मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाये गोपाल कांडा को !
[मरते दम तक गीतिका के साथ हुई दरिंदगी]
'कांडा सिलेक्ट करता था लड़कियों की ड्रेस व शूज'
[मरते दम तक गीतिका के साथ हुई दरिंदगी]
'कांडा सिलेक्ट करता था लड़कियों की ड्रेस व शूज'
नन्ही सी चिड़िया और हैवान बाज़ !
नन्ही सी चिड़िया उड़ रही थी ;
नन्हे से दिल को थाम ,
पीछे से आया दुष्ट
बाज़ एक शैतान ,
बोला सिखाऊंगा तुझे
ऊँची मैं उडान ,
तुझको दिखाऊंगा
शोहरत के आसमान ,
उड़ने लगी भोली सी वो
उसको न था गुमान ,
ऊँचें पहुचकर नोंचने
लगा उसे हैवान ,
जख्म इतने दे दिए
वो हो गयी निढाल ;
गिर पड़ी ज़मीन पर
त्याग दिए प्राण ,
चिड़िया थी प्यारी ''गीतिका ''
और बाज़ है ''गोपाल ''
ऐसी मिले सजा इसे कि
काँप जाये काल !!!
गीतिका को वापस न ला पायेंगें !
नन्ही सी गीतिका के संवार कर बाल ;
माँ ने किया होगा लाडो से ये सवाल
क्या बनेगी नन्ही सी मेरी परी बड़ी होकर ?
फैलाकर नन्ही बांहें वो बोले होगी हंसकर
माँ मैं उड़नपरी बनकर आसमान में उडूँगी
ला तारे तोड़कर तेरी गोद में भरूँगी ,
चूमा होगा माँ ने माथा अपनी इस कली का
पर क्या पता था दोनों को होनी के खेल का ?
एक हैवान ''गोपाल'' उनके जीवन में आएगा ,
सपने दिखाकर कली को हो नोंच जायेगा ,
उसने खरोंच डाला गीतिका का तन मन
और माँ से उसकी उडान परी को दूर ले गया
इतनी दूर कि चाहकर भी कोई
गीतिका को वापस नहीं ला सकता !!!
[ इस हैवान के लिए बस एक ही सजा है ''मौत की सजा '']
शिखा कौशिक
[विचारों का चबूतरा ]
1 टिप्पणी:
जितने पल इसने जिये, दुःख के उतने मास ।
मांसखोर के अंग को, काट करें उपहास ।
काट करें उपहास, उलट लटकाएं भैंसा ।
दंड नियम प्राचीन, मिले जैसे को तैसा ।
लेकिन जिम्मेदार, पिता भाई भी थोड़े ।
रूपया आता देख, रहे चुप पड़े निगोड़े ।।
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