'चच्चा ये रक्खो अपने चाय की प्यालियाँ . इब मैं नहीं जाउंगा चाय लेकर आस-पास की दुकानों पर चाय पहुँचाने ........जी चाहता है उस लीडर के बाल नोंच लूं ...मजाक बनाकर रख दिया हम चायवालों का !!!'' बारह वर्षीय बालक रहमत चाय के पानी की तरह उबलते हुए बोला तो उसका उस्ताद सुक्खू ठन्डे दूध की तरह समझाता हुआ बोला -'' बेट्टा इत्ता न गरमावे ...दो चार दिन बक लेन दें ....सब जानें हैं उस साहेब को ..कौन इब चाय बनाकर बेच्चे है ...और ये बता ..के कहवे है कोई ?'' सुक्खू के पूछने पर रहमत दांत पीसता हुआ बोला -'' के बताऊँ उस्ताद ..किस - किसका नाम लूं .मुझे चाय लेकर जाते देख एक कहे -''लो आ गया लोकल मोदी '' और एक कहे -''कहाँ रह गया अबे इत्ती देर लगा दी तैने मोदी ..कोबरा पोस्ट देखन बैठ गया था क्या ? '' वो कूने पे जिसकी दुकान है वो कहे '' चुप रहो भाई कही हम पर भी सर्विलांस न लगवा दे '' फेर सब मिलके हँसे हैं हमपर... चच्चा सच में बदनाम करके डाल दिया इस मोदी ने चाय वालों को ...कहीं का न छोड़ा .'' ये कहकर रहमत ने झूठी प्यालियाँ उठाई और धोने के लिए सड़क के नल के पास चल दिया .
शिखा कौशिक 'नूतन'