया जाये क्योंकि यह हमारे संस्कारों को ही प्रदर्शित करता है .हम राहुल जी को यदि भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं तो उनकी नेतृत्व क्षमता के कारण,जन सेवा को समर्पित उनके आचरण के कारण न की वे विवाहित हैं या नहीं .पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा जी -गाँधी थी ..खान थी ?इस पर बहस कर क्यों देश अपना समय बर्बाद करे .धर्म -एक निजी मामला है .कोई नेता निजी जीवन में किस धर्म को मान्यता देता है इससे देश पर क्या फर्क पड़ता है .फर्क तो तब पड़ता है जब राष्ट्रीय नेता में धार्मिक सदभाव न हो .इंदिरा जी के आचरण में सर्वधर्म सदभाव स्पष्ट झलकता था .राहुल जी ने साफ कहा है -''मेरा धर्म तिरंगा है .''बस ऐसी ही सोच का राष्ट्रीय नेता हमारा नेतृत्व कर सकता है फिर उनकी आलोचना इस आधार पर करना कि-''वे गाँधी नहीं मुस्लमान हैं '' कहाँ तक उचित हैं .यदि वे इस्लाम को मान्यता देते हैं तब भी कोई गुनाह तो नहीं करते .इस देश में दोनों ही धर्म के लोग रहते आये हैं और सब मिलकर ही तरक्की की राह पर आगे बढ़ सकते हैं .
एक विद्वान ने तो 'नेहरू डायनेसटी'' को मुस्लमान साबित करने के लिए गहरा शोध कर डाला .क्यों किया उन्होंने यह शोध ?क्या नेहरू जी को मुस्लमान साबित कर देश वासियों के दिलों से उनका सम्मान कम किया जा सकता है ?कभी नहीं .नेहरू जी को भारतीय जनता की नजरो में गिराने का प्रयास करने वाले स्वयं धुल में मिलकर राह जायेंगें क्योंकि नेहरू जी ने यह सम्मान इस लिए नहीं पाया कि ''वे एक हिन्दू थे या एक पंडित थे बल्कि उन्होंने यह सम्मान स्वाधीनता संग्राम में अपने संघर्षों से पाया .भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनकर देश को सफल लोकतान्त्रिक सरकार देने के लिए पाया .ऐसे व्यर्थ के शोध कथित विद्वान स्वयं को चर्चित करने के लिए करते हैं वर्ना अपने वंशबेल तक का पूरा ज्ञान भी किसी आम आदमी को नहीं होता तब सम्मानित नेहरू-गाँधी परिवार की वंशावली पर शोध कर क्यों समय बर्बाद करते हैं ऐसे विद्वान .
नवभारत टाइम्स के एक ब्लोगर महोदय ने तो राहुल जी की आलोचना में लिखे आलेख में मर्यादित लेखन की सारी सीमायें ही तोड़ डाली .राहुल जी की बहन सुश्री प्रियंका गाँधी के लिए ''सेक्सी''जैसे सस्ते शब्द का प्रयोग कर उन्होंने अपने संस्कारों उड़ाया है.हम भारतीय बहनों को कितना सम्मान देते हैं यह कहने या लिखने का विषय नहीं .यह हर भाई के दिल में संस्कार रूप में बसा है और हमारी सगी बहन हो या किसी अन्य की बहन यह स्नेह व् सम्मान समान भाव से हिलोरे लेता है .यहाँ यह कहना भी अप्रासंगिक नहीं होगा कि-प्रियका जी के लिए तो कथित ब्लोगर ने ऐसा सस्ता शब्द प्रयोग करने की हिम्मत कर ली है पर अन्य किसी पार्टी से सम्बंधित महिला के विषय में ऐसे शब्दों का प्रयोग करने की वे हिम्मत तक नहीं कर सकते क्योंकि वे बखूबी जानते हैं कि ऐसे शब्दों की आग उनके घर तक पहुँच सकती है .
नेहरू-गाँधी परिवार भारत के सर्वाधिक सम्मानीय परिवारों में से एक है .यह परिवार किसी भी निराधार व् कुत्सित आरोपों को तवज्जो नहीं देता पर लिखने -बोलने वालों को चाहिए कि -''वे शालीनता व् सभ्यता की सीमा में रहकर ही आलोचना करें .'' ऐसे कथित विद्वानों व् लेखकों को तो यह याद रखना ही चाहिए -
एक विद्वान ने तो 'नेहरू डायनेसटी'' को मुस्लमान साबित करने के लिए गहरा शोध कर डाला .क्यों किया उन्होंने यह शोध ?क्या नेहरू जी को मुस्लमान साबित कर देश वासियों के दिलों से उनका सम्मान कम किया जा सकता है ?कभी नहीं .नेहरू जी को भारतीय जनता की नजरो में गिराने का प्रयास करने वाले स्वयं धुल में मिलकर राह जायेंगें क्योंकि नेहरू जी ने यह सम्मान इस लिए नहीं पाया कि ''वे एक हिन्दू थे या एक पंडित थे बल्कि उन्होंने यह सम्मान स्वाधीनता संग्राम में अपने संघर्षों से पाया .भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनकर देश को सफल लोकतान्त्रिक सरकार देने के लिए पाया .ऐसे व्यर्थ के शोध कथित विद्वान स्वयं को चर्चित करने के लिए करते हैं वर्ना अपने वंशबेल तक का पूरा ज्ञान भी किसी आम आदमी को नहीं होता तब सम्मानित नेहरू-गाँधी परिवार की वंशावली पर शोध कर क्यों समय बर्बाद करते हैं ऐसे विद्वान .
नवभारत टाइम्स के एक ब्लोगर महोदय ने तो राहुल जी की आलोचना में लिखे आलेख में मर्यादित लेखन की सारी सीमायें ही तोड़ डाली .राहुल जी की बहन सुश्री प्रियंका गाँधी के लिए ''सेक्सी''जैसे सस्ते शब्द का प्रयोग कर उन्होंने अपने संस्कारों उड़ाया है.हम भारतीय बहनों को कितना सम्मान देते हैं यह कहने या लिखने का विषय नहीं .यह हर भाई के दिल में संस्कार रूप में बसा है और हमारी सगी बहन हो या किसी अन्य की बहन यह स्नेह व् सम्मान समान भाव से हिलोरे लेता है .यहाँ यह कहना भी अप्रासंगिक नहीं होगा कि-प्रियका जी के लिए तो कथित ब्लोगर ने ऐसा सस्ता शब्द प्रयोग करने की हिम्मत कर ली है पर अन्य किसी पार्टी से सम्बंधित महिला के विषय में ऐसे शब्दों का प्रयोग करने की वे हिम्मत तक नहीं कर सकते क्योंकि वे बखूबी जानते हैं कि ऐसे शब्दों की आग उनके घर तक पहुँच सकती है .
नेहरू-गाँधी परिवार भारत के सर्वाधिक सम्मानीय परिवारों में से एक है .यह परिवार किसी भी निराधार व् कुत्सित आरोपों को तवज्जो नहीं देता पर लिखने -बोलने वालों को चाहिए कि -''वे शालीनता व् सभ्यता की सीमा में रहकर ही आलोचना करें .'' ऐसे कथित विद्वानों व् लेखकों को तो यह याद रखना ही चाहिए -
''पत्थर ही मारना है तो देख ले पहले
जो सामने खड़ा है वो शख्स कौन है ''
शिखा कौशिक
1 टिप्पणी:
बात तो सही कहा आपने
आलोचना गलत नहीं है पर वो शालीनता और सभ्यता की सीमा न लांघे ...
'लांछित कर्मे' को 'लांछित करने' कर लीजियेगा ..
बेहतरीन लेख ...
मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ !
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